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एक साल में इन दवाओं के दामों में 15-20 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी, ये है वजह

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Published : Sep 4, 2021, 3:36 PM IST

कोरोना की दस्तक के बाद बीते एक साल में कई दवाइयों के दामों में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. देहरादून केमिस्ट एसोसिएशन के महासचिव नवीन खुराना के मुताबिक कस्टम ड्यूटी बढ़ने और डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ने से कुछ दवाइयों के दाम में भारी इजाफा हुआ है.

price of antibiotics increased
price of antibiotics increased

देहरादून: साल 2020 में कोरोना महामारी की दस्तक के बाद से जहां आम जनता महंगाई से त्रस्त है, तो वहीं कई दवाओं के दामों में भी बीते एक साल में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो चुकी है. इसमें विशेषकर वह लाइफ सेविंग ड्रग्स शामिल हैं, जिनका पैकेजिंग मैटेरियल और API (Active Pharmaceutical ingredients ) विदेशों से भारत में आयात होता है.

बता दें, भारत में मुख्य रूप से हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, एंटीबायोटिक और कई विटामिन दवाइयों का एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट चीन से आयात होता है. इसके लिए भारत की चीन पर निर्भरता 80 से 90 फीसदी तक है. ऐसे में API कस्टम ड्यूटी के भारत में 35.7 फीसदी हो जाने से भारत में यह दवाइयां बीते एक साल में 15 से 20 फीसदी तक महंगी हो चुकी हैं.

एक साल में महंगी हो गई दवाइयां.

देहरादून केमिस्ट एसोसिएशन के महासचिव नवीन खुराना बताते हैं कि जिन दवाओं की MRP में बीते एक साल में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है, इसमें ज्यादातर वह दवाएं हैं, जिनकी मांग कोरोना की दस्तक के बाद काफी बढ़ गई थी. इसमें एजिथ्रोमाइसिन, एंटीबायोटिक, पैरासिटामोल, विटामिन सी और जिंक जैसी दवाएं शामिल हैं.

पढ़ें- चमोली में चीन बॉर्डर के लिए रुका सेना का मूवमेंट, दो दिन से बंद है मलारी-नीती रोड

खुराना बताते हैं कि एक तरफ कस्टम ड्यूटी में बीते एक साल में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. साथ ही पेट्रोल-डीजल के दामों में भी बढ़ोत्तरी की वजह से ट्रांसपोर्टेशन के दाम भी बढ़ गए, जिसका असर इन दवाओं के दामों पर भी पड़ा है.

देहरादून: साल 2020 में कोरोना महामारी की दस्तक के बाद से जहां आम जनता महंगाई से त्रस्त है, तो वहीं कई दवाओं के दामों में भी बीते एक साल में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो चुकी है. इसमें विशेषकर वह लाइफ सेविंग ड्रग्स शामिल हैं, जिनका पैकेजिंग मैटेरियल और API (Active Pharmaceutical ingredients ) विदेशों से भारत में आयात होता है.

बता दें, भारत में मुख्य रूप से हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, एंटीबायोटिक और कई विटामिन दवाइयों का एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट चीन से आयात होता है. इसके लिए भारत की चीन पर निर्भरता 80 से 90 फीसदी तक है. ऐसे में API कस्टम ड्यूटी के भारत में 35.7 फीसदी हो जाने से भारत में यह दवाइयां बीते एक साल में 15 से 20 फीसदी तक महंगी हो चुकी हैं.

एक साल में महंगी हो गई दवाइयां.

देहरादून केमिस्ट एसोसिएशन के महासचिव नवीन खुराना बताते हैं कि जिन दवाओं की MRP में बीते एक साल में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है, इसमें ज्यादातर वह दवाएं हैं, जिनकी मांग कोरोना की दस्तक के बाद काफी बढ़ गई थी. इसमें एजिथ्रोमाइसिन, एंटीबायोटिक, पैरासिटामोल, विटामिन सी और जिंक जैसी दवाएं शामिल हैं.

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खुराना बताते हैं कि एक तरफ कस्टम ड्यूटी में बीते एक साल में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. साथ ही पेट्रोल-डीजल के दामों में भी बढ़ोत्तरी की वजह से ट्रांसपोर्टेशन के दाम भी बढ़ गए, जिसका असर इन दवाओं के दामों पर भी पड़ा है.

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