उत्तराखंड: यूं तो धरती का स्वर्ग कश्मीर को कहते हैं, लेकिन उत्तराखंड की खूबसूरती भी जन्नत से कम नहीं, जहां एक ओर यहां प्रकृति के अनेक रूप निहारने को मिलते हैं, वहीं यहां के पहाड़ी व्यजंन देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोगों को अपनी ओर खींचते हैं. कहते हैं उत्तराखंड प्रकृति की गोद में है. तो अगर आपको अपनी जिंदगी से कुछ खास और हसीन पल बिताने हैं तो चले आइये देवों की भूमि उत्तराखंड में. यहां ना सिर्फ आपको प्रकृति से भेंट करने का मौका मिलेगा, बल्कि देवी-देवताओं से भी साक्षात्कार कर सकेंगे.
हर्षिल घाटी- उत्तकाशी जिले में स्थित हिमालय की गगन चूमती चोटियों की गोद में 7860 फीट की ऊंचाई पर बसे हर्षिल घाटी है. यहां की खूबसूरत वादियां, देवदार के घने जंगल, चारों ओर फैले बेशुमार सौंदर्य, रंग-बिरंगे खिले फूल, पहाड़ों पर पसरे हिमनद के बीच शांत होकर बहती भागीरथी (गंगा) नजर आती है. इन दिनों बर्फबारी की वजह से हर्षिल घाटी पूरी तरह से बर्फ से ढक गई है.
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औली- उत्तराखंड के चमोली में स्थित औली करीब 5-7 किमी का छोटा सा स्की- रिर्सोट है. यह स्थान हरे-भरे देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ है. यह स्थान विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों के लिए जाना जाता है. इन दिनों यहां हो रही बर्फबारी देखने लायक है. हर तरफ बिछी सफेद बर्फ की चादर पर्यटकों को खूब आकर्षित कर रही है.
चोपता- रुद्रप्रयाग जिले का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल चोपता दुगलबिट्टा में खूब बर्फबारी हो रही है. आसमान से जमकर बरसी बर्फ ने इस जगह को बेहद खूबसूरत बना दिया है. सड़कों से लेकर पेड़ पौधों पर भी बर्फ जमी हुई दिखाई दे रही है. यहां प्रसिद्ध तीर्थस्थलों के साथ ही पर्यटक स्थल भी हैं. इस जगह पर पर्यटकों और तीर्थयात्रियों का सालभर आना जाना लगा रहता है.
धनौल्टी- गढ़वाल में स्थित स्वर्ग का एक छोटा सा टुकड़ा है धनौल्टी. यहां आप स्नो राइड का आनंद ले सकते हैं जो आपको धौंली के बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच ले जाएगा. यहां सालभर मौसम ठंडा रहता है. दिसंबर के बाद यहां बर्फबारी शुरू हो जाती है. धनौल्टी में कैंपिंग की अच्छी सुविधा है, यह जगह एडवेंचर से भरपूर है. तो अगर आप एडवेंचर का शौक रखते हैं तो जरूर यहां आएं.
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मसूरी- पहाड़ों की रानी मसूरी तो इतनी खूबसूरत है कि इसकी व्याख्या भी नहीं कर सकते. जब यहां बर्फबारी शुरू होती है तो यहां आने का मजा ही और है. यहां साल में 3-4 बार बर्फबारी हो जाती है. बर्फबारी होते ही पर्यटकों का हुजूम उमड़ पड़ता है. इसकी वजह से कई बार मसूरी के नीचे किंगररेग तक के रास्ते जाम हो जाते हैं. मसूरी में आपको कम बजट में होटल मिल जाएंगे. बर्फबारी का मजा लेने के लिए पर्यटक मसूरी के लाल टिब्बा, किनोग हिल, जॉर्ज एवरेस्ट, गन हिल और क्लाउड ऐंड जैसी जगहों पर जा सकते हैं.
नैनीताल- ठंड में भी विदेशों से लोग नैनीताल घूमने आते हैं. इसकी बड़ी वजह है यहां होने वाली बर्फबारी, जो पर्यटकों को चुंबक की तरह अपनी ओर खींचती है. ठंड में नैनीताल का माल रोड पर्यटकों से पटा रहता है. आप नैनीताल शहर के ऊपर स्नो व्यू, टिफिन टॉप से लेकर किलवरी से दूर हिमालय दर्शन तक जा सकते हैं. हिमालय दर्शन से हिमालय की चोटियों पर बहुत ही शानदार नजारा दिखता है.
मूनस्यारी- मुनस्यारी एक खूबसूरत पर्वतीय स्थल है. यह उत्तराखण्ड में जिला पिथौरागढ़ का सीमांत क्षेत्र है जो एक तरफ तिब्बत सीमा और दूसरी ओर नेपाल सीमा से लगा हुआ है. मुनस्यारी चारों ओर से पर्वतों से घिरा हुआ है. पिथौरागढ़ की हिमनगरी मुनस्यारी में इन दिनों हुई बर्फबारी से जहां एक ओर पर्यटकों के चेहरे खिल उठे हैं, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों में भी खुशी का माहौल है. तो आप भी आइये यहां और उठाइये स्नोफॉल का लुत्फ.
अब चलिए आपको जरा ये भी बता दें कि आप उत्तराखंड कैसे आ सकते हैं?
वायु मार्ग से
राज्य का सबसे महत्वपूर्ण हवाई अड्डा देहरादून में जौलीग्रांट एयरपोर्ट है. यहां से दिल्ली के लिए नियमित उड़ानें हैं. इसके अलावा कुमाऊं क्षेत्र में पंतनगर एयरपोर्ट है, जहां घरेलू विमान सेवाएं उपलब्ध हैं.
रेल मार्ग से
राज्य में सिर्फ 345 किमी. रेलवे ट्रैक है. नैनीताल से 35 किमी. दूर काठगोदाम रेलवे स्टेशन है, जो उत्तर-पूर्वी रेलवे का करीब-करीब अंतिम स्टेशन है. यह नैनीताल को देहरादून, दिल्ली और हावड़ा से जोड़ता है. राज्य के पंतनगर, लालकुआं और हल्द्वानी में भी रेल सुविधा उपलब्ध है. देहरादून और हरिद्वार राज्य के दो प्रमुख स्टेशन हैं, जो देश के अधिकतर शहरों और हिस्से से जुड़े हुए हैं. ऋषिकेश, रामनगर और कोटद्वार में भी रेल सुविधा उपलब्ध है.
बस मार्ग से
राज्य में सड़कों का जाल अच्छी तरह फैला हुआ है. यहां 28,508 किमी. सड़कों का जाल है. इसमें से 1,328 किमी. सड़क नेशनल हाइवे और 1,543 किमी. स्टेट हाइवे के अंतर्गत आती हैं. सड़क मार्ग के लिए उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन बसें चलाता है. निजी ऑपरेटर भी बस, टैक्सी जैसी सुविधाएं देते हैं. राज्य के हर प्रमुख स्थान तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है.