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राष्ट्रीय पंचायती राज संगठन ने उत्तराखंड सरकार को लिखा पत्र, कहा- इस कुत्ते के नाम से हटाया जाए ये शब्द

हर साल उत्तराखंड के मेले में भोटिया कुत्ते बिकने के लिए पहुंचते हैं, जिनको लोग हाथों हाथ लेते हैं. लेकिन अब इन अब इन कुत्ते के नाम पर भोटिया जनजाति के लोगों ने आपत्ति जताई है. साथ ही लोगों ने सरकार से 'भोटिया कुत्ता' शब्द पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 4, 2023, 2:23 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के सीमांत जिला मुख्यालय के भोटिया जनजाति के लोगों ने सरकार से 'भोटिया कुत्ता' शब्द पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. लोगों ने कहा है कि सरकार शासन और जनजाति आयोग को पत्र लिखकर इस शब्द पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगना चाहिए. क्योंकि इससे भोटिया समुदाय के लोगों की भावनाएं आहत हो रही है. इसके बाद राज्य सरकार के धर्मस्य और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि कानूनी रूप से देखा जाएगा कि आखिरकार इसमें क्या कुछ हो सकता है.

कुत्ते के नाम पर लोगों को आपत्ति : दरअसल, उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में भेड़ बकरियों और घरों की रक्षा के लिए लोग इस कुत्ते को पालते हैं. इस कुत्ते की खासियत होती है कि यह बाघ जैसे जानवर से भी दो दो हाथ कर लेता है. इतना ही नहीं चरवाहे इस कुत्ते को इसलिए अपने साथ रखते हैं क्योंकि उनकी बकरियां हमेशा जंगलों में रहती है और ये कुत्ते उनकी बकरियों की रक्षा करते हैं. ऐसे में इस कुत्ते को लोग भोटिया नस्ल का कुत्ता कहते हैं. जबकि यह कुत्ता असल में शिप डॉग है, यानी झबरा कुत्ता जिसके शरीर पर बाल अधिक होते हैं.
पढ़ें-बाघ से भी भिड़ जाता है ये हिमालयन शीप डॉग, PM मोदी ने 'मन की बात' में किया था जिक्र

विशेष समुदाय की भावनाएं आहत: ये हर मौसम में पाला जा सकता है. लेकिन पहाड़ों में लोग इसे 'भोटिया कुत्ता' कहते हैं. ऐसे में भोटिया समुदाय के लोगों ने इस शब्द पर आपत्ति जताई है. बाकायदा राष्ट्रीय पंचायती राज संगठन ने शासन के साथ-साथ सरकार और जनजाति आयोग को एक पत्र लिखकर यह कहा है कि यह शब्द एक विशेष समुदाय की भावनाओं को आहत हो रही हैं और इस शब्द को चलन से हटाया जाए.

उत्तराखंड के इन जिलों में निवास करता है ये समुदाय: किसी जमाने में भोटिया समुदाय के लोग पहाड़ों में इस कुत्ते और भेड़ बकरियों को बेचा करते थे. तभी से यह शब्द चलन में आने लगा. लेकिन अब इसको लेकर लोगों का विरोध शुरू हो गया है. उत्तराखंड के चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, बनबसा और उत्तरकाशी के ऊपरी क्षेत्रों में यह समुदाय रहता है. ऐसे में सभी ने इस पर आपत्ति जताई है. उत्तराखंड सरकार में धर्मस्य और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज कहते हैं कि कानूनी रूप से हम इस मुद्दे को देख रहे हैं कि आखिरकार इस पर क्या कुछ हो सकता है. कोई पत्राचार में इस शब्द का प्रयोग नहीं होता. लेकिन लोग अगर अमूमन इस शब्द का प्रयोग कर रहे हैं तो प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है. ताकि लोग 'भोटिया कुत्ता' ना कहें, साथ ही इसे कुछ अन्य नाम से भी जाना या पुकारा जा सकता है.
पढ़ें-Bageshwar Uttarayani Fair: गुलदार से भी भिड़ जाता है उत्तराखंड का ये डॉगी, बहादुरी के हैं किस्से

क्या कह रहे जानकार: वरिष्ठ पत्रकार राजीव और बहुगुणा कहते हैं कि मुझे नहीं मालूम कि अभी शब्द पर आपत्ति अचानक क्यों हो रही है या आपत्ति पहले से ही हो जानी चाहिए थी. हां यह बात सही है कि इस समुदाय के लोगों के लिए यह कुत्ता बेहद खास है और आज भी हम पहाड़ों पर जाते हैं तो काफी संख्या में यह कुत्ता दिखाई देते हैं, जो बिल्कुल शेर की तरह होते हैं. अगर बाजारों में यह कुत्ता इसी नाम से बिक रहा है तो शुरुआत यहीं से होनी चाहिए.
पढ़ें-गुलदार से भी भिड़ जाता है उत्तराखंड का ये डॉगी, बहादुरी के हैं किस्से

क्या है इस कुत्ते की खासियत: ये कुत्ता ठंडे इलाकों में पाया जाता है. दुनिया के चुनिंदा कुत्ते में इस कुत्ता का नाम आता है. ये बेहद बुद्धिमान और फुर्तीले कुत्ते होते हैं. हिमालय क्षेत्रों में ही ये पाए जाते है. लोग इन्हे भेड़ बकरियों और घरों की सुरक्षा के लिए पालते हैं. भारी और बड़ा जबड़ा,भारी बदन और शांत स्वभाव इस कुत्ते की पहचान है. बेवजह भोंकते नहीं है और दिन में सोते हैं और रात को जागते रहते हैं.

मन की बात में पीएम मोदी ने किया था जिक्र: गौर हो कि 68 मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कुत्ते का जिक्र कर चुके हैं.प्रधानमंत्री मोदी ने इन कुत्तों की बहादुरी के किस्से भी सुनाए थे. पीएम मोदी ने मन की बात में सुरक्षाबलों के दो जांबाज कुत्तों सोफी और विदा का जिक्र करते किया था. साथ ही भारतीय नस्ल के इन कुत्तों की बहादुरी की जमकर तारीफ की थी.

भारतीय डाक विभाग ने जारी किया था टिकट: बताते चलें कि भारतीय डाक विभाग ने 9 जनवरी 2005 को भारतीय मूल के कुत्तों की नस्लों पर डाक टिकट जारी किया था. तीस-तीस लाख डाक टिकटों वाली इस सीरीज में पहला नंबर इसी नस्ल का था. इसके साथ ही रामपुर हाउंड, मुधोल हाउंड और राजपा लयम को भी डाक टिकट में जगह मिली थी.

शीप डॉग दुनिया में सबसे महंगी ब्रीड है: खासकर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और नेपाल के पहाड़ी इलाकों में हिमालयन शीप डॉग पाये जाते हैं. इन कुत्तों का भारी कद, बड़े-बड़े बाल और बड़ा जबड़ा होता है. कुत्तों की यह प्रजाति नेपाल और भारतीय मूल की है, ऐसा माना जाता रहा है.कुत्तों की यह प्रजाति दुनिया में सबसे महंगी ब्रीड है.

देहरादून: उत्तराखंड के सीमांत जिला मुख्यालय के भोटिया जनजाति के लोगों ने सरकार से 'भोटिया कुत्ता' शब्द पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. लोगों ने कहा है कि सरकार शासन और जनजाति आयोग को पत्र लिखकर इस शब्द पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगना चाहिए. क्योंकि इससे भोटिया समुदाय के लोगों की भावनाएं आहत हो रही है. इसके बाद राज्य सरकार के धर्मस्य और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि कानूनी रूप से देखा जाएगा कि आखिरकार इसमें क्या कुछ हो सकता है.

कुत्ते के नाम पर लोगों को आपत्ति : दरअसल, उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में भेड़ बकरियों और घरों की रक्षा के लिए लोग इस कुत्ते को पालते हैं. इस कुत्ते की खासियत होती है कि यह बाघ जैसे जानवर से भी दो दो हाथ कर लेता है. इतना ही नहीं चरवाहे इस कुत्ते को इसलिए अपने साथ रखते हैं क्योंकि उनकी बकरियां हमेशा जंगलों में रहती है और ये कुत्ते उनकी बकरियों की रक्षा करते हैं. ऐसे में इस कुत्ते को लोग भोटिया नस्ल का कुत्ता कहते हैं. जबकि यह कुत्ता असल में शिप डॉग है, यानी झबरा कुत्ता जिसके शरीर पर बाल अधिक होते हैं.
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विशेष समुदाय की भावनाएं आहत: ये हर मौसम में पाला जा सकता है. लेकिन पहाड़ों में लोग इसे 'भोटिया कुत्ता' कहते हैं. ऐसे में भोटिया समुदाय के लोगों ने इस शब्द पर आपत्ति जताई है. बाकायदा राष्ट्रीय पंचायती राज संगठन ने शासन के साथ-साथ सरकार और जनजाति आयोग को एक पत्र लिखकर यह कहा है कि यह शब्द एक विशेष समुदाय की भावनाओं को आहत हो रही हैं और इस शब्द को चलन से हटाया जाए.

उत्तराखंड के इन जिलों में निवास करता है ये समुदाय: किसी जमाने में भोटिया समुदाय के लोग पहाड़ों में इस कुत्ते और भेड़ बकरियों को बेचा करते थे. तभी से यह शब्द चलन में आने लगा. लेकिन अब इसको लेकर लोगों का विरोध शुरू हो गया है. उत्तराखंड के चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, बनबसा और उत्तरकाशी के ऊपरी क्षेत्रों में यह समुदाय रहता है. ऐसे में सभी ने इस पर आपत्ति जताई है. उत्तराखंड सरकार में धर्मस्य और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज कहते हैं कि कानूनी रूप से हम इस मुद्दे को देख रहे हैं कि आखिरकार इस पर क्या कुछ हो सकता है. कोई पत्राचार में इस शब्द का प्रयोग नहीं होता. लेकिन लोग अगर अमूमन इस शब्द का प्रयोग कर रहे हैं तो प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है. ताकि लोग 'भोटिया कुत्ता' ना कहें, साथ ही इसे कुछ अन्य नाम से भी जाना या पुकारा जा सकता है.
पढ़ें-Bageshwar Uttarayani Fair: गुलदार से भी भिड़ जाता है उत्तराखंड का ये डॉगी, बहादुरी के हैं किस्से

क्या कह रहे जानकार: वरिष्ठ पत्रकार राजीव और बहुगुणा कहते हैं कि मुझे नहीं मालूम कि अभी शब्द पर आपत्ति अचानक क्यों हो रही है या आपत्ति पहले से ही हो जानी चाहिए थी. हां यह बात सही है कि इस समुदाय के लोगों के लिए यह कुत्ता बेहद खास है और आज भी हम पहाड़ों पर जाते हैं तो काफी संख्या में यह कुत्ता दिखाई देते हैं, जो बिल्कुल शेर की तरह होते हैं. अगर बाजारों में यह कुत्ता इसी नाम से बिक रहा है तो शुरुआत यहीं से होनी चाहिए.
पढ़ें-गुलदार से भी भिड़ जाता है उत्तराखंड का ये डॉगी, बहादुरी के हैं किस्से

क्या है इस कुत्ते की खासियत: ये कुत्ता ठंडे इलाकों में पाया जाता है. दुनिया के चुनिंदा कुत्ते में इस कुत्ता का नाम आता है. ये बेहद बुद्धिमान और फुर्तीले कुत्ते होते हैं. हिमालय क्षेत्रों में ही ये पाए जाते है. लोग इन्हे भेड़ बकरियों और घरों की सुरक्षा के लिए पालते हैं. भारी और बड़ा जबड़ा,भारी बदन और शांत स्वभाव इस कुत्ते की पहचान है. बेवजह भोंकते नहीं है और दिन में सोते हैं और रात को जागते रहते हैं.

मन की बात में पीएम मोदी ने किया था जिक्र: गौर हो कि 68 मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कुत्ते का जिक्र कर चुके हैं.प्रधानमंत्री मोदी ने इन कुत्तों की बहादुरी के किस्से भी सुनाए थे. पीएम मोदी ने मन की बात में सुरक्षाबलों के दो जांबाज कुत्तों सोफी और विदा का जिक्र करते किया था. साथ ही भारतीय नस्ल के इन कुत्तों की बहादुरी की जमकर तारीफ की थी.

भारतीय डाक विभाग ने जारी किया था टिकट: बताते चलें कि भारतीय डाक विभाग ने 9 जनवरी 2005 को भारतीय मूल के कुत्तों की नस्लों पर डाक टिकट जारी किया था. तीस-तीस लाख डाक टिकटों वाली इस सीरीज में पहला नंबर इसी नस्ल का था. इसके साथ ही रामपुर हाउंड, मुधोल हाउंड और राजपा लयम को भी डाक टिकट में जगह मिली थी.

शीप डॉग दुनिया में सबसे महंगी ब्रीड है: खासकर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और नेपाल के पहाड़ी इलाकों में हिमालयन शीप डॉग पाये जाते हैं. इन कुत्तों का भारी कद, बड़े-बड़े बाल और बड़ा जबड़ा होता है. कुत्तों की यह प्रजाति नेपाल और भारतीय मूल की है, ऐसा माना जाता रहा है.कुत्तों की यह प्रजाति दुनिया में सबसे महंगी ब्रीड है.

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