देहरादून: उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में डॉक्टर्स की कमी और संसाधनों का टोटा कोई नई बात नहीं हैं. लेकिन अटल आयुष्मान योजना को ये खामियां इस कदर प्रभावित कर देंगी शायद ही किसी ने सोचा होगा. जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है. साथ ही मरीजों को सुविधा का बेहतर लाभ नहीं मिलने से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
अटल आयुष्मान योजना में तमाम खामियों को सिलसिलेवार तरीके से दिखा रहा ईटीवी भारत योजना की ऐसी दिक्कत को सामने लाया है जिसका अंदाजा योजना से जुड़े अधिकारियों को तो है लेकिन इसका समाधान किसी के पास नहीं हैं. दरअसल, अटल आयुष्मान योजना के लिए अब निजी अस्पताल एक बड़ी परेशानी बन गए हैं. यह परेशानी निजी अस्पतालों की पहाड़ों पर गैर मौजूदगी को लेकर है.
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पहाड़ों पर निजी अस्पतालों को लेकर ऐसे आंकड़े सामने आए हैं, जिसे देखकर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं. यही नहीं योजना से जुड़े अधिकारी भी कबूलते दिखाई दे रहे हैं कि पर्वतीय क्षेत्रों में इस सुविधा में कितनी परेशानियां सामने आ रही हैं.
अटल आयुष्मान योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुणेंद्र सिंह चौहान की मानें तो प्रदेश के पहाड़ी जिलों में निजी अस्पताल एंपैनल नहीं होने से योजना का बेहतर लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है. अरुणेंद्र सिंह चौहान साफ करते हैं कि उत्तराखंड के 13 जिलों में से 6 पहाड़ी जिलों में एक भी ऐसा निजी अस्पताल नहीं है.
जो अटल आयुष्मान योजना के तहत एंपैनल हो. यही नहीं बाकी तीन बाहरी जनपदों में भी इक्का-दुक्का निजी अस्पताल ही योजना के तहत एंपैनल है. बागेश्वर, चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में एक भी निजी अस्पताल अटल आयुष्मान के तहत एंपैनल नहीं है. यानी राज्य के 6 जिले अटल आयुष्मान योजना के तहत निजी अस्पताल से एंपैलन के मामले में शून्य हैं. अल्मोड़ा जिले में 01 निजी अस्पताल, टिहरी में 01 और पौड़ी में 2 निजि अस्पताल ही एंपैनल हैं.
प्रदेश में कुल 80 निजी अस्पताल अटल आयुष्मान योजना के तहत एंपैनल है. जिसमें से देहरादून में अकेले 29 अस्पताल, हरिद्वार में 20, उधम सिंह नगर में 19 और नैनीताल में 8 अस्पताल एंपैनल हैं. यानी 80 में से 66 अस्पताल तो अकेले मैदानी जिलों में ही एंपैनल हैं. अटल आयुष्मान योजना को लेकर यह आंकड़े इसलिए चिंताजनक हैं, क्योंकि प्रदेश के पहाड़ी जिलों में सरकारी अस्पतालों की हालत बदतर रही है और गंभीर बीमारियों के लिए सरकारी अस्पतालों में कोई संसाधन नहीं है. ऐसे में निजी अस्पतालों से जो उम्मीद की जा सकती थी, वह भी अटल आयुष्मान योजना के तहत पहाड़ों में पूरी नहीं हो पा रही है.