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उत्तराखंड: लापरवाही की हद पार कर रहे लोग, अभी नहीं टला कोरोना का खतरा - स्वास्थ्य विभाग की चिंता भी बढ़ गई

कोरोना की दो लहरों के दौरान बड़ी संख्या में मौत और ऑक्सीजन के लिए मारामारी का दर्द झेल चुके उत्तराखंडवासी कोरोना की दूसरी लहर खत्म होते ही बेहद लापरवाह हो गए हैं. ऐसे में खतरा पहले से ज्याद बढ़ गया है.

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Corona new variant news
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Published : Nov 27, 2021, 12:54 PM IST

देहरादून: कोरोना के लिहाज से उत्तराखंड के लिए राहत की बात ये है कि प्रदेश में एक्टिव केसों (जिनका इलाज चल रहा है) की संख्या कम होने लगी है, लेकिन खतरा ज्यादा बढ़ गया है. क्योंकि लोग अब पहले से ज्यादा लापरवाही बरत रहे हैं. वहीं देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) में 11 अधिकारियों (new corona cases in uttarakhand) के संक्रमित होने से स्वास्थ्य विभाग की चिंता भी बढ़ गई है.

उत्तराखंड में इस समय एक्टिव केसों की संख्या 144 हैं. ये आंकड़े बता रहे हैं कि प्रदेश में कोरोना की स्थिति काफी काबू में है. लेकिन चिंता इस बात की है कि कोरोना को लेकर बरती जा रही लापरवाही घातक साबित हो सकती है. कोरोना की दूसरी लहर को हर किसी ने बहुत करीब से देखा और महसूस किया, जब अस्पतालों के बाहर लाइन लग रही थी. लोग ऑक्सीजन के लिए भटक रहे थे. दवा के लिए तड़प रहे थे. ऐसा मंजर जिंदगी में पहली बार लोगों को देखने को मिला था. इसके बावजूद लोग वो सबकुछ भूल कर लापरवाही की हद पार कर रहे हैं. बाजार में भीड़ उमड़ रही है. शारीरिक दूरी की अनदेखी की जा रही है. लोग मास्क लगाना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं. हालांकि चिकित्सक तीसरी लहर को लेकर बार-बार लोगों से सावधान रहने की अपील कर रहे हैं. बावजूद लोग लापरवाही की हद (people are careless about corona guidelines) पार कर रहे हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड में 11 आईएफएस अधिकारी पाए गए कोरोना संक्रमित, बनाया गया कंटेनमेंट जोन

कहीं हो न जाए कोरोना विस्फोट: कुछ समय पहले तक प्रदेश में कोरोना की गाइडलाइन का पालन करने को लेकर शासन-प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की काफी अलर्ट नजर आ रहा था, लेकिन अब जैसे ही शासन-प्रशासन में सख्ती कम की लोगों ने भी लापरवाही बरतनी शुरू कर दी है. ऐसे में डर है कि कई दोबारा से कोरोना विस्फोट न हो जाए.

लापरवाही का आलम: आलम यह है कि सब्जी मंडी, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जैसे स्थानों पर कोरोना से बचाव के किसी भी पैरामीटर पर ध्यान नहीं दिया जा रहा. लोग बेहद लापरवाही से बसों में एक दूसरे से सट कर यात्रा कर रहे हैं, वहीं सब्जी मंडी में तो सुबह से लोग बिना मास्क और सोशल-डिस्टेंसिंग के ही घूम रहे हैं.

FRI के 11 अधिकारी संक्रमित: एफआरआई में 11 अधिकारियों के संक्रमित होने के बाद जिला प्रशासन में भी हड़कंप मच हुआ है. स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट मोड पर रखा गया है. खास तौर पर सर्विलांस टीम को एफआरआई के आसपास के क्षेत्रों में सर्विलांस करने के निर्देश भी दिए गए हैं. बता दें कि एफआरआई के नजदीक तिब्बती बस्ती में भी कोरोना संक्रमित लोग मिले हैं, और इस लिहाज से इनके संपर्क में आने वाले लोगों को भी चिन्हित किया जा रहा है.

पढ़ें- CORONA: देहरादून में दो इलाके कंटेनमेंट जोन घोषित, ये रहेंगी पाबंदियां

आंकड़ों पर एक नजर: उत्तराखंड में कोविड का 88 हफ्ते (616 दिन) हो चुके हैं. केस और मृत्यु दर निचले स्तर पर हैं. पिछले हफ्ते (14 से 20 नवंबर) सिर्फ 71,117 टेस्ट हुए, जो 40,000 दैनिक टेस्ट टारगेट की तुलना मे 75% कम यानी 10,000 दैनिक टेस्ट हो रहे हैं. त्योहार/छुट्टी को देखते हुए सरकार का पुरजोर फोकस टेस्ट पर लगा रहना चाहिए.

वहीं इस साल का खत्म होने में 40 दिन बचे हैं. उत्तराखंड सरकार को शत प्रतिशत टीकाकरण के लिये रोज 82,318 टीकों की ज़रुरत है. 10 दिन पहले टारगेट 75,014 था. अभी तक 1,54,58,932 टीकों पर 1,21,66,193 टीके लगे हैं और 32,92,739 टीकों की जरूरत हैं. अगर टीकाकरण मे तेजी नहीं आती तो लक्ष्य टाइम पर पूरा नहीं होगा.

देहरादून: कोरोना के लिहाज से उत्तराखंड के लिए राहत की बात ये है कि प्रदेश में एक्टिव केसों (जिनका इलाज चल रहा है) की संख्या कम होने लगी है, लेकिन खतरा ज्यादा बढ़ गया है. क्योंकि लोग अब पहले से ज्यादा लापरवाही बरत रहे हैं. वहीं देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) में 11 अधिकारियों (new corona cases in uttarakhand) के संक्रमित होने से स्वास्थ्य विभाग की चिंता भी बढ़ गई है.

उत्तराखंड में इस समय एक्टिव केसों की संख्या 144 हैं. ये आंकड़े बता रहे हैं कि प्रदेश में कोरोना की स्थिति काफी काबू में है. लेकिन चिंता इस बात की है कि कोरोना को लेकर बरती जा रही लापरवाही घातक साबित हो सकती है. कोरोना की दूसरी लहर को हर किसी ने बहुत करीब से देखा और महसूस किया, जब अस्पतालों के बाहर लाइन लग रही थी. लोग ऑक्सीजन के लिए भटक रहे थे. दवा के लिए तड़प रहे थे. ऐसा मंजर जिंदगी में पहली बार लोगों को देखने को मिला था. इसके बावजूद लोग वो सबकुछ भूल कर लापरवाही की हद पार कर रहे हैं. बाजार में भीड़ उमड़ रही है. शारीरिक दूरी की अनदेखी की जा रही है. लोग मास्क लगाना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं. हालांकि चिकित्सक तीसरी लहर को लेकर बार-बार लोगों से सावधान रहने की अपील कर रहे हैं. बावजूद लोग लापरवाही की हद (people are careless about corona guidelines) पार कर रहे हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड में 11 आईएफएस अधिकारी पाए गए कोरोना संक्रमित, बनाया गया कंटेनमेंट जोन

कहीं हो न जाए कोरोना विस्फोट: कुछ समय पहले तक प्रदेश में कोरोना की गाइडलाइन का पालन करने को लेकर शासन-प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की काफी अलर्ट नजर आ रहा था, लेकिन अब जैसे ही शासन-प्रशासन में सख्ती कम की लोगों ने भी लापरवाही बरतनी शुरू कर दी है. ऐसे में डर है कि कई दोबारा से कोरोना विस्फोट न हो जाए.

लापरवाही का आलम: आलम यह है कि सब्जी मंडी, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जैसे स्थानों पर कोरोना से बचाव के किसी भी पैरामीटर पर ध्यान नहीं दिया जा रहा. लोग बेहद लापरवाही से बसों में एक दूसरे से सट कर यात्रा कर रहे हैं, वहीं सब्जी मंडी में तो सुबह से लोग बिना मास्क और सोशल-डिस्टेंसिंग के ही घूम रहे हैं.

FRI के 11 अधिकारी संक्रमित: एफआरआई में 11 अधिकारियों के संक्रमित होने के बाद जिला प्रशासन में भी हड़कंप मच हुआ है. स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट मोड पर रखा गया है. खास तौर पर सर्विलांस टीम को एफआरआई के आसपास के क्षेत्रों में सर्विलांस करने के निर्देश भी दिए गए हैं. बता दें कि एफआरआई के नजदीक तिब्बती बस्ती में भी कोरोना संक्रमित लोग मिले हैं, और इस लिहाज से इनके संपर्क में आने वाले लोगों को भी चिन्हित किया जा रहा है.

पढ़ें- CORONA: देहरादून में दो इलाके कंटेनमेंट जोन घोषित, ये रहेंगी पाबंदियां

आंकड़ों पर एक नजर: उत्तराखंड में कोविड का 88 हफ्ते (616 दिन) हो चुके हैं. केस और मृत्यु दर निचले स्तर पर हैं. पिछले हफ्ते (14 से 20 नवंबर) सिर्फ 71,117 टेस्ट हुए, जो 40,000 दैनिक टेस्ट टारगेट की तुलना मे 75% कम यानी 10,000 दैनिक टेस्ट हो रहे हैं. त्योहार/छुट्टी को देखते हुए सरकार का पुरजोर फोकस टेस्ट पर लगा रहना चाहिए.

वहीं इस साल का खत्म होने में 40 दिन बचे हैं. उत्तराखंड सरकार को शत प्रतिशत टीकाकरण के लिये रोज 82,318 टीकों की ज़रुरत है. 10 दिन पहले टारगेट 75,014 था. अभी तक 1,54,58,932 टीकों पर 1,21,66,193 टीके लगे हैं और 32,92,739 टीकों की जरूरत हैं. अगर टीकाकरण मे तेजी नहीं आती तो लक्ष्य टाइम पर पूरा नहीं होगा.

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