देहरादून: पांच दिन पहले ही तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड के सीएम की कुर्सी से इस्तीफा दिया था. सिर्फ 115 दिन तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे तीरथ सिंह रावत के लिए नई राह खुल रही है. उन्हें आज होने जा रहे मोदी कैबिनेट के विस्तार में जगह मिल सकती है.
2012 में तीरथ चौबट्टाखाल से विधायक बने. 2013 में जब केदारनाथ आपदा के साथ पिथौरागढ़ में आपदा आई तो तीरथ आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के अध्यक्ष थे. इसी साल वो उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष बनाए गए.तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड बनने के बाद वर्ष 2000 में पहले शिक्षा मंत्री बनाए गए थे. 2007 में वो बीजेपी के प्रदेश महामंत्री बनाए गए. तीरथ बीजेपी के प्रदेश चुनाव अधिकारी और प्रदेश सदस्यता प्रमुख भी रहे.
तीरथ रावत हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्व विद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे हैं. वो छात्र संघ मोर्चा (उत्तर प्रदेश) में प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे. इसके बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा (उत्तर प्रदेश) के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे. तीरथ 1997 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य निर्वाचित हुए थे. तब उन्हें विधान परिषद् में विनिश्चय संकलन समिति का अध्यक्ष बनाया गया था.
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10 मार्च 2021 को तीरथ सिंह रावत उत्तराखण्ड के 10वें मुख्यमंत्री बने थे. पद संभालते ही तीरथ रावत ने महिलाओं के फटी जींस पहनने को लेकर विवादित बयान दिया था. इस पर उनकी कड़ी आलोचना हुई थी. उनके विवादित बयानों का सिलसिला थमा नहीं. 'अमेरिका ने भारत को 200 साल तक ग़ुलाम बनाया' और 'परिवार नियोजन' पर उनके विवादित बयान जारी रहे.
त्रिवेंद्र रावत सरकार के खिलाफ लोगों के बीच पनपे असंतोष को शांत करने के लिए मार्च में जब राष्ट्रीय नेतृत्व ने उन्हें इस्तीफा दिलवाकर नए मुख्यमंत्री का चुनाव किया तो बीजेपी के चुने गए 57 विधायकों में किसी को मौका नहीं मिला. उनके बदले सांसद तीरथ रावत को मुख्यमंत्री के तौर पर लाया गया.
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इसके पीछे विधायकों की आपसी कलह को सतह पर ना आने देने की रणनीति थी. लेकिन तीरथ सिंह रावत के पद संभालते ही दिए गए विवादित बयानों ने बीजेपी नेतृत्व को समझा दिया कि उनसे बड़ी चूक हो गई है. इसके बाद बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल किया.
तीरथ रावत को पौड़ी सीट से भारत के 17वें लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से प्रत्याशी बनाया गया था, जिसमें वे भारी मतों से विजयी हुए थे. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वन्दी कांग्रेस के मनीष खंडूड़ी को 2,85,003 से अधिक मतों से हराया था.
![Pauri MP Tirath Singh Rawa](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12382548_5.jpg)
AVBP के साथ जुड़कर छात्र राजनीति से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले तीरथ सिंह रावत 1992 में छात्रसंघ का चुनाव लड़े और अध्यक्ष चुने गए. वह भारतीय जनता युवा मोर्चा (उत्तर प्रदेश) के प्रदेश उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे है. साल 1997-2002 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे है.
तीरथ सिंह रावत साल 1983 से 1988 तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रहे और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (उत्तराखंड) के संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री रहे. साल 2000 में नए राज्य उत्तराखंड के पहले शिक्षा मंत्री चुने गए थे. इसके बाद 2007 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) उत्तराखंड के प्रदेश महामंत्री चुने गए और फिर प्रदेश चुनाव अधिकारी और प्रदेश सदस्यता प्रमुख भी रहे.
![Pauri MP Tirath Singh Rawat](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12382548_2.jpg)
साल 2013 में उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था और 2015 तक वह इस पद पर रहे. 2016 में सतपाल महाराज के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के बाद 2017 के विधानसभा चुनावों में सिटिंग विधायक तीरथ सिंह रावत का चौबट्टाखाल से टिकट कट गया था. इसी के बाद उन्हें 2017 में भाजपा का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया था.
इसके अलावा, उन्होंने हिमाचल प्रदेश के प्रभारी की जिम्मेदारी भी संभाली थी. जहां की चारों लोकसभा सीटें जिताकर तीरथ ने पार्टी में खुद के कद को और मजबूत किया. इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी ने तीरथ को गढ़वाल सीट से उतारा और वहां से जीत कर संसद पहुंचे.
![Pauri MP Tirath Singh Rawat](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12382548_6.jpg)
राम जन्मभूमि आंदोलन में दो माह तक जेल रहे तो राज्य आंदोलन में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया. तीरथ सिंह रावत ने संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए बीते दो जुलाई को इस्तीफा दे दिया था. इस दौरान वे 115 दिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे.