देहरादून: दून महिला अस्पताल में बच्चा बदल जाने का मामला आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है. हालांकि बाद में DNA रिपोर्ट आने के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई कि बच्चा बदला नहीं है वो अपनी मां के पास ही है.
दरअसल, 5 मार्च को दो महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया था. जिसमें अनिल की पत्नी आरती ने पुत्र को जन्म दिया था और और डोभालवाला निवासी उमेश शाह की पत्नी ने लड़की को जन्म दिया था, लेकिन गलतफहमी के चलते दोनों बच्चों के परिजन पुत्र होने का दावा करने लगे. सत्यता जानने के लिए बाल संरक्षण आयोग के प्रयासों से डीएनए टेस्ट कराने का निर्णय लिया गया. जिसके बाद रिपोर्ट आने के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो गया.
दून मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरिटेंडेंट केके टम्टा ने बताया कि देने की रिपोर्ट आ चुकी है. अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाए गए थे, कि बच्चे बदल दिए गए हैं. रिपोर्ट से स्पष्ट हो गया है कि किस परिजन का बच्चा कौन सा था. उन्होंने कहा कि बच्चों को परिजनों के सुपुर्द पहले ही कर दिया गया था. जिसमें लड़के वालों को लड़का वह लड़की वालों को लड़की हैंडओवर कर दी गई थी. डीएनए रिपोर्ट से साफ हो गया है कि लड़के वाले परिजनों का लड़का ही था और लड़की वाले परिजनों की लड़की ही थी.
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टम्टा ने बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आशा नेगी की सराहना करते हुए कहा कि वे समय-समय पर गरीब और असहाय मरीजों की सुध लेती रहती हैं, तो वहीं अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अस्पताल के स्टाफ पर बच्चा बदलने का आरोप लगाने वाले परिजन अस्पताल में अभी तक माफी मांगने तक नहीं आए.