ऋषिकेश: पशुलोक विस्थापित कॉलोनी में रहने वाले सात गांव के लोगों को भूमिधरी का अधिकार मिलना शुरू हो गया है. जिसकी शुरुआत तहसील प्रशासन ने डोबरा गांव के 163 लोगों को भूमिधरी की खतौनी उपलब्ध कराकर की. जल्दी ही 6 अन्य गांवों के लोगों को भी भूमिधरी की खतौनी देने का काम तहसील प्रशासन के अधिकारी करेंगे. खतौनी मिलने के बाद विस्थापित कॉलोनी के लोगों में खुशी का माहौल है.
पशुलोक में विस्थापित परिवारों को भूमिधरी के भू अभिलेख तैयार करने के लिए तहसील प्रशासन ने प्रत्येक विस्थापित काश्तकार को रसीदें वितरित की. इससे काश्तकारों को अब अभिलेख तैयार कर खातेदार बनाया जाएगा. विस्थापित समन्वय विकास समिति के अध्यक्ष हरि सिंह भंडारी ने बताया कि 22 वर्षों बाद विस्थापित क्षेत्र में रहने वाले लोगों भूमिधरी का अधिकार मिलने जा रहा है. उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक प्रेमचंद अग्रवाल की बदौलत पशुलोक को उनका अधिकार मिलने जा रहा है. उन्होंने कहा कि लंबे संघर्ष और मंत्री के सहयोग के बाद पशुलोक विस्थापित राजस्व ग्राम घोषित हुआ है. उन्होंने कहा कि पशुलोक विस्थापित राजस्व ग्राम घोषित होने के बाद अब भूमिधरी अधिकार की प्रक्रिया भी आरंभ हो गई है.
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उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में तहसील स्तर से एक एक्सपर्ट की टीम क्षेत्र में दस्तावेज तैयार करने हेतु सर्वे किया. अब दूसरे चरण में विस्थापित परिवारों को भूमिधरी के भू अभिलेख तैयार करने के लिए तहसील प्रशासन ने प्रत्येक काश्तकार को रसीदें वितरित की गई. समिति के अध्यक्ष हरि सिंह भंडारी ने बताया कि अब जिस तरह से टिहरी में उनके गांव थे उसी के तर्ज पर विस्थापित हुए क्षेत्रों को गांव का नाम दिया जाएगा. उन्होंने हर्ष जताते हुए कहा कि हमें अब ग्राम सभाओं को मिलने वाले लाभ अब हमको भी मिल सकेगा. सर्वे कानूनगो किशन सिंह नेगी ने बताया कि फिलहाल डोबरा गांव के लोगों को खतौनी की पर्ची दी जा रही है. इस क्षेत्र में कुल 163 परिवार हैं, जिनको खतौनी की पर्ची वितरित की गई है,उन्होंने बताया कि कुल सात गांव के लोगों को खतौनी की पर्ची बांटी जाएगी, जल्द ही अन्य गांव में भी शिविर लगाया जाएगा.