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600 आउटसोर्स कर्मी स्वास्थ्य मंत्री का आवास घेरेंगे, सरकार को दी चेतावनी

बीते 26 दिनों से सरकारी अस्पतालों और राजकीय मेडिकल कॉलेजों से हटाए गए आउट सोर्स कर्मचारी अपनी मांग को लेकर एकता विहार स्थित धरना स्थल में आंदोलनरत हैं. इसी बीच उन्होंने सरकार को चेताया है कि उन्हें स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों पर समायोजित नहीं किया जाता है, तो वह स्वास्थ्य मंत्री के आवास का घेराव करेंगे.

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Published : Aug 3, 2023, 11:05 AM IST

आउटसोर्स कर्मी स्वास्थ्य मंत्री के आवास का करेंगे घेराव

देहरादून: नौकरी से हटाए गए आउटसोर्स कर्मी एकता विहार में बेमियादी धरने पर बैठे हुए हैं. स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों पर बहाली नहीं किए जाने पर आंदोलनरत कोविड कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया है. उनका कहना है कि सरकार कोरोना काल में लगाए गए कर्मचारियों को सेवा विस्तार नहीं दे रही है, जबकि उन्होंने कोरोना के दौरान अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों की सेवा की, लेकिन जैसे ही कोरोना का प्रकोप कम हुआ, सरकार ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.

उधम सिंह नगर के सरकारी अस्पताल में तैनात रहे आउटसोर्स कर्मचारी रामनिवास का कहना है कि बीते 26 दिनों से आउटसोर्सिंग कर्मचारी अपनी सेवा विस्तार की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं, लेकिन सरकार उन्हें सिर्फ आश्वासन देने में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि अपनी मांग को लेकर उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री तक से वार्ता की, लेकिन अब तक उनकी मांगों का समाधान नहीं हो पाया है. सरकार ने कोरोना काल में कोरोना वॉरियर्स के कामों को सराहा, लेकिन जैसे ही कोरोना का प्रकोप कम हुआ, उन्हें नौकरी से हटा दिया गया. जिसके बाद उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है और उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

उत्तराखंड के समस्त कोविड-19 कर्मचारी संगठन के चमोली जिला अध्यक्ष संतोष राणा का कहना है कि कोविड काल में विभिन्न सरकारी अस्पतालों और राजकीय मेडिकल कॉलेजों में आउटसोर्स के माध्यम से अलग-अलग पदों पर कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी, जिन्होंने अपनी पूरी निष्ठा के साथ 3 वर्ष का कार्यकाल महामारी के दौरान सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पूरा किया, लेकिन सरकार ने 15 मार्च 2023 को एक बार फिर कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी. उसके बाद से सभी कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं.
ये भी पढ़े: टिहरी में नर्सिंग छात्राओं ने किया धरना खत्म, प्रधानाचार्य सबिस्ता अहमद नाज को हटाया गया, अंजू यादव को मिली जिम्मेदारी

उन्होंने कहा कि सरकार ने कुछ आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को डाटा एंट्री ऑपरेटर, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, स्टाफ नर्स के पदों पर समायोजित कर दिया है. इसके बाद भी करीब 600 कर्मचारियों का समायोजन होना बाकी है. सरकार की ओर से उन्हें सेवा बहाली को लेकर झूठे आश्वासन दिए जा रहे हैं. इसलिए उन्हें आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है. आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उन्हें स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों पर समायोजित नहीं किया जाता है, तो ऐसे में तमाम सामाजिक संगठनों का सहयोग लेकर उन्हें स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत का आवास घेरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
ये भी पढ़े: उत्तराखंड में हिंदूवादी संगठनों का प्रदर्शन, हरियाणा के नूंह हिंसा पर जताया आक्रोश

आउटसोर्स कर्मी स्वास्थ्य मंत्री के आवास का करेंगे घेराव

देहरादून: नौकरी से हटाए गए आउटसोर्स कर्मी एकता विहार में बेमियादी धरने पर बैठे हुए हैं. स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों पर बहाली नहीं किए जाने पर आंदोलनरत कोविड कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया है. उनका कहना है कि सरकार कोरोना काल में लगाए गए कर्मचारियों को सेवा विस्तार नहीं दे रही है, जबकि उन्होंने कोरोना के दौरान अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों की सेवा की, लेकिन जैसे ही कोरोना का प्रकोप कम हुआ, सरकार ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.

उधम सिंह नगर के सरकारी अस्पताल में तैनात रहे आउटसोर्स कर्मचारी रामनिवास का कहना है कि बीते 26 दिनों से आउटसोर्सिंग कर्मचारी अपनी सेवा विस्तार की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं, लेकिन सरकार उन्हें सिर्फ आश्वासन देने में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि अपनी मांग को लेकर उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री तक से वार्ता की, लेकिन अब तक उनकी मांगों का समाधान नहीं हो पाया है. सरकार ने कोरोना काल में कोरोना वॉरियर्स के कामों को सराहा, लेकिन जैसे ही कोरोना का प्रकोप कम हुआ, उन्हें नौकरी से हटा दिया गया. जिसके बाद उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है और उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

उत्तराखंड के समस्त कोविड-19 कर्मचारी संगठन के चमोली जिला अध्यक्ष संतोष राणा का कहना है कि कोविड काल में विभिन्न सरकारी अस्पतालों और राजकीय मेडिकल कॉलेजों में आउटसोर्स के माध्यम से अलग-अलग पदों पर कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी, जिन्होंने अपनी पूरी निष्ठा के साथ 3 वर्ष का कार्यकाल महामारी के दौरान सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पूरा किया, लेकिन सरकार ने 15 मार्च 2023 को एक बार फिर कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी. उसके बाद से सभी कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं.
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उन्होंने कहा कि सरकार ने कुछ आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को डाटा एंट्री ऑपरेटर, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, स्टाफ नर्स के पदों पर समायोजित कर दिया है. इसके बाद भी करीब 600 कर्मचारियों का समायोजन होना बाकी है. सरकार की ओर से उन्हें सेवा बहाली को लेकर झूठे आश्वासन दिए जा रहे हैं. इसलिए उन्हें आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है. आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उन्हें स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों पर समायोजित नहीं किया जाता है, तो ऐसे में तमाम सामाजिक संगठनों का सहयोग लेकर उन्हें स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत का आवास घेरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
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