देहरादून: कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे रहे आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं (Outsourced employees terminated) 31 मार्च को समाप्त कर दी गई थी. तब से ही पीआरडी और उपनल के आउटसोर्स कर्मचारी पुनः बहाली की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं. आज अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत स्वास्थ्य कर्मियों ने सचिवालय कूच (Secretariat march of outsourced employees) किया. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सचिवालय से पहले ही बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. रोके जाने से आक्रोशित प्रदर्शनकारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए. जिसके बाद सभी ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी (Slogans against the government of outsourced employees) की.
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन्होंने कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर मरीजों की सेवा की, लेकिन जब काम निकल गया तब सरकार ने उनकी सेवाएं समाप्त कर दी. प्रदर्शनकारी मुकेश ने कहा कि आज भी हम अपनी सेवा बहाली की मांग को लेकर 28 दिन से आंदोलनरत हैं. लेकिन सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है. उन्होंने कहा स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर हमारे निवेदन के संबंध में कहा था कि रिक्त पदों के सापेक्ष हमें समायोजित किया जाएगा. लेकिन आज तक हमारे समायोजन के संबंध में कोई भी शासनादेश जारी नहीं किया गया है.
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प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कोरोना महामारी की पहली, दूसरी और तीसरी लहर में उन्हें उपनल, पीआरडी, एनएचएम, जेड सिक्योरिटी के माध्यम से रखा गया था. लेकिन 31 मार्च को 2186 कर्मचारियों की स्वास्थ्य कर्मियों के रूप में सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. उन्होंने मांग की कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रसार की रोकथाम, बचाव और उपचार में तैनात 2186 संविदा कर्मचारियों को पुनः बहाली दी जाए. प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर वादाखिलाफी का भी आरोप लगाया.