ETV Bharat / state

दिल्ली में अक्टूबर के बाद उत्तराखंड रोडवेज की इन बसों की नो एंट्री, निगम को 200 नई बसों की दरकार

उत्तराखंड परिवहन निगम को दिल्ली सरकार ने अक्टूबर तक का समय दिया है, लेकिन निगम की जेब इस समय सीमा तक 200 बसों की जरूरत को पूरा करने की इजाजत ही नहीं दे रही है. मामला बीएस 6 बसों की अनुमति से जुड़ा है. जिसे दिल्ली सरकार ने एनसीआर क्षेत्र में एंट्री के लिए जरूरी किया है, लेकिन उत्तराखंड के पास बसों के बेड़े में BS 6 तकनीक की अपडेटेड बसें है ही नहीं. ऐसे में परिवहन निगम के पास अक्टूबर तक ऐसी बसों का बड़ा बेड़ा तैयार करने की चुनौती है.

Roadways Bus
उत्तराखंड रोडवेज बस
author img

By

Published : Aug 25, 2022, 2:13 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड परिवहन निगम का साल 2003 में अपने गठन के साथ ही घाटे से सीधा संबंध रहा है. स्थिति यह रही कि राज्य को उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद बसें तो मिली, लेकिन देनदारी में भागीदारी के साथ पहले साल ही निगम को करीब 10 करोड़ का घाटा हुआ. आज यह घाटा 22 सालों में करीब 500 करोड़ से ज्यादा का हो चुका है. हालत ये हैं कि परिवहन निगम अपनी परिसंपत्तियों को चिन्हित कर अब बेचने की भी तैयारी में जुट गया है. इस बीच निगम के सामने सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली सरकार के उस पत्र को लेकर है, जिसमें अक्टूबर तक दिल्ली आने वाली बसों को बीएस 6 (BS 6) स्तर का होने की बात कही गई है.

उत्तराखंड परिवहन निगम के पास फिलहाल करीब 1271 बसे हैं. जबकि, देहरादून से दिल्ली के लिए करीब 250 बसें संचालित की जा रही है. अनुबंधित बसों को जोड़ लिया जाए तो राज्य के पास करीब 50 बसें ऐसी है, जो अपडेटेड तकनीक BS 6 (BS6 Buses of Uttarakhand) की है. ऐसे में प्रदेश को अक्टूबर तक 200 बसों की जरूरत है. इसके लिए परिवहन निगम की तरफ से पिछले दिनों करीब 143 बसों का टेंडर भी जारी किया गया है, लेकिन मौजूदा स्थिति से यह लगता नहीं है कि अक्टूबर तक प्रदेश 200 बसों की व्यवस्था कर पाएगा. यानी दिल्ली सरकार ने अपने पत्र के अनुसार सख्ती की तो देहरादून से दिल्ली जाने वाले मुसाफिरों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

दिल्ली में अक्टूबर के बाद उत्तराखंड रोडवेज की इन बसों की नो एंट्री

वित्तीय वर्ष 2021-22 में करीब 74 करोड़ का घाटा लगाः उधर, इससे भी बड़ी चुनौती ये है कि करीब 500 करोड़ के घाटे में चल रहे परिवहन निगम की ओर से कैसे 200 बसों की खरीद की जा सकेगी. वित्तीय हालात को देखे तो 2021-22 वित्तीय वर्ष के दौरान परिवहन निगम को करीब 74 करोड़ का घाटा हुआ है. हालांकि, परिवहन निगम और विभागीय मंत्री चारधाम यात्रा के दौरान करीब 4 करोड़ के फायदे से गदगद हैं और स्थितियों को सुधारने की बात कह रहे हैं, लेकिन हाल ही में कांवड़ यात्रा के दौरान इसी परिवहन निगम को करीब डेढ़ करोड़ का नुकसान हुआ था.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड रोडवेज में कैशलेस होगा सफर, अब यात्री कर सकेंगे डिजिटल पेमेंट

क्या बोले परिवहन मंत्री? कुल मिलाकर आर्थिक खराब हालात में 200 बसों की व्यवस्था इतनी जल्दी करवाना, परिवहन निगम के लिए मुमकिन नहीं लग रहा है. इससे इतर परिवहन मंत्री चंदन राम दास (Transport Minister Chandan Ram Das) कहते हैं कि स्थितियां सुधर रही है और नई बसों की व्यवस्था करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

परिवहन विभाग प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर नए बस अड्डे के साथ पुरानी बसों के बेड़ों को बदलने पर भी विचार कर रहा है. इन हालात में इन्हीं व्यवस्थाओं को पूरा कर पाना मुश्किल है. ऐसे में दिल्ली सरकार की तरफ से पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए बसों की क्वालिटी को लेकर नई बाध्यता ने उत्तराखंड परिवहन निगम (Uttarakhand Transport Corporation) के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है.
ये भी पढ़ेंः परिवहन निगम को 18 साल में 520 करोड़ का घाटा, जानें वजह

देहरादूनः उत्तराखंड परिवहन निगम का साल 2003 में अपने गठन के साथ ही घाटे से सीधा संबंध रहा है. स्थिति यह रही कि राज्य को उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद बसें तो मिली, लेकिन देनदारी में भागीदारी के साथ पहले साल ही निगम को करीब 10 करोड़ का घाटा हुआ. आज यह घाटा 22 सालों में करीब 500 करोड़ से ज्यादा का हो चुका है. हालत ये हैं कि परिवहन निगम अपनी परिसंपत्तियों को चिन्हित कर अब बेचने की भी तैयारी में जुट गया है. इस बीच निगम के सामने सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली सरकार के उस पत्र को लेकर है, जिसमें अक्टूबर तक दिल्ली आने वाली बसों को बीएस 6 (BS 6) स्तर का होने की बात कही गई है.

उत्तराखंड परिवहन निगम के पास फिलहाल करीब 1271 बसे हैं. जबकि, देहरादून से दिल्ली के लिए करीब 250 बसें संचालित की जा रही है. अनुबंधित बसों को जोड़ लिया जाए तो राज्य के पास करीब 50 बसें ऐसी है, जो अपडेटेड तकनीक BS 6 (BS6 Buses of Uttarakhand) की है. ऐसे में प्रदेश को अक्टूबर तक 200 बसों की जरूरत है. इसके लिए परिवहन निगम की तरफ से पिछले दिनों करीब 143 बसों का टेंडर भी जारी किया गया है, लेकिन मौजूदा स्थिति से यह लगता नहीं है कि अक्टूबर तक प्रदेश 200 बसों की व्यवस्था कर पाएगा. यानी दिल्ली सरकार ने अपने पत्र के अनुसार सख्ती की तो देहरादून से दिल्ली जाने वाले मुसाफिरों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

दिल्ली में अक्टूबर के बाद उत्तराखंड रोडवेज की इन बसों की नो एंट्री

वित्तीय वर्ष 2021-22 में करीब 74 करोड़ का घाटा लगाः उधर, इससे भी बड़ी चुनौती ये है कि करीब 500 करोड़ के घाटे में चल रहे परिवहन निगम की ओर से कैसे 200 बसों की खरीद की जा सकेगी. वित्तीय हालात को देखे तो 2021-22 वित्तीय वर्ष के दौरान परिवहन निगम को करीब 74 करोड़ का घाटा हुआ है. हालांकि, परिवहन निगम और विभागीय मंत्री चारधाम यात्रा के दौरान करीब 4 करोड़ के फायदे से गदगद हैं और स्थितियों को सुधारने की बात कह रहे हैं, लेकिन हाल ही में कांवड़ यात्रा के दौरान इसी परिवहन निगम को करीब डेढ़ करोड़ का नुकसान हुआ था.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड रोडवेज में कैशलेस होगा सफर, अब यात्री कर सकेंगे डिजिटल पेमेंट

क्या बोले परिवहन मंत्री? कुल मिलाकर आर्थिक खराब हालात में 200 बसों की व्यवस्था इतनी जल्दी करवाना, परिवहन निगम के लिए मुमकिन नहीं लग रहा है. इससे इतर परिवहन मंत्री चंदन राम दास (Transport Minister Chandan Ram Das) कहते हैं कि स्थितियां सुधर रही है और नई बसों की व्यवस्था करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

परिवहन विभाग प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर नए बस अड्डे के साथ पुरानी बसों के बेड़ों को बदलने पर भी विचार कर रहा है. इन हालात में इन्हीं व्यवस्थाओं को पूरा कर पाना मुश्किल है. ऐसे में दिल्ली सरकार की तरफ से पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए बसों की क्वालिटी को लेकर नई बाध्यता ने उत्तराखंड परिवहन निगम (Uttarakhand Transport Corporation) के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है.
ये भी पढ़ेंः परिवहन निगम को 18 साल में 520 करोड़ का घाटा, जानें वजह

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.