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Joshimath Crisis: जमीन से निकल रहे पानी के रहस्य से उठा पर्दा! जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

उत्तराखंड के जोशीमठ में घरों के नीचे से फूटे जलस्रोत का वेग अब लगातर घट रहा है. इसके साथ ही पानी के सैंपल की प्राथमिक रिपोर्ट भी सामने आ गई है. पानी में केवल सिल्ट की मात्रा पाई गई है. जबकि, एनआईएच ने पानी में सीमेंट और तेल होने की बात को नकार दिया है. इसके अलावा यहां जो पानी रिस रहा है, उसका सैंपल एनटीपीसी के टनल से निकल रहे पानी से अलग है.

Joshimath Water Leakage
जोशीमठ में पानी का रिसाव
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Published : Jan 18, 2023, 6:48 PM IST

Updated : Jan 18, 2023, 7:55 PM IST

जोशीमठ की ताजा जानकारी देते आपदा सचिव आरके सिन्हा.

देहरादूनः जोशीमठ में दरार और भू-धंसाव पर सबकी नजर है. आज उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने जोशीमठ के ताजा हालातों की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि जोशीमठ में पानी का डिस्चार्ज घटकर 100 एलपीएम हो गया है. साथ ही जोशीमठ में तैनात तकनीकी संस्थानों के निदेशकों और वैज्ञानिकों को अध्ययन रिपोर्ट तत्काल साझा करने को कहा गया है. ताकि, आगे की कार्रवाई की जा सके.

उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में 6 जनवरी को पानी का रिसाव 540 एलपीएम था. जो वर्तमान में घटकर 100 एलपीएम हो गया है. एनआईएच यानी राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की (NIH) ने जोशीमठ में रिसाव से निकल रहे पानी के सैंपल का टेस्ट किया था. जिसकी प्रारंभिक रिपोर्ट एनआईएच ने साझा की है. जिसमें बताया गया है कि जोशीमठ की जमीन से फूट रहे पानी का सैंपल एनटीपीसी (NTPC) टनल के पानी के सैंपल से अलग है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड से दूर हुए पर्यटक, बुकिंग हो रही कैंसिल, कारोबारी निराश

जोशीमठ में फूट रहे पानी के सैंपल में नहीं मिला सीमेंट और तेलः वहीं, बताया जा रहा था कि जोशीमठ में निकल रहे पानी में केवल शिल्ट और मिट्टी है. उन्होंने बताया कि जिस तरह से कथित तौर पर कहा जा रहा था कि पानी में सीमेंट और तेल जैसा कुछ है तो यह रिपोर्ट में साबित नहीं हुआ है. एनआईएच की रिपोर्ट में साफ है कि इस पानी में केवल सिल्ट है. हालांकि, अभी यह फाइनल रिपोर्ट नहीं है.

आपदा सचिव आरके सिन्हा ने बताया कि मुख्य सचिव एसएस संधू ने जोशीमठ में कार्यरत विभिन्न तकनीकी संस्थानों के निदेशकों और वैज्ञानिकों से प्रभावित क्षेत्र का तत्काल अध्ययन कर रिपोर्ट जल्द से जल्द उपलब्ध कराने को कहा है. साथ ही कहा है कि जोशीमठ में दरार और भू-धंसाव का अध्ययन समयबद्ध तरीके से हो. साथ ही विभिन्न तकनीकी संस्थान अपनी अध्ययन रिपोर्ट एक दूसरे से साझा भी करें. अध्ययन रिपोर्ट में स्पष्टता के साथ ही समाधान की भी चर्चा की जाए.

वहीं, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में अस्थायी रूप से चिन्हित राहत शिविरों में 615 कक्ष हैं. जिनकी क्षमता 2190 लोगों के ठहरने की है. पीपलकोटी में 491 कक्ष हैं, जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है. अभी तक 849 भवनों में दरारें पड़ चुकी है. फिलहाल, सर्वेक्षण का काम जारी है.

उन्होंने कहा कि गांधीनगर में एक, सिंहधार में दो, मनोहर बाग में 5, सुनील में 7 क्षेत्र/वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं. जबकि, 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में मौजूद हैं. अभी तक 258 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किए गए हैं. वहीं, विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 865 है.
ये भी पढ़ेंः जोशीमठ के पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में आई दरारें, ध्वस्तीकरण का आदेश जारी

जोशीमठ की ताजा जानकारी देते आपदा सचिव आरके सिन्हा.

देहरादूनः जोशीमठ में दरार और भू-धंसाव पर सबकी नजर है. आज उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने जोशीमठ के ताजा हालातों की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि जोशीमठ में पानी का डिस्चार्ज घटकर 100 एलपीएम हो गया है. साथ ही जोशीमठ में तैनात तकनीकी संस्थानों के निदेशकों और वैज्ञानिकों को अध्ययन रिपोर्ट तत्काल साझा करने को कहा गया है. ताकि, आगे की कार्रवाई की जा सके.

उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में 6 जनवरी को पानी का रिसाव 540 एलपीएम था. जो वर्तमान में घटकर 100 एलपीएम हो गया है. एनआईएच यानी राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की (NIH) ने जोशीमठ में रिसाव से निकल रहे पानी के सैंपल का टेस्ट किया था. जिसकी प्रारंभिक रिपोर्ट एनआईएच ने साझा की है. जिसमें बताया गया है कि जोशीमठ की जमीन से फूट रहे पानी का सैंपल एनटीपीसी (NTPC) टनल के पानी के सैंपल से अलग है.
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जोशीमठ में फूट रहे पानी के सैंपल में नहीं मिला सीमेंट और तेलः वहीं, बताया जा रहा था कि जोशीमठ में निकल रहे पानी में केवल शिल्ट और मिट्टी है. उन्होंने बताया कि जिस तरह से कथित तौर पर कहा जा रहा था कि पानी में सीमेंट और तेल जैसा कुछ है तो यह रिपोर्ट में साबित नहीं हुआ है. एनआईएच की रिपोर्ट में साफ है कि इस पानी में केवल सिल्ट है. हालांकि, अभी यह फाइनल रिपोर्ट नहीं है.

आपदा सचिव आरके सिन्हा ने बताया कि मुख्य सचिव एसएस संधू ने जोशीमठ में कार्यरत विभिन्न तकनीकी संस्थानों के निदेशकों और वैज्ञानिकों से प्रभावित क्षेत्र का तत्काल अध्ययन कर रिपोर्ट जल्द से जल्द उपलब्ध कराने को कहा है. साथ ही कहा है कि जोशीमठ में दरार और भू-धंसाव का अध्ययन समयबद्ध तरीके से हो. साथ ही विभिन्न तकनीकी संस्थान अपनी अध्ययन रिपोर्ट एक दूसरे से साझा भी करें. अध्ययन रिपोर्ट में स्पष्टता के साथ ही समाधान की भी चर्चा की जाए.

वहीं, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में अस्थायी रूप से चिन्हित राहत शिविरों में 615 कक्ष हैं. जिनकी क्षमता 2190 लोगों के ठहरने की है. पीपलकोटी में 491 कक्ष हैं, जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है. अभी तक 849 भवनों में दरारें पड़ चुकी है. फिलहाल, सर्वेक्षण का काम जारी है.

उन्होंने कहा कि गांधीनगर में एक, सिंहधार में दो, मनोहर बाग में 5, सुनील में 7 क्षेत्र/वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं. जबकि, 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में मौजूद हैं. अभी तक 258 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किए गए हैं. वहीं, विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 865 है.
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Last Updated : Jan 18, 2023, 7:55 PM IST
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