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NTPC को NGT का आदेश, उत्तराखंड में पर्यावरण नुकसान के लिए दे 58 लाख

उत्तराखंड में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए एनजीटी ने एनटीपीसी को 58 लाख रुपए देने का आदेश दिया है.

NGT directs NTPC
NTPC को एनजीटी का आदेश
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Published : Feb 23, 2021, 4:03 PM IST

Updated : Feb 23, 2021, 6:57 PM IST

देहरादून: एनजीटी ने एनटीपीसी को उत्तराखंड में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए 58 लाख रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया है. एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने पाया कि चमोली में तपोवन विष्णुगाड़ पनबिजली परियोजना में कंपनी ने जो कूड़ा डंप किया वह खतरनाक था और क्षमता से करीब दोगुना था.

इसी आधार पर एनजीटी ने एनटीपीसी लिमिटेड की राज्य पीसीबी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. पीठ ने कहा कि 'पर्यावरण और वन मंत्रालय के दिशा- निर्देशों के अनुसार कूड़े का निपटान साइटों पर नहीं किया जा रहा था'. पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए 'पोलटर पे' सिद्धांत को सही ढंग से लागू किया गया है ऐसे में अपील खारिज की जा जाती है.

ट्रिब्यूनल ने कहा, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वसूल की जाने वाली मुआवजे की राशि का उपयोग पर्यावरण की बहाली के लिए किया जा सकता है. एनजीटी ने कहा कि एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड़ पनबिजली परियोजना का संचालन कर रहा है. उसने 5 कूड़ा निपटान साइट स्थापित की हैं. इनमें से तीन पूरी हो चुकी है जबकि दो अभी भी सक्रिय हैं. राज्य पीसीबी को इन्हीं में कमियां मिली थीं.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड कल रचेगा इतिहास, ATS के पहले महिला कमांडो दस्ते का होगा शुभारंभ

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एनटीपीसी की उस याचिका पर रोक लगा दी है, जिसमें उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए 57.96 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के आदेश की समीक्षा की मांग की गई थी. राज्य के स्वामित्व वाली एनटीपीसी डंपिंग जोन रखरखाव मानदंडों का उल्लंघन करते हुए पायी गयी. जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण को नुकसान हुआ है.

देहरादून: एनजीटी ने एनटीपीसी को उत्तराखंड में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए 58 लाख रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया है. एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने पाया कि चमोली में तपोवन विष्णुगाड़ पनबिजली परियोजना में कंपनी ने जो कूड़ा डंप किया वह खतरनाक था और क्षमता से करीब दोगुना था.

इसी आधार पर एनजीटी ने एनटीपीसी लिमिटेड की राज्य पीसीबी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. पीठ ने कहा कि 'पर्यावरण और वन मंत्रालय के दिशा- निर्देशों के अनुसार कूड़े का निपटान साइटों पर नहीं किया जा रहा था'. पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए 'पोलटर पे' सिद्धांत को सही ढंग से लागू किया गया है ऐसे में अपील खारिज की जा जाती है.

ट्रिब्यूनल ने कहा, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वसूल की जाने वाली मुआवजे की राशि का उपयोग पर्यावरण की बहाली के लिए किया जा सकता है. एनजीटी ने कहा कि एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड़ पनबिजली परियोजना का संचालन कर रहा है. उसने 5 कूड़ा निपटान साइट स्थापित की हैं. इनमें से तीन पूरी हो चुकी है जबकि दो अभी भी सक्रिय हैं. राज्य पीसीबी को इन्हीं में कमियां मिली थीं.

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एनटीपीसी की उस याचिका पर रोक लगा दी है, जिसमें उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए 57.96 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के आदेश की समीक्षा की मांग की गई थी. राज्य के स्वामित्व वाली एनटीपीसी डंपिंग जोन रखरखाव मानदंडों का उल्लंघन करते हुए पायी गयी. जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण को नुकसान हुआ है.

Last Updated : Feb 23, 2021, 6:57 PM IST
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