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महाकुंभ पर असर डाल सकता है कोरोना का नया स्ट्रेन, जानिए हकीकत

ब्रिटेन में मिले कोरोना के नए स्ट्रेन ने देश दुनिया की एक बार फिर से चिंता बढ़ा दी है. 2021 में होने वाले हरिद्वार महाकुंभ पर भी इसका असर पड़ सकता है. अगर न्यू कोरोना स्ट्रेन का संक्रमण तेजी से बढ़ता है तो महाकुंभ के स्वरूप को लेकर अहम बदलाव करने पड़ सकते हैं.

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महाकुंभ पर कोरोना का साया
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Published : Dec 31, 2020, 2:37 PM IST

Updated : Dec 31, 2020, 6:00 PM IST

देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते, 2021 में होने वाले महाकुंभ का स्वरूप अभी तक तय नहीं हो पाया है. हालांकि, राज्य सरकार महाकुंभ की व्यवस्था को व्यवस्थित करने में जुटी हुई है. वहीं, दूसरी ओर कोरोना के नए स्ट्रेन की बाद स्थितियां और बिगड़ती नजर आ रही हैं. जी हां, राज्य सरकार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को देखते हुए फरवरी माह के अंत तक महाकुंभ के स्वरूप को तय करने का फैसला लेगी. ऐसे में अगर कोरोना के नए स्ट्रेन की दस्तक तेजी से होती है तो इसका असर महाकुंभ पर भी पड़ना निश्चित है. आखिर क्या है इसके पीछे की वास्तविकता? देखिए हमारी खास रिपोर्ट.

महाकुंभ पर असर डाल सकता है कोरोना

महाकुंभ पर महामारी का असर

हरिद्वार में 2021 में होने वाले महाकुंभ पर वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण पहले ही असर डाल चुका है. 4 हजार करोड़ रुपए का बजट मात्र 800 करोड़ में सिमट गया है. दरअसल, हरिद्वार महाकुंभ देश के अन्य जगहों पर होने वाले महाकुंभ से अधिक समय तक चलता है. इस महामारी के चलते हरिद्वार महाकुंभ भी मात्र 48 दिन का रह गया है. अगर बात व्यवस्थाओं की करें तो व्यवस्थाएं भी वैश्विक महामारी के चलते काफी हद सिमट गई है. ऐसे में ब्रिटेन से फैल रहे कोरोना के नए स्ट्रेन ने केंद्र और राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है.

विदेशी भी महाकुंभ में होते हैं शामिल

भारत देश में 4 जगहों पर हर 12 साल में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है. हालांकि इस आयोजन के दौरान न सिर्फ देश के कोने कोने से श्रद्धालु महाकुंभ में शामिल होते हैं, बल्कि एनआरआई और विदेशी पर्यटक महाकुंभ में शामिल होने पहुंचते हैं. लेकिन ब्रिटेन से फैल रहे कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन ने राज्य सरकार के माथे पर शिकन ला दी है. क्योंकि अगर महाकुंभ में विदेशों से आने वाले लोग शामिल होते हैं तो ऐसे में संक्रमण के फैलने का खतरा काफी बढ़ सकता है. लिहाजा, फरवरी अंत तक जारी होने वाले महाकुंभ नोटिफिकेशन में राज्य सरकार विदेशियों के शामिल होने को लेकर कोई ठोस दिशा निर्देश जारी कर सकती है.

फरवरी में जारी होगा नोटिफिकेशन

उत्तराखंड सरकार ने पहले ही तय कर दिया है कि 2021 महाकुंभ का नोटिफिकेशन फरवरी माह के अंत में जारी किया जाएगा. यानी कुल मिलाकर देखें तो इस बार मात्र 48 दिन का ही महाकुंभ रहने वाला है. राज्य सरकार ने तय किया है कि तात्कालिक स्थिति को देखते हुए महाकुंभ के स्वरूप पर निर्णय लिया जाएगा. मौजूदा हालात यह है कि ब्रिटेन से कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन फैलने के बाद देश में सैकड़ों की संख्या में लोग ब्रिटेन से पहुंचे हैं.

कोरोना के नए स्ट्रेन ने बढ़ाई चिंता

ब्रिटेन से कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन सामने आने से सरकार की चिंता बढ़ गई है. क्योंकि कुंभ में बड़ी संख्या में विदेशी मेहमान भी शामिल होते हैं. ऐसे में कोई भी रियायत कोरोना संक्रमण की दर को बढ़ा सकती है. लिहाजा राज्य सरकार भीड़ प्रबंधन को लेकर कई योजनाओं पर विचार कर रही है. इसमें मुख्य रूप से, सर्विलांस सिस्टम को मजबूत कर एक जगह पर एकत्र होने वाली भीड़ से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना. कुंभ की अवधि को कम करने. अन्य राज्यों से कुंभ में शामिल होने वाले लोगों की जांच या फिर कोविड नेगेटिव सर्टिफिकेट की अनिवार्यता के साथ ही, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के संसाधनों को सीमित कर भीड़ को कम करना आदि शामिल हैं.

ये भी पढ़ें: राम मंदिर निर्माण: विहिप के धन संग्रह अभियान का उमा भारती ने किया समर्थन

महाकुंभ में तेजी से फैल सकता है संक्रमण

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का संकट अभी गया नहीं था कि दूसरा संकट कोरोना वायरस का न्यू स्ट्रेन आ गया है. ब्रिटेन से भारत आने वाले कुछ यात्री उत्तराखंड भी आए हैं. ऐसे में राज्य की स्थिति बिगड़ सकती है. साल 2010 हरिद्वार महाकुंभ की बात करें तो उस दौरान राज्य सरकार ने दावा किया था कि करीब 9 करोड़ लोग महाकुंभ में पहुंचे थे. ऐसे में अगर इस बार भी करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु महाकुंभ में हरिद्वार पहुंचते हैं तो संक्रमण का फैलना निश्चित है.

पहले भी महामारी ने कुंभ पर डाला है असर

उन्होंने कहा कि पहले हुए महाकुंभ पर गौर करें, तो यही देखने को मिला है कि जब भी देश में कोई महामारी फैली है उसका असर महाकुंभ में देखने को मिला है. क्योंकि महाकुंभ के दौरान महामारी तेजी से फैलती है. इससे पहले भी जब देश में हैजा और चेचक जैसी महामारी फैली थी, उस दौरान भी महाकुंभ में कई यात्रियों की मौत हो गई थी. ऐसे में अगर महाकुंभ के दौरान विदेशों से आने वाले यात्री शामिल होते हैं. खास तौर पर ब्रिटेन से आने वाले यात्री शामिल होते हैं तो कोरोना वायरस के न्यू स्ट्रेन का फैलाव तेजी से होगा. इसलिए राज्य सरकार को बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है. सरकार को इसके लिए रणनीति तैयार करनी होगी, ताकि महाकुंभ से जुड़ी परंपराओं का निर्वहन भी किया जा सके और संक्रमण का खतरा भी ना फैले.

कोरोना संक्रमण पर राजनीति शुरू

कोरोना वायरस के न्यू स्ट्रेन का महाकुंभ पर पड़ने वाले असर के सवाल पर भाजपा और कांग्रेस अपना अलग-अलग तर्क दे रहे हैं. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि आगामी महाकुंभ पर कोरोना वायरस के न्यू स्ट्रेन का व्यापक असर पड़ सकता है. राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण को बहुत हल्के में लिया है, लेकिन अब सरकार को कोरोना के नए स्ट्रेन को हल्के में नहीं लेना चाहिए. क्योंकि, महाकुंभ में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं. ऐसे में राज्य सरकार को प्लान बी पर भी काम करने की जरूरत है.

परिस्थियों के अनुरूप होगा महाकुंभ

जहां एक ओर कांग्रेस आगामी महाकुंभ पर कोरोना वायरस के न्यू स्ट्रेन का व्यापक असर पड़ने की बात कर रही है वहीं, दूसरी ओर भाजपा केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप काम करने की बात कह रही है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता विनय गोयल ने कहा कि कोरोना वायरस के न्यू स्ट्रेन को लेकर पूरा विश्व चिंतित है. ऐसे में इस न्यू स्ट्रेन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की निगाह है. जो भी डब्ल्यूएचओ की और आईसीएमआर की गाइडलाइन जारी होगी, उसी के तहत कार्य किया जाएगा. यही नहीं, भविष्य में जैसी परिस्थिति होगी, उन्हीं परिस्थितियों के अनुसार कार्य किया जाएगा, लेकिन लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाएगा.

देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते, 2021 में होने वाले महाकुंभ का स्वरूप अभी तक तय नहीं हो पाया है. हालांकि, राज्य सरकार महाकुंभ की व्यवस्था को व्यवस्थित करने में जुटी हुई है. वहीं, दूसरी ओर कोरोना के नए स्ट्रेन की बाद स्थितियां और बिगड़ती नजर आ रही हैं. जी हां, राज्य सरकार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को देखते हुए फरवरी माह के अंत तक महाकुंभ के स्वरूप को तय करने का फैसला लेगी. ऐसे में अगर कोरोना के नए स्ट्रेन की दस्तक तेजी से होती है तो इसका असर महाकुंभ पर भी पड़ना निश्चित है. आखिर क्या है इसके पीछे की वास्तविकता? देखिए हमारी खास रिपोर्ट.

महाकुंभ पर असर डाल सकता है कोरोना

महाकुंभ पर महामारी का असर

हरिद्वार में 2021 में होने वाले महाकुंभ पर वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण पहले ही असर डाल चुका है. 4 हजार करोड़ रुपए का बजट मात्र 800 करोड़ में सिमट गया है. दरअसल, हरिद्वार महाकुंभ देश के अन्य जगहों पर होने वाले महाकुंभ से अधिक समय तक चलता है. इस महामारी के चलते हरिद्वार महाकुंभ भी मात्र 48 दिन का रह गया है. अगर बात व्यवस्थाओं की करें तो व्यवस्थाएं भी वैश्विक महामारी के चलते काफी हद सिमट गई है. ऐसे में ब्रिटेन से फैल रहे कोरोना के नए स्ट्रेन ने केंद्र और राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है.

विदेशी भी महाकुंभ में होते हैं शामिल

भारत देश में 4 जगहों पर हर 12 साल में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है. हालांकि इस आयोजन के दौरान न सिर्फ देश के कोने कोने से श्रद्धालु महाकुंभ में शामिल होते हैं, बल्कि एनआरआई और विदेशी पर्यटक महाकुंभ में शामिल होने पहुंचते हैं. लेकिन ब्रिटेन से फैल रहे कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन ने राज्य सरकार के माथे पर शिकन ला दी है. क्योंकि अगर महाकुंभ में विदेशों से आने वाले लोग शामिल होते हैं तो ऐसे में संक्रमण के फैलने का खतरा काफी बढ़ सकता है. लिहाजा, फरवरी अंत तक जारी होने वाले महाकुंभ नोटिफिकेशन में राज्य सरकार विदेशियों के शामिल होने को लेकर कोई ठोस दिशा निर्देश जारी कर सकती है.

फरवरी में जारी होगा नोटिफिकेशन

उत्तराखंड सरकार ने पहले ही तय कर दिया है कि 2021 महाकुंभ का नोटिफिकेशन फरवरी माह के अंत में जारी किया जाएगा. यानी कुल मिलाकर देखें तो इस बार मात्र 48 दिन का ही महाकुंभ रहने वाला है. राज्य सरकार ने तय किया है कि तात्कालिक स्थिति को देखते हुए महाकुंभ के स्वरूप पर निर्णय लिया जाएगा. मौजूदा हालात यह है कि ब्रिटेन से कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन फैलने के बाद देश में सैकड़ों की संख्या में लोग ब्रिटेन से पहुंचे हैं.

कोरोना के नए स्ट्रेन ने बढ़ाई चिंता

ब्रिटेन से कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन सामने आने से सरकार की चिंता बढ़ गई है. क्योंकि कुंभ में बड़ी संख्या में विदेशी मेहमान भी शामिल होते हैं. ऐसे में कोई भी रियायत कोरोना संक्रमण की दर को बढ़ा सकती है. लिहाजा राज्य सरकार भीड़ प्रबंधन को लेकर कई योजनाओं पर विचार कर रही है. इसमें मुख्य रूप से, सर्विलांस सिस्टम को मजबूत कर एक जगह पर एकत्र होने वाली भीड़ से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना. कुंभ की अवधि को कम करने. अन्य राज्यों से कुंभ में शामिल होने वाले लोगों की जांच या फिर कोविड नेगेटिव सर्टिफिकेट की अनिवार्यता के साथ ही, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के संसाधनों को सीमित कर भीड़ को कम करना आदि शामिल हैं.

ये भी पढ़ें: राम मंदिर निर्माण: विहिप के धन संग्रह अभियान का उमा भारती ने किया समर्थन

महाकुंभ में तेजी से फैल सकता है संक्रमण

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का संकट अभी गया नहीं था कि दूसरा संकट कोरोना वायरस का न्यू स्ट्रेन आ गया है. ब्रिटेन से भारत आने वाले कुछ यात्री उत्तराखंड भी आए हैं. ऐसे में राज्य की स्थिति बिगड़ सकती है. साल 2010 हरिद्वार महाकुंभ की बात करें तो उस दौरान राज्य सरकार ने दावा किया था कि करीब 9 करोड़ लोग महाकुंभ में पहुंचे थे. ऐसे में अगर इस बार भी करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु महाकुंभ में हरिद्वार पहुंचते हैं तो संक्रमण का फैलना निश्चित है.

पहले भी महामारी ने कुंभ पर डाला है असर

उन्होंने कहा कि पहले हुए महाकुंभ पर गौर करें, तो यही देखने को मिला है कि जब भी देश में कोई महामारी फैली है उसका असर महाकुंभ में देखने को मिला है. क्योंकि महाकुंभ के दौरान महामारी तेजी से फैलती है. इससे पहले भी जब देश में हैजा और चेचक जैसी महामारी फैली थी, उस दौरान भी महाकुंभ में कई यात्रियों की मौत हो गई थी. ऐसे में अगर महाकुंभ के दौरान विदेशों से आने वाले यात्री शामिल होते हैं. खास तौर पर ब्रिटेन से आने वाले यात्री शामिल होते हैं तो कोरोना वायरस के न्यू स्ट्रेन का फैलाव तेजी से होगा. इसलिए राज्य सरकार को बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है. सरकार को इसके लिए रणनीति तैयार करनी होगी, ताकि महाकुंभ से जुड़ी परंपराओं का निर्वहन भी किया जा सके और संक्रमण का खतरा भी ना फैले.

कोरोना संक्रमण पर राजनीति शुरू

कोरोना वायरस के न्यू स्ट्रेन का महाकुंभ पर पड़ने वाले असर के सवाल पर भाजपा और कांग्रेस अपना अलग-अलग तर्क दे रहे हैं. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि आगामी महाकुंभ पर कोरोना वायरस के न्यू स्ट्रेन का व्यापक असर पड़ सकता है. राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण को बहुत हल्के में लिया है, लेकिन अब सरकार को कोरोना के नए स्ट्रेन को हल्के में नहीं लेना चाहिए. क्योंकि, महाकुंभ में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं. ऐसे में राज्य सरकार को प्लान बी पर भी काम करने की जरूरत है.

परिस्थियों के अनुरूप होगा महाकुंभ

जहां एक ओर कांग्रेस आगामी महाकुंभ पर कोरोना वायरस के न्यू स्ट्रेन का व्यापक असर पड़ने की बात कर रही है वहीं, दूसरी ओर भाजपा केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप काम करने की बात कह रही है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता विनय गोयल ने कहा कि कोरोना वायरस के न्यू स्ट्रेन को लेकर पूरा विश्व चिंतित है. ऐसे में इस न्यू स्ट्रेन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की निगाह है. जो भी डब्ल्यूएचओ की और आईसीएमआर की गाइडलाइन जारी होगी, उसी के तहत कार्य किया जाएगा. यही नहीं, भविष्य में जैसी परिस्थिति होगी, उन्हीं परिस्थितियों के अनुसार कार्य किया जाएगा, लेकिन लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाएगा.

Last Updated : Dec 31, 2020, 6:00 PM IST
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