देहरादून: कई हैंगिंग ग्लेशियरों के टूटने से आई चमोली आपदा के दौरान ऋषिगंगा नदी में अचानक मलबा आ गया. वहीं, मलबे से बनी झील की गहराई नापना अब एक नई चुनौती बना गया है. इस झील को लेकर भविष्य में बनने वाली संभावनाओं के मद्देनजर इसकी गहराई नापने के लिए नौसेना के गोताखोरों ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है.
![चमोली आपदा में बनी झील](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10705271_pic.jpg)
एसडीआरएफ डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल के मुताबिक नौसेना के गोताखोर इस झील में उतरकर जल्द ही इसकी गहराई को मापने की कार्रवाई पूरी कर लेंगे. नौसेना का दल शनिवार को जोशीमठ से झील की तरफ रवाना हो गया है. बता दें कि बीते 7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी में आए सैलाब आया था. ग्लेशियर टूटन से ऋषिगंगा में करीब 300 मीटर लंबी झील बन गई है. ऐसे में इस झील का जलस्तर बढ़ने से भविष्य में प्राकृतिक आपदा का खतरा बढ़ गया है.
![ऋषिगंगा में बनी झील](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10705271_pic1.jpg)
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हालांकि, इस संबंध में वैज्ञानिकों का एक विशेष दल झील से होने वाली खतरों की आशंकाओं को तलाशने के लिए अध्ययन में जुटा है. इस अनुसंधान में सबसे बड़ी बात झील की गहराई को सबसे पहले माप कर उसका अनुमान लगाना है.
![झील की गहराई नापेंगे नौसेना के गोताखोर](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10705271_chamoli.jpg)
एसडीआरएफ डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल के मुताबिक नौसेना का विशेष गोताखोर दल जल्द ही ऋषि गंगा में बनी झील की गहराई को मापेगा. उसके बाद उसकी समस्त रिपोर्ट संबंधित वैज्ञानिकों के सामने रखी जाएगी. रिपोर्ट के आधार पर झील से बचाव के उपाय को तलाशने का कार्य शुरू होगा.