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राष्ट्रीय डाक सप्ताह: विभाग कर रहा लोगों को जागरूक, कोरियर सर्विस का मिल रहा लाभ

भारतीय डाक विभाग 9 अक्टूबर से 7 दिनों का राष्ट्रीय डाक सप्ताह मना रहा है. इस साप्ताहिक कार्यक्रम में डाक विभाग अपनी नीतियों और योजनाओं से जनता को रूबरू कराता है.

राष्ट्रीय डाक सप्ताह.
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Published : Oct 13, 2019, 5:00 PM IST

देहरादून: देश के सबसे पुराने विभागों में शामिल भारतीय डाक विभाग हर साल 9 अक्टूबर से डाक सप्ताह मनाता है. इस डाक सप्ताह को मनाने का मकसद विभाग की चल रही तमाम योजनाओं के प्रति जनता को जागरूक करना है. वहीं, जिस तरह से नई तकनीकियां विकसित हो रही हैं, डाक विभाग धीरे-धीरे इन तकनीकियों को अपनाता जा रहा है. लेकिन, शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में डाक विभाग आज भी अपना वर्चस्व बनाए हुए है.

राष्ट्रीय डाक सप्ताह कार्यक्रम.

पूरे देश में 1,55,000 डाकघर हैं और पूरे विश्व में इतना बड़ा डाक नेटवर्क किसी भी देश में नहीं है. भारत में इतना बड़ा डाक नेटवर्क होने का सबसे ज्यादा फायदा ये है कि सबसे दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में डाक पहुंच जाता है. जो प्राइवेट कोरियर हैं वो बस शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित हैं, लेकिन जब ग्रामीण क्षेत्रों में डाक पहुंचाने की बात आती है तो सिर्फ भारतीय डाक विभाग ही अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है.

इसके साथ ही टेक्नोलॉजी, सेवाएं या फिर किसी भी तरीके की सरकारी योजना, जो डाक विभाग के माध्यम से क्रियान्वित की जाती हैं. ग्रामीण क्षेत्रों की बेहतरी के लिए डाक विभाग प्रतिवर्ष ग्रामीण क्षेत्रों का इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट, कैश रखने के लिए कैश चेस्ट, फर्नीचर की व्यवस्था करता है. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के डाक सेवकों को हैंडहेल्ड डिवाइसेस भी प्रदान किए गए हैं.

ये भी पढ़ें: विधायक ठुकराल के बयान को सीएम ने बताया शर्मनाक, कहा- ऐसे बयानों से बचें जनप्रतिनिधि

ग्रामीण क्षेत्रों में डाक सेवकों के भीतर जो असुरक्षा की भावना थी, उसको लेकर डाक सेवकों के काम करने के हिसाब से सैलरी बढ़ाई गई थी. यही नहीं, नई तकनीकी के साथ जुड़कर ग्रामीण क्षेत्रों के डाक सेवक, डाक विभाग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के डाक सेवकों का डाक विभाग की योजनाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने में अहम भूमिका होती है.

देहरादून: देश के सबसे पुराने विभागों में शामिल भारतीय डाक विभाग हर साल 9 अक्टूबर से डाक सप्ताह मनाता है. इस डाक सप्ताह को मनाने का मकसद विभाग की चल रही तमाम योजनाओं के प्रति जनता को जागरूक करना है. वहीं, जिस तरह से नई तकनीकियां विकसित हो रही हैं, डाक विभाग धीरे-धीरे इन तकनीकियों को अपनाता जा रहा है. लेकिन, शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में डाक विभाग आज भी अपना वर्चस्व बनाए हुए है.

राष्ट्रीय डाक सप्ताह कार्यक्रम.

पूरे देश में 1,55,000 डाकघर हैं और पूरे विश्व में इतना बड़ा डाक नेटवर्क किसी भी देश में नहीं है. भारत में इतना बड़ा डाक नेटवर्क होने का सबसे ज्यादा फायदा ये है कि सबसे दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में डाक पहुंच जाता है. जो प्राइवेट कोरियर हैं वो बस शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित हैं, लेकिन जब ग्रामीण क्षेत्रों में डाक पहुंचाने की बात आती है तो सिर्फ भारतीय डाक विभाग ही अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है.

इसके साथ ही टेक्नोलॉजी, सेवाएं या फिर किसी भी तरीके की सरकारी योजना, जो डाक विभाग के माध्यम से क्रियान्वित की जाती हैं. ग्रामीण क्षेत्रों की बेहतरी के लिए डाक विभाग प्रतिवर्ष ग्रामीण क्षेत्रों का इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट, कैश रखने के लिए कैश चेस्ट, फर्नीचर की व्यवस्था करता है. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के डाक सेवकों को हैंडहेल्ड डिवाइसेस भी प्रदान किए गए हैं.

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ग्रामीण क्षेत्रों में डाक सेवकों के भीतर जो असुरक्षा की भावना थी, उसको लेकर डाक सेवकों के काम करने के हिसाब से सैलरी बढ़ाई गई थी. यही नहीं, नई तकनीकी के साथ जुड़कर ग्रामीण क्षेत्रों के डाक सेवक, डाक विभाग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के डाक सेवकों का डाक विभाग की योजनाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने में अहम भूमिका होती है.

Intro:देश के सबसे पुराने विभागों में शामिल भारतीय डाक विभाग हर साल 9 अक्टूबर से 7 दिनों का राष्ट्रीय डाक सप्ताह मानता है। जिसका मकशद डाक विभाग की चल रही तमाम योजनाओं के प्रति जनता को जागरूक करना है। हालांकि जिस तरह से नयी तकनीकियां आती जा रही है धीरे-धीरे डाक विभाग इन तकनीकियों को अपनाता जा रहा है। यही नही शहरी क्षेत्रों के डाक विभाग और डाक सेवक तो हाईटेक हो है, तो ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में क्या स्तिथि है डाक विभाग की, देखिये ईटीवी भारत की रिपोर्ट....





Body:विश्व का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क है भारतीय डाक सेवा.....

पूरे देश में 1,55,000 डाकघर है और पूरे विश्व में इतना बड़ा डाक नेटवर्क किसी भी देश में नहीं है। भारत में इतना बड़ा डाक नेटवर्क होने का सबसे ज्यादा फायदा यह है कि सबसे दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में डाक पहुंच जाता है। लेकिन जो प्राइवेट कोरियर है वह बस शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित है लेकिन जब ग्रामीण क्षेत्रों में डाक पहुंचाने की बात आती है तो सिर्फ और सिर्फ भारतीय डाक विभाग ही अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।


ग्रामीण क्षेत्रों के डाक कार्यालय भी है हाईटेक......

इसके साथ ही टेक्नोलॉजी हो, सेवाएं हो या फिर किसी भी तरीके की सरकारी योजना, जो डाक विभाग के माध्यम से क्रियान्वित करने को मिलता है उसमें डाक विभाग अपना पूरा सहयोग दे रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों की बेहतरी के लिए डाक विभाग प्रतिवर्ष ग्रामीण क्षेत्रों की इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट, जैसे कैश रखने के लिए कैश चेस्ट, फर्नीचर की व्यवस्था करता है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के डाक सेवकों को हैंडहेल्ड डिवाइसेस भी प्रदान किए गए हैं। 


ग्रामीण क्षेत्रों में डाक सेवको की होती है अहम भूमिका....

ग्रामीण क्षेत्रों में डाक सेवकों के भीतर जो असुरक्षा की भावना थी, उसको लेकर डाक सेवको के काम करने के हिसाब से सैलरी बढ़ाई गई थी। यही नही नई तकनीकी के साथ जुड़कर ग्रामीण क्षेत्रों के डाक सेवक, डाक विभाग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के डाक सेवकों का डाक विभाग की योजनाओं में के प्रति लोगों को जागरूक करने में अहम भूमिका होती है क्योंकि जो भी योजनाएं डाक विभाग द्वारा संचालित की जाती है। उन योजनाओं को डाक सेवक ही घर-घर तक पहुंचाते हैं। 

बाइट - सुनील कुमार राय, निदेशक, उत्तराखंड सर्कल, भारतीय डाक सेवा




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