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तो क्या पूर्व मुख्यमंत्रियों से होगा किराया वसूल... या इख्तियार होगा नया फार्मूला ?

कांग्रेस सरकार के एक पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पहले ही सरकारी सुविधाओं को नमस्ते कर दिया था. जिसके कारण उन पर इस आदेश का कोई खास असर नहीं होना है.

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Published : May 4, 2019, 11:48 PM IST

Updated : May 6, 2019, 12:06 PM IST

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देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी आवास का बकाया किराया बाजार दर पर 6 माह के भीतर जमा करने के हाई कोर्ट के आदेश को लेकर सियासी गलियारों में हलचल है. हाई कोर्ट के इस फैसले की जद में आए पांचों पूर्व मुख्यमंत्रियों को बचाने के लिए माथा पच्ची शुरू हो चुकी है.

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हालांकि उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों की आवसीय सुविधा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए पूर्व सीएम हरीश रावत ने सरकारी आवास की कोई सुविधा नहीं ली थी. हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद उत्तराखंड के 5 पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, बीसी खंडूड़ी, भगत सिंह कोश्यारी, विजय बहुगुणा और दिवंगत एनडी तिवारी को 6 महीने भीतर सरकारी आवासों का बकाया किराया देना होगा.

कोर्ट के इस फैसले के बाद सबसे ज्यादा मुश्किल बीजेपी नेताओं के लिए है. क्योंकि पांच में से चार पूर्व मुख्यमंत्री बीजेपी के ही हैं. हालांकि सबसे बड़ी रकम सवा एक करोड़ रुपए कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एनडी तिवारी के ऊपर खर्च हुई है. उनके बेटे रोहित शेखर तिवारी के निधन के बाद राज्य संपत्ति विभाग एनडी तिवारी की बकाया रकम को सरकारी बट्टे खाते में डालने की सोच रहा है. जिसे डेड मनी माना जायेगा. अन्य बाकी नेताओं पर कितना बकाया है वो भी आपको बताते हैं.

पूर्व मुख्यमंत्रीयों के सरकारी आवास की बकाया राशि

नाम राशि
एनडी तिवारी 1,12,98182 ₹
भगत सिंह कोश्यारी 47,57758 ₹
भुवन चंद खंडूड़ी 4695776 ₹
रमेश पोखरियाल निशंक 4095560 ₹
विजय बहुगुणा 37,50638 ₹


बता दें कि राज्य संपत्ति विभाग ने अबतक केवल पूर्व मुख्यमंत्रियो के सरकारी आवास पर हुए खर्च का ही आंकलन किया है. मंत्रियों पर वाहन, सुरक्षा सहित अन्य खर्चों का अभी विभाग के पास कोई ब्यौरा नहीं है. राज्य संपति अधिकारी बंशीधर तिवारी ने बताया कि इससे पहले भी कैबिनेट के माध्यम से कोर्ट को ये राशि माफ करने के लिए निवेदन किया गया था. लेकिन कोर्ट ने इसे नामंजूर कर दिया था. सरकार इस पर फिर से कैबिनेट में चर्चा करने की तैयारी कर रही है.

पढ़ें- केदारनाथ धाम में फिर से बारिश और बर्फबारी, बदलता मौसम खड़ी कर रहा मुश्किलें

हाई कोर्ट का ये फैसला सरकार और बीजेपी संगठन के गले नहीं उतर रहा है. यहीं कारण है कि सरकार हाई कोर्ट के इस फैसले का हल खोजने में लगी हुई है. हालांकि सरकार के पास सबसे पहला विकल्प कोर्ट ही है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का इस मामले पर कहना है कि नियमों का पालन तो जरुर होना चाहिए, लेकिन इसके पीछे सभी पहलुओं को देखा जाना जरुरी है. अपनी बात को कोर्ट में रखने का विकल्प अभी खुला है. गौर हो कि जब इस बारे में कोर्ट ने सरकारी सुविधा ले रहे पूर्व सीएम से पूछा था तो उन्होंने कहा था कि सरकारी सुविधा उनके द्वारा मांगी नहीं गई तो इसकी वसूली उन से क्यों की जाए?

हाई कोर्ट के इस फैसले को विपक्ष के चश्मे से देखें तो कांग्रेस सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है. क्योंकि कांग्रेस सरकार के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने पहले ही सरकारी सुविधाओं को नमस्ते कर दिया था. जिसके कारण उन पर इस आदेश का कोई खास असर नहीं होना है. इसके अलावा एनडी तिवारी और उसने बेटे रोहित के निधन के बाद ये वसूली मुश्किल दिख रही है. बचे अन्य चार पूर्व मुख्यमंत्री चारों बीजेपी के बड़े नेता हैं. जिन ये वसूली की जानी है.

पढ़ें- कम्युनिस्ट नेता के बयान पर संतों में उबाल, सीताराम येचुरी को बताया 'रावण'

यहीं कारण है कि कांग्रेस खुलकर मैदान में आ गई है. कांग्रेस प्रवक्ता गरीम दसौनी ने हाई कोर्ट के फैसले का का स्वागत करते हुए कहा कि प्रदेश लगातार कर्जे में डूबता जा रहा है. कर्मचारियों की सैलरी देने के लिए भी सरकार के पास पैसा नहीं है. ऐसे में ये पैसा अधिक से अधिक रेट पर सभी पूर्व सीएम से वसूला जाना चाहिए क्योंकि यह पैसा जनता की गाढ़ी कमाई का है.

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी आवास का बकाया किराया बाजार दर पर 6 माह के भीतर जमा करने के हाई कोर्ट के आदेश को लेकर सियासी गलियारों में हलचल है. हाई कोर्ट के इस फैसले की जद में आए पांचों पूर्व मुख्यमंत्रियों को बचाने के लिए माथा पच्ची शुरू हो चुकी है.

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हालांकि उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों की आवसीय सुविधा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए पूर्व सीएम हरीश रावत ने सरकारी आवास की कोई सुविधा नहीं ली थी. हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद उत्तराखंड के 5 पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, बीसी खंडूड़ी, भगत सिंह कोश्यारी, विजय बहुगुणा और दिवंगत एनडी तिवारी को 6 महीने भीतर सरकारी आवासों का बकाया किराया देना होगा.

कोर्ट के इस फैसले के बाद सबसे ज्यादा मुश्किल बीजेपी नेताओं के लिए है. क्योंकि पांच में से चार पूर्व मुख्यमंत्री बीजेपी के ही हैं. हालांकि सबसे बड़ी रकम सवा एक करोड़ रुपए कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एनडी तिवारी के ऊपर खर्च हुई है. उनके बेटे रोहित शेखर तिवारी के निधन के बाद राज्य संपत्ति विभाग एनडी तिवारी की बकाया रकम को सरकारी बट्टे खाते में डालने की सोच रहा है. जिसे डेड मनी माना जायेगा. अन्य बाकी नेताओं पर कितना बकाया है वो भी आपको बताते हैं.

पूर्व मुख्यमंत्रीयों के सरकारी आवास की बकाया राशि

नाम राशि
एनडी तिवारी 1,12,98182 ₹
भगत सिंह कोश्यारी 47,57758 ₹
भुवन चंद खंडूड़ी 4695776 ₹
रमेश पोखरियाल निशंक 4095560 ₹
विजय बहुगुणा 37,50638 ₹


बता दें कि राज्य संपत्ति विभाग ने अबतक केवल पूर्व मुख्यमंत्रियो के सरकारी आवास पर हुए खर्च का ही आंकलन किया है. मंत्रियों पर वाहन, सुरक्षा सहित अन्य खर्चों का अभी विभाग के पास कोई ब्यौरा नहीं है. राज्य संपति अधिकारी बंशीधर तिवारी ने बताया कि इससे पहले भी कैबिनेट के माध्यम से कोर्ट को ये राशि माफ करने के लिए निवेदन किया गया था. लेकिन कोर्ट ने इसे नामंजूर कर दिया था. सरकार इस पर फिर से कैबिनेट में चर्चा करने की तैयारी कर रही है.

पढ़ें- केदारनाथ धाम में फिर से बारिश और बर्फबारी, बदलता मौसम खड़ी कर रहा मुश्किलें

हाई कोर्ट का ये फैसला सरकार और बीजेपी संगठन के गले नहीं उतर रहा है. यहीं कारण है कि सरकार हाई कोर्ट के इस फैसले का हल खोजने में लगी हुई है. हालांकि सरकार के पास सबसे पहला विकल्प कोर्ट ही है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का इस मामले पर कहना है कि नियमों का पालन तो जरुर होना चाहिए, लेकिन इसके पीछे सभी पहलुओं को देखा जाना जरुरी है. अपनी बात को कोर्ट में रखने का विकल्प अभी खुला है. गौर हो कि जब इस बारे में कोर्ट ने सरकारी सुविधा ले रहे पूर्व सीएम से पूछा था तो उन्होंने कहा था कि सरकारी सुविधा उनके द्वारा मांगी नहीं गई तो इसकी वसूली उन से क्यों की जाए?

हाई कोर्ट के इस फैसले को विपक्ष के चश्मे से देखें तो कांग्रेस सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है. क्योंकि कांग्रेस सरकार के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने पहले ही सरकारी सुविधाओं को नमस्ते कर दिया था. जिसके कारण उन पर इस आदेश का कोई खास असर नहीं होना है. इसके अलावा एनडी तिवारी और उसने बेटे रोहित के निधन के बाद ये वसूली मुश्किल दिख रही है. बचे अन्य चार पूर्व मुख्यमंत्री चारों बीजेपी के बड़े नेता हैं. जिन ये वसूली की जानी है.

पढ़ें- कम्युनिस्ट नेता के बयान पर संतों में उबाल, सीताराम येचुरी को बताया 'रावण'

यहीं कारण है कि कांग्रेस खुलकर मैदान में आ गई है. कांग्रेस प्रवक्ता गरीम दसौनी ने हाई कोर्ट के फैसले का का स्वागत करते हुए कहा कि प्रदेश लगातार कर्जे में डूबता जा रहा है. कर्मचारियों की सैलरी देने के लिए भी सरकार के पास पैसा नहीं है. ऐसे में ये पैसा अधिक से अधिक रेट पर सभी पूर्व सीएम से वसूला जाना चाहिए क्योंकि यह पैसा जनता की गाढ़ी कमाई का है.

Intro:तो क्या होगा किराया वसूल... या इख्तियार होगा नया फार्मूला ?
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एंकर- उत्तराखंड हाईकोर्ट से पूर्व मुख्यमंत्री से सरकारी आवासों की किराया वसूल करने के आदेश के बाद सूबे के सियासी गलियारों में हलचल है। जहां एक तरफ हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद कांग्रेस अब बीजेपी सरकार को घेरने की फिराक में है तो वहीं इस फैसले के जद में आये स्वर्गीय एनडी तिवारी सहित बीजेपी के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को किसी भी तरह बचाने के लिए माथा पच्ची शुरू हो चुकी है।


Body:वीओ- उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रीयों की आवासीय सुविधाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट से आये फैसले के बाद से ही उत्तराखंड के पूर्व मुखत्रियों पर भी इस फैसले की तलवार लटक रही थी हालांकि इस मामले को उठते देख कोंग्रेस के एक मात्र सक्रिय पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सरकारी आवास की सुविधा नही ली थी लेकिन इसके बावजूद अब बीजेपी में बड़ा कद रखने वाले 4 पूर्व मुख्यमंत्रिय रमेश पोखरियाल निशंक, बीसी खण्डूरी, विजय बहुगुणा, भगत सिंह कोश्यारी के अलावा स्वर्गीय एनडी तिवारी से नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकारी आवासों का 6 माह के भीतर अब तक का किराया वसूलने के आदेश दे दिए हैं।

वीओ- कोर्ट इस फैसले के बाद सबसे ज्यादा मुश्किल बीजेपी नेताओं के लिए है। हालांकि सबसे बड़ी रकम सवा एक करोड़ के करीब की रकम एनडी तिवारी से असली जानी है लेकिन उनकी मौत हो जाने और उनके पुत्र के भी हाल ही में मौत हो जाने से विभाग इस राशी को सरकारी बट्टे खाते में डालने का सोच सकती है जिसे डेड मनी के रूप में माना जायेगा अब बाकी अन्य नेताओं पर कितना बकाया है वो आपको बताते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्रीयों के सरकारी आवास का बकाया राशि-
एनडी तिवारी- 1,12,98182 ₹
भगत सिंह कोश्यारी- 47,57758 ₹
भुवनचंद खण्डूरी- 4695776 ₹
रमेश पोखरियाल निशंक- 4095560 ₹
विजय बहुगुणा- 37,50638 ₹

बाइट- बंशीधर भगत, राज्य सम्पति अधिकारी

वीओ- राज्य सम्पति से मिली जानकारी के अनुसार रुलक द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दर्ज की गई याचिका के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के संदर्भ में पूर्व मुख्यमंत्रीयों को आजीवन दी जाने वाली सुविधाओं को असवैधानिक बताया था जसके बाद उत्तर प्रदेश में सभी पूर्व मुख्यमंत्रीयों से सरकारी दर पर किराया वसूला गया लेकिन अब इसी आदेश के आधार पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में भी पूर्व मुख्यमंत्रियो के लिए सरकारी सुविधाओं का अब तक का पूरा खर्च वसूलने का फरमान सुना दिया है लेकिन इस फरमान में बड़ी बात यह है कि हाईकोर्ट ने ये वसूली बाजार मूल्य पर वसूलने के आदेश दिया है जो कि उत्तरप्रदेश की तुलना में कई ज्यादा है। वहीं इसके अलावा उत्तराखंड राज्य सम्पति विभाग ने अभी तक केवल पूर्व मुख्यमंत्रीयो के आवास पर हुए खर्च का आंकलन किया गया है। मंत्रियों पर वाहन, सुरक्षा सहित अन्य खर्चों का अभी विभाग के पास कोई ब्यौरा नही है। राज्य सम्पति अधिकारी बंशीधर भगत ने बताया कि इससे पहले भी केबिनेट के माध्यम से कोर्ट को ये राशी माफ करने के लिए निवेदन किया गया था लेकिन कोर्ट द्वारा इसे नामंजूर किया गया और अब एक बार फिर ये मामला केबिनेट में ले जाया जाएगा और सरकार इस पर चर्चा करेगी।

बाइट- बंशीधर भगत, राज्य सम्पति अधिकारी

वीओ- बहरहाल हाईकोर्ट का ये फैसला सरकार से लेकर संगठन तक किसी के गले उतरने वाला नही है और अब कसरत इस फैसले को किसी भी तरह से बेअसर करने के लिए तेज होनी तय है। अगर विकल्पों की बात करें तो सबसे पहला विकल्प सरकार के पास न्यायलय है जिसका इशारा खुद बीजेपी अध्यक्ष अजय भट्ट दे चुके हैं। अजय भट्ट का कहना है कि कोर्ट के नियमो का पालन होना तो जरूरी है लेकिन इसके पीछे सभी पहलुओं को देखा जाना जरूरी है और अपनी बात को कोर्ट में रखने का विकल्प अभी खुला है। वैसे भी कोर्ट द्वारा जब भी इस बारे में पूछा गया तो सरकारी सुविधा ले रहे पूर्व सीएम ये कहते आये हैं कि सरकारी सुविधाएं उनके द्वारा मांगी नही गयी तो इसकी वसूली उन से क्यों कि जाए। अपने आप को पीड़ित बताते हुए सभी ने इस गलत नीति बनाने वालों को दोषी ठहराया है।
बाइट- अजय भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष बीजेपी

वीओ- वहीं इस फैसले को कांग्रेस के चश्मे से देखें तो वो यंहा पर सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नही छोड़ेगी। कांग्रेस में बचे एक मात्र पूर्व सीएम हरीश रावत ने पहले ही मामले को भांपते हुए सरकारी सुविधाओं को नमस्ते कर दिया था जिसके बाद उन पर इस आदेश का खास असर नही है। वहीं इसके अलावा एनडी तिवारी के मामले में उनकी मृतु के बाद उनके पुत्र रोहित शेखर की मौत ने इस वसूली को और कमजोर बना दिया है जिसको देखते हुए एनडी तिवारी के हिस्से की वसूली सरकारी बट्टे खाते की डेड मनी में जाना तय है। इन सभी हालातों को देखते हुए इस मामले में कांग्रेस ने कड़ा रुख अपनाया है। कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि सरकार लगातार कर्जे में डूबती जा रही है। कर्मचारियों के वेतन के लिए भी सरकार कर्जे की ओर मुह ताकती है ऐसे में ये पैसा अधिक से अधिक रेट पर सभी पूर्व सीएम से वसूला जाना चाहिए क्योंकि यह पैसा जनता की गाढ़ी कमाई का है।
बाइट- गरिमा दसौनी, कांग्रेस प्रवक्ता

फाइनल वीओ- बहरहाल विपक्ष कुछ भी कहे और कितने भी आरोप लगाए लेकिन बीजेपी सरकार इस वक्त किसी भी तरह से अपने सीनियर नेताओं को इस फैसले की जद में आने से रोकने की तमाम कोशिशें करेंगी। सरकार का पिछला ट्रेक रिकॉर्ड देखें तो पहले भी कोर्ट ने अपने कई फैसलों से सरकार की परेशानी बढ़ाई है लेकिन हर बार सरकार ने बड़ी खूबसूरती से इन परेशानी से पीछा छुड़ाया है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है सुप्रीम कोर्ट के फेसले के बाद NH पर शराब की दुकानों का मामला जिसमे सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों का नाम ही बदल दिया था। अब देखना होगा कि सरकार द्वारा ये वसूली नियमानुसार की जाती है या फिर सरकार इन नेताओं को बचाने के लिए अब कौन सा नया फार्मूला इख्तियार किया जाता है ये देखना रोचक होगा।



Conclusion:
Last Updated : May 6, 2019, 12:06 PM IST
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