ETV Bharat / state

मसूरी में तिब्बती और भोटिया समुदाय के लोगों ने मनाया नए साल का जश्न, दुर्घटना को मानते हैं शुभ

तिब्बती और भोटिया जनजाति समुदाय के लोगों ने लोसर पर्व को धूमधाम से मनाया. मसूरी में लोगों ने इस मौके पर भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना की और एक दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं दी.

mussoorie
लोसर पर्व
author img

By

Published : Feb 24, 2020, 10:25 PM IST

देहरादून: मसूरी में तिब्बती और भोटिया जनजाति समुदाय के लोगों ने नए साल की खुशी में लोसर पर्व को धूमधाम से मनाया. इस मौके पर लोगों ने भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना की और विश्व शांति की कामना के लिए प्रार्थना किया. नए साल पर तिब्बती और भोटिया जनजाति समुदाय के लोगों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर शुभकामना दी.

इस मौके पर मसूरी में तिब्बती समुदाय के लोग सुबह के समय दलाई हिल पहुंचे, जहां पर उन्होंने पारंपरिक झण्डी बांधकर पूजा अर्चना की साथ ही पुराने साल की विदाई और नए साल का जोरदार तरीके से स्वागत किया. तिब्बती कैलेंडर के अनुसार ये वर्ष के पहले महीने का पहला दिन होता है. विश्व में जहां कहीं भी बौद्ध लोग बसे हुए हैं वहां ये पर्व मनाया जाता है. आपको बता दें कि लोसर का अर्थ नया साल होता है.

लोसर पर्व

नव वर्ष लोसर का इतिहास बताता है कि ये तिब्बत के नवें काजा पयूड गंगयाल के समय वार्षिक बौद्धिक त्योहार के रूप में मनाया जाता था, लेकिन एक अंतराल के बाद ये पारंपरिक फसली त्योहार में बदल गया. इस दौर में तिब्बत में खेत जुताई की कला विकसित हुई. साथ ही सिंचाई व्यवस्था और पुलों का विकास भी हुआ. जिसे बाद में ज्योतिषीय आधार देकर इसे नव वर्ष के रूप लोसर पर्व को मनाया जाने लगा.

ये भी पढ़े: बजट सत्र की अवधि पर कांग्रेस का 'हल्लाबोल', कहा- जनता की भावना से हो रहा खिलवाड़

इस पर्व को लेकर एक आश्चर्यजनक बात यह है कि इस दिन कोई भी छोटी-मोटी दुर्घटना हो तो लोग इसे शुभ मानते हैं. पर्व समाप्त होने पर लोग तशीदेलेक कहते हुए अपने पड़ोसियों के यहां जाते हैं और लोसर पर्व की शुभकामनाएं देते हैं. इस दिन शादी करना अति शुभ माना जाता है.

देहरादून: मसूरी में तिब्बती और भोटिया जनजाति समुदाय के लोगों ने नए साल की खुशी में लोसर पर्व को धूमधाम से मनाया. इस मौके पर लोगों ने भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना की और विश्व शांति की कामना के लिए प्रार्थना किया. नए साल पर तिब्बती और भोटिया जनजाति समुदाय के लोगों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर शुभकामना दी.

इस मौके पर मसूरी में तिब्बती समुदाय के लोग सुबह के समय दलाई हिल पहुंचे, जहां पर उन्होंने पारंपरिक झण्डी बांधकर पूजा अर्चना की साथ ही पुराने साल की विदाई और नए साल का जोरदार तरीके से स्वागत किया. तिब्बती कैलेंडर के अनुसार ये वर्ष के पहले महीने का पहला दिन होता है. विश्व में जहां कहीं भी बौद्ध लोग बसे हुए हैं वहां ये पर्व मनाया जाता है. आपको बता दें कि लोसर का अर्थ नया साल होता है.

लोसर पर्व

नव वर्ष लोसर का इतिहास बताता है कि ये तिब्बत के नवें काजा पयूड गंगयाल के समय वार्षिक बौद्धिक त्योहार के रूप में मनाया जाता था, लेकिन एक अंतराल के बाद ये पारंपरिक फसली त्योहार में बदल गया. इस दौर में तिब्बत में खेत जुताई की कला विकसित हुई. साथ ही सिंचाई व्यवस्था और पुलों का विकास भी हुआ. जिसे बाद में ज्योतिषीय आधार देकर इसे नव वर्ष के रूप लोसर पर्व को मनाया जाने लगा.

ये भी पढ़े: बजट सत्र की अवधि पर कांग्रेस का 'हल्लाबोल', कहा- जनता की भावना से हो रहा खिलवाड़

इस पर्व को लेकर एक आश्चर्यजनक बात यह है कि इस दिन कोई भी छोटी-मोटी दुर्घटना हो तो लोग इसे शुभ मानते हैं. पर्व समाप्त होने पर लोग तशीदेलेक कहते हुए अपने पड़ोसियों के यहां जाते हैं और लोसर पर्व की शुभकामनाएं देते हैं. इस दिन शादी करना अति शुभ माना जाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.