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रेलवे और परिवहन विभाग में नहीं बैठा तालमेल, ISBT शिफ्ट होगा हिल डिपो

रेलवे और राज्य सरकार के परिवहन विभाग के बीच आपसी तालमेल न बन पाने के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इस कारण लोगों ने डबल इंजन सरकार पर तंज कसे हैं.

ISBT शिफ्ट होगा हिल डिपो.
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Published : Jul 27, 2019, 1:18 PM IST

देहरादून: रेलवे की जमीन पर मौजूद हिल डिपो को लेकर चल रही तनातनी के चलते यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल रेलवे और राज्य के परिवहन विभाग में आपसी तालमेल की कमी के चलते मसूरी सहित अन्य पहाड़ी रूटों पर चलने वाली बसें अब ISBT से चलेंगी.

परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने बताया कि रेलवे से काफी अनुरोध करने के बाद भी रेलवे विभाग नहीं माना. जिसके बाद अब राज्य सरकार के पास ISBT के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है. मसूरी सहित तमाम पहाड़ी गंतव्य पर जाने वाले यात्रियों को निश्चित तौर से हिल डिपो के आईएसबीटी शिफ्ट हो जाने से कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.

ISBT शिफ्ट होगा हिल डिपो.

ये भी पढ़ें: हिमालयन राज्यों के सम्मेलन की तैयारियां पूरी, नॉर्थईस्ट रीजन के 4 सीएम होंगे शामिल

वहीं, यात्रियों को होने वाली दिक्कतों को लेकर परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने बताया कि वो कोशिश करेंगे कि रेलवे से अनुरोध करके एक या दो बसों को चलने की अनुमति ले लें, लेकिन इसके अलावा परिवहन विभाग के पास शहर में अन्य कोई स्थान उपलब्ध नहीं है.

रेलवे द्वारा राज्य के परिवहन विभाग के अनुरोध को ठुकराने से राजनीतिक इच्छाशक्ति के ऊपर भी तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. लोगों का आरोप है कि राज्य में भाजपा सरकार आने से पहले केंद्र और राज्य के साथ मिलकर डबल इंजन की बात कही जाती थी, लेकिन अब यही डबल इंजन एक-दूसरे को विपरीत दिशा में दौड़ने लगे हैं.

देहरादून: रेलवे की जमीन पर मौजूद हिल डिपो को लेकर चल रही तनातनी के चलते यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल रेलवे और राज्य के परिवहन विभाग में आपसी तालमेल की कमी के चलते मसूरी सहित अन्य पहाड़ी रूटों पर चलने वाली बसें अब ISBT से चलेंगी.

परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने बताया कि रेलवे से काफी अनुरोध करने के बाद भी रेलवे विभाग नहीं माना. जिसके बाद अब राज्य सरकार के पास ISBT के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है. मसूरी सहित तमाम पहाड़ी गंतव्य पर जाने वाले यात्रियों को निश्चित तौर से हिल डिपो के आईएसबीटी शिफ्ट हो जाने से कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.

ISBT शिफ्ट होगा हिल डिपो.

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वहीं, यात्रियों को होने वाली दिक्कतों को लेकर परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने बताया कि वो कोशिश करेंगे कि रेलवे से अनुरोध करके एक या दो बसों को चलने की अनुमति ले लें, लेकिन इसके अलावा परिवहन विभाग के पास शहर में अन्य कोई स्थान उपलब्ध नहीं है.

रेलवे द्वारा राज्य के परिवहन विभाग के अनुरोध को ठुकराने से राजनीतिक इच्छाशक्ति के ऊपर भी तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. लोगों का आरोप है कि राज्य में भाजपा सरकार आने से पहले केंद्र और राज्य के साथ मिलकर डबल इंजन की बात कही जाती थी, लेकिन अब यही डबल इंजन एक-दूसरे को विपरीत दिशा में दौड़ने लगे हैं.

Intro:Summary- ISBT शिफ्ट होगा हिल डिपो, रेलवे और परिवहन के बीच तालमेल की कमी


एंकर- रेलवे की जमीन पर मौजूद देहरादून रेलवे स्टेशन के पास हिल डिपो से चलने वाली बसों को लेकर परिवहन की रेलवे के सामने एक बही नही चली। केंद्र के रेलवे और राज्य के परिवहन विभाग में आपसी तालमेल की कमी के चलते अब मसूरी सहित अन्य पहाड़ी रूटों पर चलने वाली बेस ISBT से चलेंगे। सवाल ये भी पूछा जा रहा कि डबल इंजन की बात करने वाली बीजेपी में अब केंद्र का इंजन राज्य के इंजन को खींचने से क्यों मना कर रहा है।


Body:वीओ- मंत्री यशपाल आर्य का कहना है कि हमने रेलवे से बहुत अनुरोध किया लेकिन रेलवे के लोग नही माने। परिवहन मंत्री का कहना है कि अब राज्य सरकार के पास ISBT के अलावा ओर कोई विकल्प नही बचा है।

मसूरी सहित तमाम पहाड़ी गंतव्य पर जाने वाले यात्रियों को निश्चित तौर से हिल डिपो के एसबीडी शिफ्ट हो जाने से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा जिस पर यशपाल आर्य ने परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि वह कोशिश करेंगे कि रेलवे से अनुरोध करके रेलवे स्टेशन से एक या दो बसों को चलने की अनुमति ले ले । लेकिन इसके अलावा परिवहन विभाग के पास शहर अन्य कोई स्थान उपलब्ध नहीं है।

इसके साथ ही रेलवे द्वारा और राज्य के परिवहन विभाग के अनुरोध को ठुकराने से राजनीतिक इच्छाशक्ति ऊपर भी तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं । लोगों का कहना है कि राज्य में भाजपा सरकार आने से पहले केंद्र और राज्य के साथ मिलकर डबल इंजन की बात कही जाती थी लेकिन अब यही डबल इंजन एक दूसरे के विपरीत दिशा में दौड़ने लगा है। अफसोस की बात तो यह है कि खुद परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने इस बात को स्वीकारा है कि रेलवे और परिवहन विभाग के बीच आपसी तालमेल नहीं बन पा रहा है।


Conclusion:
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