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मुस्लिम सेवा संगठन की राजनीतिक दलों से अपील, मुस्लिम समुदाय को दे प्रतिनिधित्व का मौका

2022 उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर मुस्लिम सेवा संगठन ने राजनीतिक दलों से मुस्लिम समाज के लोगों को राजनीति में प्रतिनिधित्व दिए जाने की मांग की है.

Muslim seva sangathan appeals to political parties
मुस्लिम सेवा संगठन की राजनीतिक दलों से अपील
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Published : Jan 13, 2022, 5:16 PM IST

देहरादून: मुस्लिम सेवा संगठन के प्रतिनिधियों ने सभी राजनीतिक दलों से 2022 विधानसभा चुनावों में मुस्लिम समाज के लोगों को राजनीति में प्रतिनिधित्व दिए जाने की मांग उठाई है. मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने कहा देश ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड में भी मुस्लिम सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी है और सिर्फ इतना ही नहीं उत्तराखंड में मुस्लिम सबसे बड़ी दूसरी आबादी के रूप में है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में 80.97 हिंदू आबादी, जबकि 13.95 मुस्लिम आबादी है.

नईम कुरैशी ने कहा कि 11 साल बीत जाने के बावजूद निश्चित ही इन आंकड़ों में वृद्धि हुई होगी पर विडंबना है कि उत्तराखंड बनने के बाद से लेकर अभी तक मुस्लिम समाज को राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अवसर नहीं दिया गया है. लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व चुनाव आने वाला है. लेकिन राज्य गठन से लेकर अब तक उन्हें विधानसभा, लोकसभा और निकायों में प्रतिनिधित्व नहीं मिला. इसलिए तमाम सेकुलर पार्टियों से आग्रह है कि चुनाव में मुस्लिमों की भी भागीदारी सुनिश्चित की जाए.

ये भी पढ़ें: हरक रावत की दावेदारी से बीजेपी में खलबली, केदारनाथ सीट पर बाहरी बनाम स्थानीय की लड़ाई शुरू

उन्होंने राजनीतिक दलों से 2022 विधानसभा चुनाव में मुसलमानों को भी राजनीतिक प्रतिनिधित्व करने का मौका देने की अपील की है. यदि टिकट वितरण में मुस्लिमों की अनदेखी की गई तो मुस्लिम सेवा संगठन को चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.

देहरादून: मुस्लिम सेवा संगठन के प्रतिनिधियों ने सभी राजनीतिक दलों से 2022 विधानसभा चुनावों में मुस्लिम समाज के लोगों को राजनीति में प्रतिनिधित्व दिए जाने की मांग उठाई है. मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने कहा देश ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड में भी मुस्लिम सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी है और सिर्फ इतना ही नहीं उत्तराखंड में मुस्लिम सबसे बड़ी दूसरी आबादी के रूप में है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में 80.97 हिंदू आबादी, जबकि 13.95 मुस्लिम आबादी है.

नईम कुरैशी ने कहा कि 11 साल बीत जाने के बावजूद निश्चित ही इन आंकड़ों में वृद्धि हुई होगी पर विडंबना है कि उत्तराखंड बनने के बाद से लेकर अभी तक मुस्लिम समाज को राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अवसर नहीं दिया गया है. लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व चुनाव आने वाला है. लेकिन राज्य गठन से लेकर अब तक उन्हें विधानसभा, लोकसभा और निकायों में प्रतिनिधित्व नहीं मिला. इसलिए तमाम सेकुलर पार्टियों से आग्रह है कि चुनाव में मुस्लिमों की भी भागीदारी सुनिश्चित की जाए.

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उन्होंने राजनीतिक दलों से 2022 विधानसभा चुनाव में मुसलमानों को भी राजनीतिक प्रतिनिधित्व करने का मौका देने की अपील की है. यदि टिकट वितरण में मुस्लिमों की अनदेखी की गई तो मुस्लिम सेवा संगठन को चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.

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