देहरादून: मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में शुमार सांसद आदर्श ग्राम योजना की देशभर में सबसे पहली कार्यशाला देहरादून में आयोजित हुई. बंद दरवाजे के पीछे योजना को लेकर हुई कार्यशाला में गोद लिए गांव की स्थिति और अधिकारियों द्वारा गलत आंकड़े पेश करने तक के आरोप भी लगाए गए. यही नहीं हैरत वाली बात ये रही कि टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी के अलावा कोई भी सांसद कार्यशाला में नहीं पहुंचा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में सरकार बनने के फौरन बाद सांसदों को गांव गोद लेने के निर्देश दिए थे. सांसद आदर्श ग्राम योजना का 2014 में ही शुभारंभ किया गया था. योजना का लक्ष्य 2016 तक गोद लिए गांव को आदर्श बनाना था. जबकि सांसदों को हर साल एक गांव गोद लेकर उनके आर्थिक विकास की दिशा में काम करना था. लेकिन, देशभर में सबसे पहले देहरादून में हुई कार्यशाला में योजना के तहत गांवों की स्थिति की जमीनी रिपोर्ट सामने आ गई.
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एक तरफ जहां टिहरी सांसद माला राज्यलक्ष्मी के अलावा कोई भी सांसद इस कार्यशाला में नहीं पहुंचा तो राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी द्वारा गोद लिए गए गांव की किसी भी तरह की जानकारी से अधिकारियों ने इंकार कर दिया. बंद दरवाजे के पीछे हुई इस कार्यशाला में सांसद प्रतिनिधि द्वारा अधिकारियों पर गलत तथ्य के जरिए गांव की बेहतर स्थिति किए जाने का आरोप भी लगाया. इसके बाद राज्यसभा सांसद राजबब्बर के गोद लिए गांव लामबगड़ के 3 दिनों के भीतर अधिकारियों को रिपोर्ट देने के निर्देश भी दिए गए.
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बैठक को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि योजना के तहत हर साल सांसदों को एक गांव गोद लेना है. ऐसे में प्रभारी सचिवों को 45 दिन के भीतर गांव में जाने के निर्देश दिए गये हैं. साथ ही गोद लिए गए गांव की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए व्यापक स्तर पर योजना चलाने के भी आदेश दिए गये हैं.