देहरादून: उत्तराखंड में आईएएस अधिकारियों के मनमाने रवैये से इन दिनों महिला एवं बाल विकास विभाग पूरी तरह ठप हो गया है. दरअसल विभाग में इन दिनों न तो जिम्मेदार निदेशक है और न ही कोई सचिव के पद पर मौजूद है. विभाग में निदेशक और सचिव पद पर अधिकारी न होने से विभाग में नीतिगत निर्णय लेना नामुमकिन हो गया है.
उत्तराखंड में नौकरशाही किस तरह बेलगाम हो गई है इसका ताजा उदाहरण महिला एवं बाल विकास विभाग में दिखाई देता है. यहां मंत्री रेखा आर्य और आईएएस अधिकारी के बीच हुए विवाद के बाद अधिकारियों ने जिम्मेदारियों से ही ऐसे नजरें फेरी हैं कि यह विभाग निष्क्रिय सा हो गया है. खुद विभागीय मंत्री रेखा आर्य इस बात को मान रही हैं.
दरअसल, विभाग में न तो स्थायी निदेशक मौजूद है और न ही सचिव पद पर कोई अधिकारी तैनात है. हालत यह है कि विभाग में न तो समीक्षा बैठक हो पा रही है और न ही नीतिगत फैसले लिए जा पा रहे हैं. विभाग जिस ढर्रे पर चल रहा है उससे महिला एवं बाल विकास की कल्पना ही हकीकत से परे दिखने लगी है.
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बता दें कि हाल ही में मंत्री रेखा आर्य ने पुलिस में एक पत्र लिखकर अपने निदेशक के लापता होने की शिकायत की थी. दरअसल निदेशक और अपर सचिव वी. षणमुगम मंत्री के लाख प्रयासों के बाद भी संपर्क में नहीं आ पा रहे थे. छानबीन के बाद पता चला कि अधिकारी छुट्टी पर हैं. इस मामले में मुख्यमंत्री ने जांच बैठाई तो सचिव महिला एवं बाल विकास ने छुट्टी गए अधिकारी के पक्ष में अपने बयान दिए. कुछ ही दिनों में सचिव एवं बाल विकास सौजन्या को इस पद से हटा दिया गया और मनीषा पंवार को जिम्मेदारी दे दी गई, लेकिन जिम्मेदारी बदलने के कई हफ्ते बाद भी मनीषा पंवार ने अब तक न तो चार्ज लिया है न ही विभागीय मंत्री से इस पर कोई बात की है. अब मंत्री इस बात को लेकर हैरान हैं कि अधिकारी किस तरह अपना रवैया दिखाकर विभाग में परेशानियां बढ़ा रहे हैं.