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उत्तराखंड लौटे प्रवासी बंजर भूमि को करेंगे सरसब्ज, मॉडल तैयार कर रही सरकार - Migrants returning to Uttarakhand will settle the wasteland, government is preparing model

उत्तराखंड राज्य से हो रहे पलायन पर इस कोरोना काल ने ना सिर्फ अभी फिलहाल विराम लगा दिया है, बल्कि अन्य राज्यों से लाखों की संख्या में प्रवासी वापस भी आए हैं. जिसे राज्य सरकार एक अवसर के रूप में देख रही है.

Dehradun
उत्तराखंड लौटे प्रवासी बंजर भूमि को करेंगे आबाद
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Published : Jul 26, 2020, 5:02 PM IST

Updated : Jul 26, 2020, 9:33 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड राज्य से हो रहे पलायन पर इस कोरोना काल ने ना सिर्फ अभी फिलहाल विराम लगा दिया है, बल्कि अन्य राज्यों से लाखों की संख्या में प्रवासी वापस भी आए हैं, जिसे राज्य सरकार एक अवसर के रूप में देख रही है. हालांकि, उत्तराखंड के पहाड़ों से हुए पलायन की वजह से कृषि भूमि, बंजर भूमि के रूप में तब्दील होती चली गयी. ऐसे में अब राज्य सरकार बंजर भूमि को आबाद करने और प्रवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर मॉडल तैयार कर रही है.

उत्तराखंड लौटे प्रवासी बंजर भूमि को करेंगे सरसब्ज

वहीं, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि बंजर भूमि पर राज्य सरकार का फोकस है, इसीलिए एरोमेटिक फार्मिंग यानी सघन खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. इसके साथ ही सरकार एरोमेटिक फार्मिंग पर एक मॉडल भी तैयार कर रही है, ताकि जो राज्य के मूल निवासी वापस आए हैं उन लोगों को किस तरह से खेती से जोड़कर रोजगार उपलब्ध कराया जाए.

इसके साथ ही जो बंजर भूमि है उस पर सघन खेती किस तरह से की जाए, इसके लिए सेंटर फॉर एरोमेटिक फार्मिंग के माध्यम से एक मॉडल तैयार किया जा रहा है, जिससे जड़ी-बूटी और सघन खेती पर काम कर बंजर भूमि को आबाद किया जा सकेगा.

पढ़े- केंद्र सरकार के सहयोग से प्रदेश में विकसित होंगी तीन हवाई पट्टियां, कवायद तेज

कृषि मंत्री ने बताया कि एरोमेटिक फार्मिंग यानी सघन खेती में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. लिहाजा, इसे बढ़ावा देने से ना सिर्फ युवाओं को रोजगार उपलब्ध होगा, बल्कि प्रदेश में लगातार बढ़ रही बंजर भूमि को भी आबाद किया जा सकेगा. साथ ही बताया जा रहा है कि किसानों द्वारा खेती छोड़ने के बहुत कारण है, जिसकी मुख्य वजह यह थी कि पहले किसानों के पास सुविधाएं नहीं थी, लेकिन 3 साल के भीतर राज्य सरकार ने तमाम सुविधाएं किसानों को उपलब्ध कराई हैं.

ऐसे में मौजूदा समय में जो सुविधाएं सरकार के पास है, उसके प्रति किसानों को जागरूक कर सघन खेती के माध्यम से पौधे भी मिले हैं, जिसे एक बार लगाने के बाद 15 साल तक उसका उपयोग किया जा सकता है.

देहरादून: उत्तराखंड राज्य से हो रहे पलायन पर इस कोरोना काल ने ना सिर्फ अभी फिलहाल विराम लगा दिया है, बल्कि अन्य राज्यों से लाखों की संख्या में प्रवासी वापस भी आए हैं, जिसे राज्य सरकार एक अवसर के रूप में देख रही है. हालांकि, उत्तराखंड के पहाड़ों से हुए पलायन की वजह से कृषि भूमि, बंजर भूमि के रूप में तब्दील होती चली गयी. ऐसे में अब राज्य सरकार बंजर भूमि को आबाद करने और प्रवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर मॉडल तैयार कर रही है.

उत्तराखंड लौटे प्रवासी बंजर भूमि को करेंगे सरसब्ज

वहीं, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि बंजर भूमि पर राज्य सरकार का फोकस है, इसीलिए एरोमेटिक फार्मिंग यानी सघन खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. इसके साथ ही सरकार एरोमेटिक फार्मिंग पर एक मॉडल भी तैयार कर रही है, ताकि जो राज्य के मूल निवासी वापस आए हैं उन लोगों को किस तरह से खेती से जोड़कर रोजगार उपलब्ध कराया जाए.

इसके साथ ही जो बंजर भूमि है उस पर सघन खेती किस तरह से की जाए, इसके लिए सेंटर फॉर एरोमेटिक फार्मिंग के माध्यम से एक मॉडल तैयार किया जा रहा है, जिससे जड़ी-बूटी और सघन खेती पर काम कर बंजर भूमि को आबाद किया जा सकेगा.

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कृषि मंत्री ने बताया कि एरोमेटिक फार्मिंग यानी सघन खेती में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. लिहाजा, इसे बढ़ावा देने से ना सिर्फ युवाओं को रोजगार उपलब्ध होगा, बल्कि प्रदेश में लगातार बढ़ रही बंजर भूमि को भी आबाद किया जा सकेगा. साथ ही बताया जा रहा है कि किसानों द्वारा खेती छोड़ने के बहुत कारण है, जिसकी मुख्य वजह यह थी कि पहले किसानों के पास सुविधाएं नहीं थी, लेकिन 3 साल के भीतर राज्य सरकार ने तमाम सुविधाएं किसानों को उपलब्ध कराई हैं.

ऐसे में मौजूदा समय में जो सुविधाएं सरकार के पास है, उसके प्रति किसानों को जागरूक कर सघन खेती के माध्यम से पौधे भी मिले हैं, जिसे एक बार लगाने के बाद 15 साल तक उसका उपयोग किया जा सकता है.

Last Updated : Jul 26, 2020, 9:33 PM IST
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