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मजदूरों की आवाज बना ईटीवी भारत, प्रशासन तक पहुंचाई असहायों की पीड़ा - corona lockdown

ईटीवी भारत ने जब मजदूरों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि 3 दिनों से इन्हें खाने-पीने का सामान नहीं मिल रहा था. सभी लोग नेहरू कॉलोनी क्षेत्र में रहते हैं और मजदूरी करने के लिए अपने राज्यों से यहां पहुंचे थे.

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Published : May 6, 2020, 9:06 PM IST

देहरादून: कोरोना महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन के कारण जगह-जगह फंसे मजदूर बेहद परेशान हैं. परेशानी का कारण ये है कि वो बीते कई दिनों से न तो अपने परिवार से मिल पाए हैं और न ही उनको जरूरत का समान सही से मिल पा रहा है.

यही नहीं, जो लोग उत्तराखंड के विकास के लिए यहां पर बुलाए गए थे या जो खुद आए थे, अब उनमें से बचे कुछ लोग भी यहां से वापस अपने राज्य लौटना चाहते हैं. ऐसे ही एक ग्रुप से ईटीवी भारत की मुलाकात हुई जो तड़के 3 बजे देहरादून से साइकिल पर सवार होकर उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के लिए निकले थे. लगभग 790 किलोमीटर की यात्रा करने के लिए यह लोग इसलिए निकले क्योंकि उन्हें लगा कि अगर देहरादून खुल गया है तो शायद वह राज्य की सीमा को पार कर बाराबंकी जा सकेंगे.

इस समूह में 18 साल से 30 साल तक के लोग शामिल थे. इनमें से कोई लखनऊ तो कोई बाराबंकी पहुंचना चाहता था. आवागमन का कोई और साधन न होने के कारण इन लोगों ने 500 और 1000 रुपये में साइकिलें देहरादून से ही खरीदी थीं.

पढ़ें: लॉकडाउनः काशीपुर में फंसे 14 कश्मीरियों को लेकर बस हुई रवाना

ईटीवी भारत ने जब उनसे बातचीत की तो उन्होंने बताया कि 3 दिनों से इन्हें खाने-पीने का सामान नहीं मिल रहा था. यह सभी लोग नेहरू कॉलोनी क्षेत्र में रहते हैं और यहीं पर मजदूरी करने के लिए अपने राज्यों से पहुंचे थे.

हालांकि, जैसे ही यह लोग देहरादून की सीमा पार कर हरिद्वार पहुंचे वैसे ही इनको सप्त ऋषि बैरियर पर रोक दिया गया और वापस जाने को कहा गया. इन सभी ने ईटीवी भारत के जरिए सरकार से ये मांग की है कि उनकी मदद की जाए और इन्हें उनके राज्य वापस भेज दिया जाए.

पढ़ें: गुजरात से लौटे 17 जमाती विकासनगर में किए गए क्वारंटाइन

अधिकतर लोगों का यही कहना था कि उन्हें परिवार की बेहद चिंता सता रही है. अब वह यह राज्य छोड़कर अपने राज्य में जाना चाहते हैं. कोई इस बात से परेशान था कि 3 दिनों से उन्हें खाना-पीना ठीक से नहीं मिल पा रहा है.

दूर राज्यों से उत्तराखंड आए इन मजदूरों की आवाज बनकर ईटीवी भारत ने देहरादून एसपी सिटी श्वेता चौबे से बात की. उन्होंने भरोसा जताया है कि मजदूरों की हर समस्या का समाधान कर दिया जाएगा. उनके खाने-पीने की पूरी व्यवस्था वो खुद देखेंगी और जबतक वो लोग उत्तराखंड राज्य में हैं उन सभी का ख्याल रखा जाएगा.

देहरादून: कोरोना महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन के कारण जगह-जगह फंसे मजदूर बेहद परेशान हैं. परेशानी का कारण ये है कि वो बीते कई दिनों से न तो अपने परिवार से मिल पाए हैं और न ही उनको जरूरत का समान सही से मिल पा रहा है.

यही नहीं, जो लोग उत्तराखंड के विकास के लिए यहां पर बुलाए गए थे या जो खुद आए थे, अब उनमें से बचे कुछ लोग भी यहां से वापस अपने राज्य लौटना चाहते हैं. ऐसे ही एक ग्रुप से ईटीवी भारत की मुलाकात हुई जो तड़के 3 बजे देहरादून से साइकिल पर सवार होकर उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के लिए निकले थे. लगभग 790 किलोमीटर की यात्रा करने के लिए यह लोग इसलिए निकले क्योंकि उन्हें लगा कि अगर देहरादून खुल गया है तो शायद वह राज्य की सीमा को पार कर बाराबंकी जा सकेंगे.

इस समूह में 18 साल से 30 साल तक के लोग शामिल थे. इनमें से कोई लखनऊ तो कोई बाराबंकी पहुंचना चाहता था. आवागमन का कोई और साधन न होने के कारण इन लोगों ने 500 और 1000 रुपये में साइकिलें देहरादून से ही खरीदी थीं.

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ईटीवी भारत ने जब उनसे बातचीत की तो उन्होंने बताया कि 3 दिनों से इन्हें खाने-पीने का सामान नहीं मिल रहा था. यह सभी लोग नेहरू कॉलोनी क्षेत्र में रहते हैं और यहीं पर मजदूरी करने के लिए अपने राज्यों से पहुंचे थे.

हालांकि, जैसे ही यह लोग देहरादून की सीमा पार कर हरिद्वार पहुंचे वैसे ही इनको सप्त ऋषि बैरियर पर रोक दिया गया और वापस जाने को कहा गया. इन सभी ने ईटीवी भारत के जरिए सरकार से ये मांग की है कि उनकी मदद की जाए और इन्हें उनके राज्य वापस भेज दिया जाए.

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अधिकतर लोगों का यही कहना था कि उन्हें परिवार की बेहद चिंता सता रही है. अब वह यह राज्य छोड़कर अपने राज्य में जाना चाहते हैं. कोई इस बात से परेशान था कि 3 दिनों से उन्हें खाना-पीना ठीक से नहीं मिल पा रहा है.

दूर राज्यों से उत्तराखंड आए इन मजदूरों की आवाज बनकर ईटीवी भारत ने देहरादून एसपी सिटी श्वेता चौबे से बात की. उन्होंने भरोसा जताया है कि मजदूरों की हर समस्या का समाधान कर दिया जाएगा. उनके खाने-पीने की पूरी व्यवस्था वो खुद देखेंगी और जबतक वो लोग उत्तराखंड राज्य में हैं उन सभी का ख्याल रखा जाएगा.

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