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ऋषि के श्राप से स्वर्ग की अप्सरा यहां बन गई थी नदी, जानें पौराणिक मान्यता - Rishikesh News

तीर्थनगरी ऋषिकेश में स्थित पौराणिक सोमेश्वर महादेव मंदिर तहलटी को पौराणिक नदी रंभा बहती है. और इसी स्थान को रंभा नदी का उद्गम स्थल भी माना जाता है. मान्यता है कि सतयुग में ऋषि सुखदेव की तपस्या को भंग करने के लिए स्वयं देवराज इंद्र ने रंभा को स्वर्ग से धरती पर भेजा था. तपस्था भंग होने पर ऋषि ने क्रोधित में आकर रंभा को श्राप दिया था.

ऋषिकेश न्यूज.
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Published : May 4, 2019, 11:52 AM IST

Updated : May 4, 2019, 1:29 PM IST

ऋषिकेश: अप्सराओं के बारे में या तो आपने पौराणिक ग्रंथों में पढ़ा होगा या किसी धारावाहिक में देखा होगा. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी पौराणिक नदी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका सीधा संबंध रंभा से है. जिसकी सुंदरता पर स्वयं कामदेव मोहित थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋषि सुखदेव का श्राप मिलने के बाद अप्सरा रंभा ने नदी का रूप ले लिया और आज भी वह तीर्थनगरी में नदी के रूप में बहती है. जिसका वर्णन पुराणों में भी मिलता है.

ऋषिकेश रंभा नदी.

तीर्थनगरी ऋषिकेश में स्थित पौराणिक सोमेश्वर महादेव मंदिर तहलटी को पौराणिक नदी रंभा बहती है. और इसी स्थान को रंभा नदी का उद्गम स्थल भी माना जाता है. मान्यता है कि सतयुग में ऋषि सुखदेव की तपस्या को भंग करने के लिए स्वयं देवराज इंद्र ने रंभा को स्वर्ग से धरती पर भेजा था. तपस्था भंग होने पर ऋषि ने क्रोधित में आकर रंभा को श्राप दिया कि तुम जितनी सुंदर दिखती हो, आज के बाद तुम उतनी ही बदसूरत नदी के रूप में जानी जाओगी. रंभा नदी काली नदी के रूप में जानी जाती है. यह सोमेश्वर महादेव मंदिर से होते हुए वीरभद्र महादेव मंदिर के पास से बहकर गंगा में समाहित हो जाती है. वहीं, रंभा नदी का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखंड में भी मिलता है.

ये है पौराणिक कथा

पौराणिक नदी रंभा के बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत संवाददाता ने सोमेश्वर मंदिर के महंत रामेश्वर गिरी से मुलाकात की. जिसमें रामेश्वर गिरी ने बताया कि रंभा इंद्र लोक की एक खूबसूरत अप्सरा थी. सतयुग काल मे पौराणिक मंदिर सोमेश्वर मंदिर के समीप बैठकर सुखदेव नामक ऋषि भगवान शिव की तपस्या कर रहे थे. ऋषि के जप की आवाज इंद्रलोक तक पंहुची तो इंद्र को स्वर्ग लोक के सिंहासन खोने का डर सताने लगा. इंद्र ने उनकी तपस्या भंग करने के लिए सबसे खूबसूरत अप्सरा रंभा को को भेजा.

जिसके बाद ऋषि ने क्रोधित होकर रंभा को श्राप दिया कि तुम जितनी सुंदर दिखती है उतनी ही बदसूरत नदी के रूप में जानी जाओगी. जिसके बाद से यहां से रंभा नामक काली नदी बहती है. जिसके बाद रंभा ने फिर से ऋषि की प्रार्थना की जिसके बाद ऋषि ने कहा कि मैं अपना श्राप वापस तो नहीं ले सकता, लेकिन तुम्हें एक वरदान देता हूं कि तुम जतनी भी गंदी हो जाओ लेकिन तुम आखिर में गंगा में समाओगी, जहां तुम्हे मोक्ष मिलेगा. उन्होंने बताया इस नदी का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखण्ड में मिलता है.

स्थानीय लोगों की राय

जल प्रेमी कौशल किशोर ने बताया कि रंभा को लेकर उन्होंने शिवालिक की पहाड़ियों में दो वर्षों तक शोध किया है. इस शोध में उन्होंने पाया कि रंभा नदी का उद्गम स्थल ऋषिकेश ही है. उनका कहना है कि यहां नदी का जल बेहद ही साफ रहता है. लेकिन यहां से बहने के बाद इसमें घरों का सीवर तक डाला जाता है. जिसके चलते ये नदी दूषित होकर गंगा में मिलती है. उनका कहना है कि अगर नदियों को बचाने के लिए बने कानूनों का सख्ती से पालन नहीं कराया गया तो इसी प्रकार से नदियां दूषित होती रहेगी.

नदी को बचाने की पहल

पौराणिक नदी रंभा को बचाने के लिए पिछले कई दशकों से आश्वासन दिए जा रहे हैं, लेकिन कोई भी कार्ययोजना धरातल पर उतरती नहीं दिखती. लेकिन अब एक बार फिर पर्यावरण प्रेमियों ने रंभा नदी को बचाने के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी है. रंभा नदी को दोबारा से मूल स्वरूप में लाने के लिए नगर निगम महापौर अनीता ममगाईं ने नए सिरे से तैयारी शुरू कर दी है. अनीता ममगाई ने बताया कि रंभा नदी के संरक्षण लिए बोर्ड बैठक में एक प्रस्ताव भी पास किया गया है. साथ ही जिन लोगों ने रंभा नदी पर अतिक्रमण कर उसको दूषित करने का कार्य किया है, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.

ऋषिकेश: अप्सराओं के बारे में या तो आपने पौराणिक ग्रंथों में पढ़ा होगा या किसी धारावाहिक में देखा होगा. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी पौराणिक नदी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका सीधा संबंध रंभा से है. जिसकी सुंदरता पर स्वयं कामदेव मोहित थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋषि सुखदेव का श्राप मिलने के बाद अप्सरा रंभा ने नदी का रूप ले लिया और आज भी वह तीर्थनगरी में नदी के रूप में बहती है. जिसका वर्णन पुराणों में भी मिलता है.

ऋषिकेश रंभा नदी.

तीर्थनगरी ऋषिकेश में स्थित पौराणिक सोमेश्वर महादेव मंदिर तहलटी को पौराणिक नदी रंभा बहती है. और इसी स्थान को रंभा नदी का उद्गम स्थल भी माना जाता है. मान्यता है कि सतयुग में ऋषि सुखदेव की तपस्या को भंग करने के लिए स्वयं देवराज इंद्र ने रंभा को स्वर्ग से धरती पर भेजा था. तपस्था भंग होने पर ऋषि ने क्रोधित में आकर रंभा को श्राप दिया कि तुम जितनी सुंदर दिखती हो, आज के बाद तुम उतनी ही बदसूरत नदी के रूप में जानी जाओगी. रंभा नदी काली नदी के रूप में जानी जाती है. यह सोमेश्वर महादेव मंदिर से होते हुए वीरभद्र महादेव मंदिर के पास से बहकर गंगा में समाहित हो जाती है. वहीं, रंभा नदी का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखंड में भी मिलता है.

ये है पौराणिक कथा

पौराणिक नदी रंभा के बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत संवाददाता ने सोमेश्वर मंदिर के महंत रामेश्वर गिरी से मुलाकात की. जिसमें रामेश्वर गिरी ने बताया कि रंभा इंद्र लोक की एक खूबसूरत अप्सरा थी. सतयुग काल मे पौराणिक मंदिर सोमेश्वर मंदिर के समीप बैठकर सुखदेव नामक ऋषि भगवान शिव की तपस्या कर रहे थे. ऋषि के जप की आवाज इंद्रलोक तक पंहुची तो इंद्र को स्वर्ग लोक के सिंहासन खोने का डर सताने लगा. इंद्र ने उनकी तपस्या भंग करने के लिए सबसे खूबसूरत अप्सरा रंभा को को भेजा.

जिसके बाद ऋषि ने क्रोधित होकर रंभा को श्राप दिया कि तुम जितनी सुंदर दिखती है उतनी ही बदसूरत नदी के रूप में जानी जाओगी. जिसके बाद से यहां से रंभा नामक काली नदी बहती है. जिसके बाद रंभा ने फिर से ऋषि की प्रार्थना की जिसके बाद ऋषि ने कहा कि मैं अपना श्राप वापस तो नहीं ले सकता, लेकिन तुम्हें एक वरदान देता हूं कि तुम जतनी भी गंदी हो जाओ लेकिन तुम आखिर में गंगा में समाओगी, जहां तुम्हे मोक्ष मिलेगा. उन्होंने बताया इस नदी का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखण्ड में मिलता है.

स्थानीय लोगों की राय

जल प्रेमी कौशल किशोर ने बताया कि रंभा को लेकर उन्होंने शिवालिक की पहाड़ियों में दो वर्षों तक शोध किया है. इस शोध में उन्होंने पाया कि रंभा नदी का उद्गम स्थल ऋषिकेश ही है. उनका कहना है कि यहां नदी का जल बेहद ही साफ रहता है. लेकिन यहां से बहने के बाद इसमें घरों का सीवर तक डाला जाता है. जिसके चलते ये नदी दूषित होकर गंगा में मिलती है. उनका कहना है कि अगर नदियों को बचाने के लिए बने कानूनों का सख्ती से पालन नहीं कराया गया तो इसी प्रकार से नदियां दूषित होती रहेगी.

नदी को बचाने की पहल

पौराणिक नदी रंभा को बचाने के लिए पिछले कई दशकों से आश्वासन दिए जा रहे हैं, लेकिन कोई भी कार्ययोजना धरातल पर उतरती नहीं दिखती. लेकिन अब एक बार फिर पर्यावरण प्रेमियों ने रंभा नदी को बचाने के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी है. रंभा नदी को दोबारा से मूल स्वरूप में लाने के लिए नगर निगम महापौर अनीता ममगाईं ने नए सिरे से तैयारी शुरू कर दी है. अनीता ममगाई ने बताया कि रंभा नदी के संरक्षण लिए बोर्ड बैठक में एक प्रस्ताव भी पास किया गया है. साथ ही जिन लोगों ने रंभा नदी पर अतिक्रमण कर उसको दूषित करने का कार्य किया है, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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SPECIAL
ऋषिकेश-- तीर्थ नगरी ऋषिकेश में सतयुग काल से बह रही पौराणिक नदी रंभा का भी एक विशेष इतिहास है,इंद्र की खूबसूरत अफ़सराओ में से एक अफसरा रम्भा जो ऋषिकेश में श्रापित होने के बाद नदी के रूप में बहती है रम्भा नदी का उद्गम गंगा नगर स्थित भगवान शिव के पौराणिक मंदिर सोमेश्वर महादेव मंदिर के नीचे होता है आइये जानते हैं कि आखिर क्या है रम्भा की कहानी, इस विशेष खबर में जानिए--


Body:वी/ओ-- ऋषिकेश के दक्षिण में स्थित पौराणिक सोमेश्वर महादेव मंदिर के नीचे से पौराणिक नदी रंभा का उद्गम स्थल माना जाता है कहा जाता है कि सतयुग काल मे रंभा शापित होने के बाद यहीं से होकर बहती है रंभा नदी काली नदी के रूप में जानी जाती है और यह सोमेश्वर महादेव से होते हुए काले की ढाल शिवाजी नगर और फिर वीरभद्र महादेव मंदिर के पास से बहते हुए गंगा में मिलती है रंभा नदी का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखंड में भी है।

वी/ओ-- स्थानीय लोगों की मानना है कि रंभा एक खूबसूरत अप्सरा थी वह स्वर्ग के राजा इंद्र के आदेशों का पालन करते हुए ऋषिकेश के सोमेश्वर मंदिर में तपस्या कर रहे सुखदेव ऋषि के तपस्या को भंग करने के लिए भेजी गई थी तभी गुस्से में आकर ऋषि ने रम्भा को श्राप दिया जिसके बाद रम्भा एक नदी में तब्दील होकर बहने लगी रम्भा जितनी खूबसूरत दिखती थी यह नदी उतनी काली नजर आती है जानकारों के अनुसार रम्भा को श्राप मिला था कि तुम एक गंदे नाले के रूप में जानी जाओगी जिसके बाद रम्भा ने फिर से ऋषि की प्रार्थना की जिसके बाद ऋषी ने कहा कि मैं अपना श्राप वापस तो नही ले सकता लेकिन तुम्हें एक एक वरदान देता हूँ कि तुम जतनी भी गंदी हो जाओ लेकिन तुम आखिर में गंगा में समामोगो जहां तुम्हे मोक्ष मिलेगा।

बाईट--विनोद जुगलान(पर्यावरण प्रेमी)

वी/ओ--जल प्रेमी कौशल किशोर ने बताया कि रम्भा को लेकर वे इसी शिवालिक की पहाड़ियों में दो वर्षों तक शोध किया है इस शोध में उन्होंने पाया कि रम्भा नदी कहीं से बहकर नही आती है बल्कि यह जमीन के भीतर ही निकलती है उन्होंने कहा इसका जल बेहद ही साफ निकलता है लेकिन यहां से निकलने के बाद लोग इसमें कपड़े धोते हैं साथ ही कई लोगों ने इसमें अपने घरों का सीवर तक डाला हुआ है जिसके चलते यहां नदी दूषित होकर गंगा में मिलती है नदियों को बचाने के लिए बने कानूनों का कड़ाई से पालन नही कराया गया तो इसी प्रकार से नदियां दूषित होती रहेगी।

बाईट--कौशल किशोर(जल प्रेमी)

वी/ओ--पौराणिक नदी रम्भा के बारे में विस्तृत और तथ्यों के अनुसार जानकारी तब मिली जब ईटीवी भारत की टीम सोमेश्वर मंदिर के महन्त रामेश्वर गिरी के पास पंहुचे,रामेश्वर गिरी ने बताया कि रम्भा इंद्र लोक की एक खूबसूरत अफसरा थी,सतयुग काल मे पौराणिक मंदिर सोमेश्वर मंदिर के समीप बैठकर सुखदेव नामक ऋषि भगवान शिव की तपश्या कर रहे थे ऋषि के जप की आवाज इंद्रलोक तक पंहुची तो इंद्र को अपनी स्वर्ग लोक के सिंघासन का डर सताने लगा,इंद्र ने अपनी खूबसूरत अफसरा रम्भा को ऋषि सुखदेव की तपश्या को भंग करने के लिए भेजा जिसके बाद ऋषि ने क्रोधित होकर रम्भा को श्राप दिया कि तुम जितनी सुंदर दिखती है उतनी ही बदसूरत नदी के रूप में जानी जाएगी जिसके बाद से यहां से रम्भा नामक काली नदी बहती है उन्होंने बताया इस नदी का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखण्ड में पाया जाता है।

बाईट--रामेश्वर गिरी(महन्त सोमेश्वर मंदिर)


Conclusion:वी/ओ--पौराणिक नदी रम्भा को बचाने के लिए पिछले कई दशकों से वादे किए जा रहे हैं लेकिन धरातल पर कोई भी कार्य नही हुआ है,लेकिन अब एक बार फिर पर्यावरण प्रेमियों ने रम्भा को बचाने के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी है,रम्भा नदी को दोबारा से उसके उसी स्वरूप में लाने के लिए नगर निगम महापौर अनीता ममगाई ने नए शिरे से तैयारी शुरू कर दी है अनीता ममगाई ने बताया कि रम्भा के लिए बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास किया गया जल ही रम्भा के संरक्षण के लिए कार्य शुरू कर दिया जाएगा साथ ही जिन लोगों ने रम्भा पर अतिक्रमण कर उसको दूषित करने का कार्य किया है उनके खिलाफ भी कार्यवाही की जाएगी।

बाईट--अनीता ममगाई(महापौर ऋषिकेश)
Last Updated : May 4, 2019, 1:29 PM IST
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