ऋषिकेश: अप्सराओं के बारे में या तो आपने पौराणिक ग्रंथों में पढ़ा होगा या किसी धारावाहिक में देखा होगा. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी पौराणिक नदी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका सीधा संबंध रंभा से है. जिसकी सुंदरता पर स्वयं कामदेव मोहित थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋषि सुखदेव का श्राप मिलने के बाद अप्सरा रंभा ने नदी का रूप ले लिया और आज भी वह तीर्थनगरी में नदी के रूप में बहती है. जिसका वर्णन पुराणों में भी मिलता है.
तीर्थनगरी ऋषिकेश में स्थित पौराणिक सोमेश्वर महादेव मंदिर तहलटी को पौराणिक नदी रंभा बहती है. और इसी स्थान को रंभा नदी का उद्गम स्थल भी माना जाता है. मान्यता है कि सतयुग में ऋषि सुखदेव की तपस्या को भंग करने के लिए स्वयं देवराज इंद्र ने रंभा को स्वर्ग से धरती पर भेजा था. तपस्था भंग होने पर ऋषि ने क्रोधित में आकर रंभा को श्राप दिया कि तुम जितनी सुंदर दिखती हो, आज के बाद तुम उतनी ही बदसूरत नदी के रूप में जानी जाओगी. रंभा नदी काली नदी के रूप में जानी जाती है. यह सोमेश्वर महादेव मंदिर से होते हुए वीरभद्र महादेव मंदिर के पास से बहकर गंगा में समाहित हो जाती है. वहीं, रंभा नदी का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखंड में भी मिलता है.
ये है पौराणिक कथा
पौराणिक नदी रंभा के बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत संवाददाता ने सोमेश्वर मंदिर के महंत रामेश्वर गिरी से मुलाकात की. जिसमें रामेश्वर गिरी ने बताया कि रंभा इंद्र लोक की एक खूबसूरत अप्सरा थी. सतयुग काल मे पौराणिक मंदिर सोमेश्वर मंदिर के समीप बैठकर सुखदेव नामक ऋषि भगवान शिव की तपस्या कर रहे थे. ऋषि के जप की आवाज इंद्रलोक तक पंहुची तो इंद्र को स्वर्ग लोक के सिंहासन खोने का डर सताने लगा. इंद्र ने उनकी तपस्या भंग करने के लिए सबसे खूबसूरत अप्सरा रंभा को को भेजा.
जिसके बाद ऋषि ने क्रोधित होकर रंभा को श्राप दिया कि तुम जितनी सुंदर दिखती है उतनी ही बदसूरत नदी के रूप में जानी जाओगी. जिसके बाद से यहां से रंभा नामक काली नदी बहती है. जिसके बाद रंभा ने फिर से ऋषि की प्रार्थना की जिसके बाद ऋषि ने कहा कि मैं अपना श्राप वापस तो नहीं ले सकता, लेकिन तुम्हें एक वरदान देता हूं कि तुम जतनी भी गंदी हो जाओ लेकिन तुम आखिर में गंगा में समाओगी, जहां तुम्हे मोक्ष मिलेगा. उन्होंने बताया इस नदी का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखण्ड में मिलता है.
स्थानीय लोगों की राय
जल प्रेमी कौशल किशोर ने बताया कि रंभा को लेकर उन्होंने शिवालिक की पहाड़ियों में दो वर्षों तक शोध किया है. इस शोध में उन्होंने पाया कि रंभा नदी का उद्गम स्थल ऋषिकेश ही है. उनका कहना है कि यहां नदी का जल बेहद ही साफ रहता है. लेकिन यहां से बहने के बाद इसमें घरों का सीवर तक डाला जाता है. जिसके चलते ये नदी दूषित होकर गंगा में मिलती है. उनका कहना है कि अगर नदियों को बचाने के लिए बने कानूनों का सख्ती से पालन नहीं कराया गया तो इसी प्रकार से नदियां दूषित होती रहेगी.
नदी को बचाने की पहल
पौराणिक नदी रंभा को बचाने के लिए पिछले कई दशकों से आश्वासन दिए जा रहे हैं, लेकिन कोई भी कार्ययोजना धरातल पर उतरती नहीं दिखती. लेकिन अब एक बार फिर पर्यावरण प्रेमियों ने रंभा नदी को बचाने के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी है. रंभा नदी को दोबारा से मूल स्वरूप में लाने के लिए नगर निगम महापौर अनीता ममगाईं ने नए सिरे से तैयारी शुरू कर दी है. अनीता ममगाई ने बताया कि रंभा नदी के संरक्षण लिए बोर्ड बैठक में एक प्रस्ताव भी पास किया गया है. साथ ही जिन लोगों ने रंभा नदी पर अतिक्रमण कर उसको दूषित करने का कार्य किया है, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.