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उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग ने दवा कंपनियों को नहीं किया भुगतान, आपूर्ति रुकने से मरीज हलकान - non payment of pharmaceutical companies

प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, स्टाफ और संसाधन के साथ ही दवाइयों (shortage of medicines in hospital) का घोर अभाव है. अस्पतालों में दवा की कमी के कारण लोगों को बाहर से महंगी दवा खरीदने के लिए विवश होना पड़ता है.

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Published : Oct 8, 2022, 7:25 AM IST

देहरादून: प्रदेश के अस्पतालों में सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं (Uttarakhand health facility) देने के दावे कर रही है. लेकिन हकीकत कुछ और है. हालत ये है कि इन अस्पतालों में मरीजों के लिए पर्याप्त दवाएं तक नहीं हैं. मरीजों को अस्पताल के बाहर से दवा लेनी पड़ती हैं. सरकारी अस्पताल में डॉक्टर, स्टाफ और संसाधन के साथ ही दवाइयों (shortage of medicines in hospital) का घोर अभाव है. अस्पतालों में दवा की कमी के कारण लोगों को महंगी दवा खरीदने के लिए विवश होना पड़ता है.

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की कमी को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह समय से दवाइयों की आपूर्ति ना होना है. दरअसल, दवा की आपूर्ति करने वाली कंपनियों का समय से भुगतान ना होने के चलते कई बार कंपनियां दवाइयों की आपूर्ति पर ब्रेक लगा देती हैं. इसका सीधा असर सरकारी अस्पतालों (government hospitals) में दवाइयों की कमी के रूप में दिखाई देता है.
पढ़ें-EXCLUSIVE: जिला मलेरिया कार्यालय का कारनामा, ऋषिकेश नगर निगम में भेजी एक्सपायरी कीटनाशक दवा

राज्य के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की किल्लत होने लगी है. जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग में अब दवाओं की खरीदारी को लेकर हलचल तेज होती दिख रही है. दरअसल, व्यवस्था बनाने के नाम पर दवा कंपनियों का भुगतान तक नहीं हो पा रहा है. इसके चलते कंपनियों ने स्वास्थ्य विभाग (Uttarakhand Health Department) को दवा देने से तक से इनकार कर दिया है. अब सचिव स्वास्थ्य आर राजेश कुमार (Uttarakhand Health Secretary) ने मामले का संज्ञान लिया है और अधिकारियों को जल्द से जल्द दवा कंपनियों का भुगतान करने के निर्देश भी दिए हैं. उन्होंने कहा कि क्रय पॉलिसी को देखते हुए दवाओं की खरीदारी की जा रही है.
पढ़ें-अंकिता हत्याकांड के बाद सरकार सख्त, उत्तराखंड में महिला सुरक्षा को लेकर CM ने दिए ये निर्देश

उन्होंने बताया कि भुगतान के लिए आई फाइलों को जल्द ही निपटाते हुए कंपनियों का भुगतान जारी कर दिया जाएगा. जिससे समय से राज्य में दवाएं उपलब्ध कराई जा सकें. आपको बता दें कि फ्री ड्रग को लेकर राज्य सरकार की ओर से लगातार निर्देश जारी हो रहे हैं. लेकिन सिस्टम की हीला हवाली के चलते यह व्यवस्था ठप होती हुई दिखाई दे रही है. हालांकि अब प्रभारी सचिव का संज्ञान लेने के बाद जल्द दवाइयों की हो रही कमी को दूर करने की उम्मीद जगने लगी है.

देहरादून: प्रदेश के अस्पतालों में सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं (Uttarakhand health facility) देने के दावे कर रही है. लेकिन हकीकत कुछ और है. हालत ये है कि इन अस्पतालों में मरीजों के लिए पर्याप्त दवाएं तक नहीं हैं. मरीजों को अस्पताल के बाहर से दवा लेनी पड़ती हैं. सरकारी अस्पताल में डॉक्टर, स्टाफ और संसाधन के साथ ही दवाइयों (shortage of medicines in hospital) का घोर अभाव है. अस्पतालों में दवा की कमी के कारण लोगों को महंगी दवा खरीदने के लिए विवश होना पड़ता है.

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की कमी को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह समय से दवाइयों की आपूर्ति ना होना है. दरअसल, दवा की आपूर्ति करने वाली कंपनियों का समय से भुगतान ना होने के चलते कई बार कंपनियां दवाइयों की आपूर्ति पर ब्रेक लगा देती हैं. इसका सीधा असर सरकारी अस्पतालों (government hospitals) में दवाइयों की कमी के रूप में दिखाई देता है.
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राज्य के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की किल्लत होने लगी है. जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग में अब दवाओं की खरीदारी को लेकर हलचल तेज होती दिख रही है. दरअसल, व्यवस्था बनाने के नाम पर दवा कंपनियों का भुगतान तक नहीं हो पा रहा है. इसके चलते कंपनियों ने स्वास्थ्य विभाग (Uttarakhand Health Department) को दवा देने से तक से इनकार कर दिया है. अब सचिव स्वास्थ्य आर राजेश कुमार (Uttarakhand Health Secretary) ने मामले का संज्ञान लिया है और अधिकारियों को जल्द से जल्द दवा कंपनियों का भुगतान करने के निर्देश भी दिए हैं. उन्होंने कहा कि क्रय पॉलिसी को देखते हुए दवाओं की खरीदारी की जा रही है.
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उन्होंने बताया कि भुगतान के लिए आई फाइलों को जल्द ही निपटाते हुए कंपनियों का भुगतान जारी कर दिया जाएगा. जिससे समय से राज्य में दवाएं उपलब्ध कराई जा सकें. आपको बता दें कि फ्री ड्रग को लेकर राज्य सरकार की ओर से लगातार निर्देश जारी हो रहे हैं. लेकिन सिस्टम की हीला हवाली के चलते यह व्यवस्था ठप होती हुई दिखाई दे रही है. हालांकि अब प्रभारी सचिव का संज्ञान लेने के बाद जल्द दवाइयों की हो रही कमी को दूर करने की उम्मीद जगने लगी है.

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