देहरादून: उत्तराखंड में विधायी कार्य निपटने के साथ ही सात दिन का शीतकालीन सत्र सिर्फ दो दिन में अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया. इस सत्र के दौरान 5440.43 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट पास हुआ. साथ ही दो महत्वपूर्ण विधेयक भी पास हुए है. हालांकि, दो दिन तक चले सदन की कार्यवाही काफी हंगामेदार रही, क्योंकि विपक्ष लगातार सरकार को घेरने में जुटी रही. लेकिन सदन की कार्यवाही के दौरान सभी नेता सीरियस ही नजर आए. जबकि धामी 2.0 कार्यकाल से पहले सत्र के दौरान सदन में रौनक बरकरार रहती थी. क्योंकि सदन की कार्रवाई के दौरान न सिर्फ विपक्ष बेहतर ढंग से सरकार को घेरती थी, बल्कि हंसी मजाक भी सदन के दौरान होता रहता था.
विधानसभा में हुए दो दिवसीय शीतकाल सत्र के दौरान कानून व्यवस्था, बेरोजगारी, अंकिता हत्याकांड के साथ ही यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामला चर्चाओं में रहा. इसे साथ ही तमाम मुद्दों को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार को घेरने की तमाम कोशिशें भी की, लेकिन पहले सत्रों के दौरान विधायकों की जानकारी और सूझबूझ इस सत्र के दौरान ज्यादा दिखाई देती नजर नहीं आई. कुल मिलाकर कहें तो इस विधानसभा सत्र के दौरान तमाम ऐसे नेता नदारद ही रहे जो सदन के दौरान रौनक बरकरार रखते थे.
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पहला नाम हरक सिंह रावत जोकि पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं. हालांकि, वह वर्तमान समय में विधायक नहीं है, लेकिन इससे पहले भाजपा के कार्यकाल के दौरान भी हरक सिंह रावत सदन की कार्यवाही के दौरान न सिर्फ अपने ज्ञान और अनुभव से विपक्ष को परास्त करते रहे, बल्कि हंसी मजाक के जरिए भी विपक्ष को ताना मारने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते थे, जो अक्सर चर्चाओं का विषय भी बने रहते थे.
दूसरा झबरेड़ा से पूर्व विधायक देशराज कर्णवाला भी अपनी एक अलग अंदाज के लिए जाने जाते रहे हैं. क्योंकि साल 2017 से 2022 के बीच हुए विधानसभा सत्र के दौरान विधायक देशराज, अपनी सरकार के खिलाफ की सबसे ज्यादा सवाल लगाते रहे. मुख्य रूप से अपने क्षेत्र की तमाम समस्याओं के लिए वह विधानसभा में ना सिर्फ सवाल लगाए, बल्कि मंत्रियों से जवाब भी मांगा. यही नहीं, सदन के दौरान कई बार वह मजाक के पात्र भी बने, लेकिन कुल मिलाकर सदन की कार्यवाही के बीच हंसी मजाक और रौनक बरकरार रखने में देशराज हमेशा कामयाब हुए.
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अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में रहने वाले भाजपा विधायक बंशीधर भगत भी हमेशा से ही सदन की कार्यवाही के दौरान हंसी मजाक करने में पीछे नहीं हटते हैं. हालांकि, शीतकाल सत्र के दौरान विधायक बंशीधर भगत मौजूद नहीं रहे. यही वजह है कि उनकी कमी भी खली.
दरअसल, सदन की कार्यवाही के दौरान बंशीधर भगत विपक्ष पर लगातार हमलावर नजर आते रहे हैं. क्योंकि वह किसी न किसी बहाने विपक्षी दल कांग्रेस पर तंज कसते रहे जिससे सदन में हंसी मजाक की रौनक दिखाई देती रही.