ETV Bharat / state

कैलाश मानसरोवर यात्रियों के लिए देवदूत बनी SDRF, जान पर खेलकर बचा रहे श्रद्धालुओं की जान

दुनिया की बेहद खतरनाक यात्राओं में से एक कैलाश मानसरोवर यात्रा अंतिम दौर में है. इस यात्रा में कई ऐसे मौके आए जब SDRF जवानों ने अपनी जान पर खेलकर श्रद्धालुओं की जान बचाई.

मानसरोवर
author img

By

Published : Aug 29, 2019, 1:32 PM IST

Updated : Aug 29, 2019, 2:40 PM IST

देहरादूनः दुनियाभर के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में सबसे जटिल यात्राओं में आने वाली मानसरोवर यात्रा का अंतिम पड़ाव आ चुका है. इस वर्ष अब तक 15 जत्थों को SDRF ने देवदूत बनकर सकुशल यात्रा करवाई है, जबकि अंतिम पड़ाव में अब मात्र 3 जत्थे ही शेष रह गए हैं, जिनकी यात्रा जारी है. 18वें और अंतिम जत्थे की यात्रा बीते रविवार शुरू हो गई थी.

मानसरोवर यात्रियों के लिए देवदूत बनी SDRF.

उत्तराखंड से मानसरोवर यात्रा सफल बनाने में SDRF की अहम भूमिका रही है. वहीं यात्रा पूरी कर लौटे श्रद्धालुओं ने SDRF को शुक्रिया कहा है. उनका कहना है कि अगर SDRF नहीं होती तो यात्रा मुश्किल होती.

यात्रा में पिथौरागढ़ के नजंग से गूंजी तक लगभग 40 किमी की पैदल यात्रा अत्यंत दुर्गम और वीरान स्थानों से गुजरती है. चौमास की भारी बारिश यात्रा को और भी मुश्किल बना देती है. ऐसे हालातों में SDRF कैलाश मानसरोवर यात्रियों को आगे ले जाती है.

वर्ष 2019 में कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान SDRF टीमों ने 22 रेस्क्यू कार्यों को अंजाम देकर 245 यात्रियों की मदद की. सम्पूर्ण यात्रा में 18 दलों में कुल 201 महिला यात्री सहित 941 श्रद्धालु सम्मलित हैं. इंस्पेक्टर नरेंद्र कुमार आर्य के नेतृत्व में SDRF की दो टीमें यात्रा ड्यूटी पर तैनात हैं. टीम चोटिल होने पर यात्रियों का उपचार कर रही है. वहीं दुर्गम रास्तों को पार कराने में उनकी मदद भी करती है.

यह भी पढ़ेंः राष्ट्रीय खेल दिवस: पूरी दुनिया में चमक बिखेर रहे उत्तराखंड के खिलाड़ी, कई खिताबों पर जमाया है कब्जा

वहीं इस यात्रा के 16वें दल में एक यात्री मनोहर दुबे निवासी मध्य प्रदेश को दिल का दौरा पड़ने पर SDRF ने तुरंत उपचार देकर उनकी जान बचाई.

नजंग में यात्रियों को मौत के मुंह से बचाया

SDRF ने छोटी कैलाश यात्रा में सम्मलित यात्रियों की भी यात्रा के दौरान सहायता की. नजंग में जंगली जहरीली मधुमख्यियों ने यात्रियों पर हमला कर दिया. इस दौरान SDRF जवानों ने वैकल्पिक मार्ग से उन्हें वापस निकाला.

श्रद्धालुओं ने किया दिल से शुक्रिया

यात्रा के दौरान एक दल के भूस्खलन में फंसने पर SDRF द्वारा बेहतरीन कार्य किया गया. अधिकांश यात्रियों ने वीडियो के माध्यम से SDRF को मानव सेवा समर्पित बल बताते हुए उनकी सराहना की.

देहरादूनः दुनियाभर के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में सबसे जटिल यात्राओं में आने वाली मानसरोवर यात्रा का अंतिम पड़ाव आ चुका है. इस वर्ष अब तक 15 जत्थों को SDRF ने देवदूत बनकर सकुशल यात्रा करवाई है, जबकि अंतिम पड़ाव में अब मात्र 3 जत्थे ही शेष रह गए हैं, जिनकी यात्रा जारी है. 18वें और अंतिम जत्थे की यात्रा बीते रविवार शुरू हो गई थी.

मानसरोवर यात्रियों के लिए देवदूत बनी SDRF.

उत्तराखंड से मानसरोवर यात्रा सफल बनाने में SDRF की अहम भूमिका रही है. वहीं यात्रा पूरी कर लौटे श्रद्धालुओं ने SDRF को शुक्रिया कहा है. उनका कहना है कि अगर SDRF नहीं होती तो यात्रा मुश्किल होती.

यात्रा में पिथौरागढ़ के नजंग से गूंजी तक लगभग 40 किमी की पैदल यात्रा अत्यंत दुर्गम और वीरान स्थानों से गुजरती है. चौमास की भारी बारिश यात्रा को और भी मुश्किल बना देती है. ऐसे हालातों में SDRF कैलाश मानसरोवर यात्रियों को आगे ले जाती है.

वर्ष 2019 में कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान SDRF टीमों ने 22 रेस्क्यू कार्यों को अंजाम देकर 245 यात्रियों की मदद की. सम्पूर्ण यात्रा में 18 दलों में कुल 201 महिला यात्री सहित 941 श्रद्धालु सम्मलित हैं. इंस्पेक्टर नरेंद्र कुमार आर्य के नेतृत्व में SDRF की दो टीमें यात्रा ड्यूटी पर तैनात हैं. टीम चोटिल होने पर यात्रियों का उपचार कर रही है. वहीं दुर्गम रास्तों को पार कराने में उनकी मदद भी करती है.

यह भी पढ़ेंः राष्ट्रीय खेल दिवस: पूरी दुनिया में चमक बिखेर रहे उत्तराखंड के खिलाड़ी, कई खिताबों पर जमाया है कब्जा

वहीं इस यात्रा के 16वें दल में एक यात्री मनोहर दुबे निवासी मध्य प्रदेश को दिल का दौरा पड़ने पर SDRF ने तुरंत उपचार देकर उनकी जान बचाई.

नजंग में यात्रियों को मौत के मुंह से बचाया

SDRF ने छोटी कैलाश यात्रा में सम्मलित यात्रियों की भी यात्रा के दौरान सहायता की. नजंग में जंगली जहरीली मधुमख्यियों ने यात्रियों पर हमला कर दिया. इस दौरान SDRF जवानों ने वैकल्पिक मार्ग से उन्हें वापस निकाला.

श्रद्धालुओं ने किया दिल से शुक्रिया

यात्रा के दौरान एक दल के भूस्खलन में फंसने पर SDRF द्वारा बेहतरीन कार्य किया गया. अधिकांश यात्रियों ने वीडियो के माध्यम से SDRF को मानव सेवा समर्पित बल बताते हुए उनकी सराहना की.

Intro:Summary_मानसरोवर यात्रा में श्रद्धालुओं के लिए देवबूत बनी उत्तराखंड SDRF फ़ोर्स,अब तक 15 दलों की यात्रा सफलतापूर्वक सम्पन्न करा चुकी SDRF, अंतिम पड़ाव में 3 दलों की यात्रा गतिमान हैं, 18वां अंतिम जत्था रविवार को हो चुका हैं रवाना..

देहरादून- दुनियांभार के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में सबसे जटिल यात्राओं में आने वाली मानसरोवर यात्रा का अंतिम पड़ाव आ चुका हैं। इस वर्ष की यात्रा में अब तक 15 जत्थों को उत्तराखंड की SDRF फ़ोर्स देवदूत बनकर सकुशल यात्रा करा चुकी हैं जबकि अंतिम पड़ाव में अब मात्र 3 जत्थे ही शेष रह गए हैं जिनकी यात्रा गतिमान हैं। 18वें अंतिम जत्थे की यात्रा बीते रविवार की शुरू हो गई थी। उत्तराखंड से मानसरोवर यात्रा सफ़ल बनाने में SDRF की भूमिका रही हैं ऐसे में इस यात्रा के श्रद्धालुओं के जीवन को भीषण प्राकृतिक आपदाओं से बचाते हुए SDRF ने फिर नायाब कारनामा अपने नाम किया हैं। उधर देश -विदेश से मानसरोवर यात्रा को SDRF के सहयोग से सम्पन्न करने वाले श्रद्धालुओं ने SDRF की शुक्रिया करते हुए कहा की SDRF के बिना उत्तराखंड से यह यात्रा सफ़ल नहीं हो सकती हैं।

कैलाश मानसरोवर की अद्धभुत धार्मिक यात्रा पूर्ण होने में अब कुछ ही दिन शेष है ऐसे 18 वें अंतिम जत्थे ने भी रविवार को प्रस्थान कर लिया जबकि अभी तक सफलतापूर्वक 15 जत्थे अपनी यात्रा पूर्ण कर चुके है।
अंतिम 3 दल अपनी यात्रा में पिथौरागढ़ के
नजंग से गूंजी तक लगभग 40 किमी की पैदल यात्रा अत्यंत दुर्गम एवम वीरान स्थानों से गुजरती है, माह चौमास की भारी बारिश यात्रा को ओर भी दु:साध्य बना देती है ऐसे हालातों में SDRF केलाश मानसरोवर यात्रियों के साथ यात्रा पथ पर होती है। जो श्रद्धालुओं जीवन बचाती हुई आगे बढ़ रही हैं।


वर्ष 2019 केलाशमानसरोवर यात्रा के दौरान SDRF टीमो ने 22 रेस्कयू कार्यों को अंजाम देकर 245 यात्रियों की यात्रा को उन कठिन पहाड़ी मार्गो व आपदाओं से निष्कंटक व सकुशल पूर्ण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सम्पूर्ण यात्रा में 18 दलों में कुल 201 महिला यात्री सहित 941 श्रद्धालु सम्मलित है। इंस्पेक्टर नरेंद्र कुमार आर्य के नेतृत्व में SDRF की दो टीमें यात्रा में तैनात हैं।टीम के द्वारा अनेक स्थानों पर यात्रियों के चोटिल होने , घायल होने और मार्ग पार करने की असमर्थता में अपनी पूरी सामर्थ्य व रेस्कयू कार्य कुशलता से अवरुद्ध स्थानों में मार्ग पार करा मानसरोवर यात्रा को सफलतापूर्वक संचालित किया हैं।

वही इस यात्रा के 16 वें दल में एक यात्री मनोहर दुबे, मध्यप्रदेश निवासी को ह्रदय घात (दिल का दौरा) पड़ने के बाद उसे बचाने को अपनी पूर्ण सामर्थ्य लगा देने का जिक्र दल में सम्मलित दल चिकित्सक के द्वारा किया गया है। सभी जवान फर्स्ट एड मेडिकल सम्बन्धी बेहतरीन ज्ञान रखते , यात्री को बचाने की कोशिश में बेहतरीन टेक्निक(CPR) का इस्तेमाल किया गया ।

नजंग में यात्रियों को मौत के मुँह से बचा लायी SDRF

SDRF टीमों के द्वारा यात्री दल के अतिरिक्त छोटी केलाश यात्रा में सम्मलित यात्रियों की यात्रा के दौरान सहायता की गयी। नजंग के करीब एक वाकये में दल पर जंगली ज़हरीली मधुमक्खीयों के हमले के दोरान सभी यात्री मौत के मुँह फंस गए ऐसे में SDRF ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर सभी यात्रियों को कठिन पहाड़ी वैकल्पिक मार्ग से सकुशल निकाला ।


बाईट- मानसरोवर यात्री
बाईट- मानसरोवर यात्रा

Body:यात्रा में जिंदगी बचाने पर एसडीआरएफ उसका मानसरोवर श्रद्धालुओं ने किया दिल से शुक्रिया

वही मानसरोवर यात्रा के दौरान एक दल एक हादसे के दौरान भूस्खलन क्षेत्र में यात्री के चट्टानों के मध्य फंसने पर अकल्पनीय पारंगतता पहाड़ी ढंग से यात्री को बाहर निकाला है। इस वाकये का भी जिक्र यात्री दल के LO विंग कमांडर के द्वारा अपना वीडियो जारी करते हुए अपने साथ हुए हादसे में एसडीआरएफ की अदम्य साहस की सराहना की।
इस यात्रा में कई मौकों पर प्राकृतिक आपदाओं और जान जोखिम में पढ़ते समय एसडीआरएफ द्वारा जिंदगी बचाने के चलते अधिकांश यात्रियों ने अपने वीडियो किल्प के माध्यम से ,SDRF को मानव सेवा समर्पित बल बताते हुए इसके बिना यात्रा की कल्पना करना बेमानी बताया, सभी यात्रियों ने अपने अपने अनुभव के आधार पर कहा कि आने वाले समय मे अन्य रेस्कयू एजेंसियों भी इस बल से सीख लेंगी, यात्रियों के द्वारा सकुशल यात्रा सम्पन्न होने में असीम सहयोग के लिए , SDRF जवानों का धन्यवाद किया है। साथी यात्रियों का कहना है कि उत्तराखंड से मानसरोवर यात्रा एसडीआरएफ के बिना सफल होना मुमकिन नहीं लगती है।

बाइट मानसरोवर यात्री
बाइट मानसरोवर यात्रा

Conclusion:
Last Updated : Aug 29, 2019, 2:40 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.