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कोच विवाद: सीएम ने जांच के लिए CAU से लिखित में मांगा पत्र, मौलाना की एंट्री पर महिम वर्मा का खुलासा - CAU Secretary Mahim Vermas statement on Wasim Jafar controversy

सीएयू में वसीम जाफर विवाद मामले में महिम वर्मा ने बताया कि 'बायो बबल' में वसीम जाफर के कहने पर ही मौलाना को अंदर आने की इजाजत दी गई थी.

Mahim Vermas statement on Wasim Jafar controversy
CAU कोच विवाद मामले में महिम वर्मा का बड़ा बयान
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Published : Feb 16, 2021, 8:15 PM IST

Updated : Feb 17, 2021, 3:13 PM IST

देहरादून: क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के मुख्य कोच रहे वसीम जाफर के इस्तीफा देने से उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब इस मामले सीएयू के सचिव महिम वर्मा ने बड़ा खुलासा किया है. महिम वर्मा का कहना है कि जब उन्होंने कैंप में मौलाना के आने के बारे में जानकारी ली तो मैनेजर ने उन्हें बताया कि मौलाना के अंदर आने पर ऑब्जेक्शन किया गया था, मगर वसीम जाफर के कहने पर ही मौलाना को अंदर आने दिया गया था.

महिम वर्मा ने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए 'बायो बबल' में मैच कराये जा रहे थे. ऐसे में किसी भी बाहरी व्यक्ति को आने की अनुमति नहीं होती है. बावजूद इसके नमाज पढ़ाने को लेकर एक मौलाना को बुलाया था.

पढ़ें- उत्तराखंड क्रिकेट: वसीम जाफर का इस्तीफा और फिर स्टेडियम से सड़क तक पहुंची लड़ाई

वहीं, अब सीएयू का ये विवाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तक भी पहुंच गया है. बीते दिन सीएयू के पदाधिकारियों ने इस बाबत मुख्यमंत्री से मुलाकात की, जिसके बाद इस पूरे प्रकरण पर मुख्यमंत्री ने आपस में मिल बैठकर हल निकालने पर जोर दिया. जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए एसोसिएशन से लिखित में पत्र मांगा है.

पढ़ें- वसीम जाफर के इस्तीफे के बाद मनीष झा बने उत्तराखंड क्रिकेट के कोच

बता दें कि उत्तराखंड क्रिकेट टीम के पूर्व मुख्य कोच और पूर्व भारतीय क्रिकेटर वसीम जाफर ने कुछ दिनों पहले इस्तीफा दे दिया था. वसीम जाफर ने एसोसिएशन के पदाधिकारियों पर टीम चयन के मामले में मनमानी करने और दबाव बनाने का आरोप लगाया था. वहीं, एसोसिएशन की ओर से जाफर पर टीम में सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाया गया था.

क्या है सांप्रदायिकता का आरोप

वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते पिछले लंबे समय से बंद पड़ी खेल गतिविधियों को शुरू करने के साथ ही खिलाड़ियों के अभ्यास के लिए कैंप लगाए गए थे. उस दौरान संक्रमण को देखते हुए अभ्यास मैच 'बायो बबल' में कराया गये थे. मगर अभ्यास मैच के दौरान तात्कालिक उत्तराखंड सीनियर टीम के कप्तान इकबाल अब्दुल्ला ने नमाज पढ़ने के लिए मौलाना को बुलाया था, जिसकी अनुमति इकबाल अबदुल्ला ने मैनेजर से मांगी थी. उस दौरान वसीम जाफर ने मौलाना को नमाज पढ़ाने की अनुमति देने के लिए मैनेजर पर जोर दिया था. यही नहीं, वसीम जाफर पर सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए धार्मिक आधार पर राज्य टीम में खिलाड़ियों को शामिल कराने की कोशिश का भी आरोप है.

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के सचिव महिम वर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात करने गए थे. उस दौरान इस बात पर भी चर्चा की गई कि वसीम जाफर के इस्तीफे देने की वजह पर जांच होनी चाहिए.

देहरादून: क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के मुख्य कोच रहे वसीम जाफर के इस्तीफा देने से उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब इस मामले सीएयू के सचिव महिम वर्मा ने बड़ा खुलासा किया है. महिम वर्मा का कहना है कि जब उन्होंने कैंप में मौलाना के आने के बारे में जानकारी ली तो मैनेजर ने उन्हें बताया कि मौलाना के अंदर आने पर ऑब्जेक्शन किया गया था, मगर वसीम जाफर के कहने पर ही मौलाना को अंदर आने दिया गया था.

महिम वर्मा ने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए 'बायो बबल' में मैच कराये जा रहे थे. ऐसे में किसी भी बाहरी व्यक्ति को आने की अनुमति नहीं होती है. बावजूद इसके नमाज पढ़ाने को लेकर एक मौलाना को बुलाया था.

पढ़ें- उत्तराखंड क्रिकेट: वसीम जाफर का इस्तीफा और फिर स्टेडियम से सड़क तक पहुंची लड़ाई

वहीं, अब सीएयू का ये विवाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तक भी पहुंच गया है. बीते दिन सीएयू के पदाधिकारियों ने इस बाबत मुख्यमंत्री से मुलाकात की, जिसके बाद इस पूरे प्रकरण पर मुख्यमंत्री ने आपस में मिल बैठकर हल निकालने पर जोर दिया. जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए एसोसिएशन से लिखित में पत्र मांगा है.

पढ़ें- वसीम जाफर के इस्तीफे के बाद मनीष झा बने उत्तराखंड क्रिकेट के कोच

बता दें कि उत्तराखंड क्रिकेट टीम के पूर्व मुख्य कोच और पूर्व भारतीय क्रिकेटर वसीम जाफर ने कुछ दिनों पहले इस्तीफा दे दिया था. वसीम जाफर ने एसोसिएशन के पदाधिकारियों पर टीम चयन के मामले में मनमानी करने और दबाव बनाने का आरोप लगाया था. वहीं, एसोसिएशन की ओर से जाफर पर टीम में सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाया गया था.

क्या है सांप्रदायिकता का आरोप

वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते पिछले लंबे समय से बंद पड़ी खेल गतिविधियों को शुरू करने के साथ ही खिलाड़ियों के अभ्यास के लिए कैंप लगाए गए थे. उस दौरान संक्रमण को देखते हुए अभ्यास मैच 'बायो बबल' में कराया गये थे. मगर अभ्यास मैच के दौरान तात्कालिक उत्तराखंड सीनियर टीम के कप्तान इकबाल अब्दुल्ला ने नमाज पढ़ने के लिए मौलाना को बुलाया था, जिसकी अनुमति इकबाल अबदुल्ला ने मैनेजर से मांगी थी. उस दौरान वसीम जाफर ने मौलाना को नमाज पढ़ाने की अनुमति देने के लिए मैनेजर पर जोर दिया था. यही नहीं, वसीम जाफर पर सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए धार्मिक आधार पर राज्य टीम में खिलाड़ियों को शामिल कराने की कोशिश का भी आरोप है.

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के सचिव महिम वर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात करने गए थे. उस दौरान इस बात पर भी चर्चा की गई कि वसीम जाफर के इस्तीफे देने की वजह पर जांच होनी चाहिए.

Last Updated : Feb 17, 2021, 3:13 PM IST
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