देहरादूनः उत्तराखंड में लॉकडाउन को एक महीने से ज्यादा हो गया है. इस अवधि के दौरान प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 3 से बढ़कर 48 पहुंच गए हैं. लॉकडाउन के बीच क्या-क्या हुआ बदलाव? पढ़िए ये रिपोर्ट...
उत्तराखंड में बीते 15 मार्च को ही कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला FRI में आईएफएस प्रशिक्षु में पाया गया था. 22 मार्च यानी जनता कर्फ्यू के दिन तक यह आंकड़ा उत्तराखंड में तीन पहुंच चुका था. उत्तराखंड में ये तीनों ही कोरोना वायरस संक्रमण के मामले विदेश से प्रशिक्षण लेकर आये आईएफएस प्रशिक्षुओं में पाए गए थे. उत्तराखंड में लॉकडाउन को 30 दिन से ज्यादा हो चुके हैं. राज्य में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. यानी एवरेज लगाया जाए तो हर दिन एक मामला प्रदेश में सामने आ रहा है.
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीते 22 मार्च को भले ही 31 तक का लॉकडाउन किया, लेकिन 24 मार्च को पीएम ने 14 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन की घोषणा की. इसके बाद उत्तराखंड में भी लॉकडाउन 14 अप्रैल तक हो गया. राज्य में शुरुआती दौर में स्वास्थ्य सुरक्षा किट यानी सैनिटाइजर, मास्क और पीपीई किट समेत क्वॉरेंटीन सेंटर और तमाम व्यवस्थाओं की भारी कमी दिखी, लेकिन इस 1 महीने में धीरे-धीरे इन व्यवस्थाओं को काफी हद तक जुटा लिया गया है.
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सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लॉकडाउन का समय बढ़ने के साथ आम लोगों के लिए खाने-पीने की चीजों की मुफ्त व्यवस्था कर इसकी कमान प्रशासन और पुलिस को सौंपी. इस दौरान दूसरे प्रदेशों से कुछ लोगों को उत्तराखंड लाने की भी कोशिश की गई, लेकिन यह संख्या काफी बड़ी होने के कारण आखिरकार सरकार ने मामले पर हाथ खड़े कर लिए. सीएम त्रिवेंद्र ने 31 मार्च को दूसरे जिलों में फंसे लोगों के लिए कुछ रियायत देने का निर्णय लिया, लेकिन इससे पहले ही केंद्र की गाइडलाइन के बाद उसे वापस ले लिया गया.
लॉकडाउन के पहले चरण की समाप्ति पर 14 अप्रैल को पीएम मोदी ने 3 मई की तारीख जारी कर दूसरे चरण के लॉकडाउन की घोषणा की. इसे राज्य ने अपनाया. राज्य में 20 अप्रैल से कुछ सेक्टर्स में छूट देने का सिलसिला शुरू कर दिया गया है. इसमें बुक सेलर, इलेक्ट्रीशियन, उद्योग, कारखाने, बीमा कंपनियां, कृषि कार्य जैसे कुछ सेक्टर को रखा गया है. प्रदेश में अति संवेदनशील क्षेत्रों के रूप में कई हॉटस्पॉट चिन्हित किए गए हैं और इनमें कोई रियायत न देते हुए इसे पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया गया है.
इन 30 दिनों में उत्तराखंड के 7 जिलों से एक भी संक्रमण का मामला सामने नहीं आया तो पौड़ी और अल्मोड़ा में 1-1 संक्रमण का मामला सामने आने के बाद कोई दूसरा केस नहीं आया. उधर, दोनों ही जिलों में पाए गए संक्रमित मरीज स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से छुट्टी पा चुके हैं.
प्रदेश के मैदानी जिलों में ही कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा दिखाई दिया है. इसमें सबसे ज्यादा मामले राजधानी देहरादून में आए हैं. जबकि, नैनीताल, हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर में भी धीरे-धीरे संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. अच्छी खबर यह है कि 25 मरीज कोरोना वायरस से मुक्त हो चुके हैं और इन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है.