देहरादून: कोरोना महामारी के बीच प्रदेश में जारी लॉकडाउन के बीच वन विभाग ने बड़ी राहत की सांस ली है. दरअसल, हर साल प्रदेश में फरवरी माह से फॉरेस्ट फायर सीजन की शुरुआत हो जाती है. वहीं इस साल मई माह की शुरुआत हो चुकी है और प्रदेश में अब तक वनाग्नि से जुड़ा कोई भी गंभीर मामला सामने नहीं आया है.
गौरतलब है कि साल 2019 में जून माह तक प्रदेश में 1819 वनाग्नि से जुड़ी घटनाएं सामने आई थीं. इसमें 2363 हेक्टेयर वन क्षेत्र जलकर राख हो गए थे, लेकिन इस बार मई माह की शुरुआत हो चुकी है और अब तक वनाग्नि से जुड़ा कोई बड़ा मामला सामने नहीं आया है.
प्रदेश में वनाग्नि से जुड़े मामलों में आई कमी को लेकर प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखंड जयराज ने बताया इस साल वनाग्नि के मामलों में आई भारी कमी के दो प्रमुख कारण हो सकते हैं. इसमें पहला कारण प्रदेश में बीते 1 माह से जारी लॉकडाउन है तो वही दूसरा कारण हर दूसरे से तीसरे दिन के अंतराल में हो रही बारिश के चलते पर्यावरण में नमी है.
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प्रमुख वन संरक्षक जयराज के मुताबिक इस साल लॉकडाउन के चलते पर्यावरण में काफी सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है. जहां पिछले कई सालों तक मई माह में प्रदेश के मैदानी और पहाड़ी जनपदों में तापमान काफी ऊपर चला जाता था. वहीं इस साल अब तक तापमान में बहुत अधिक बढ़ोत्तरी देखने को नहीं मिल रही है. इसके साथ ही जिस तरह हर दूसरे से तीसरे दिन के अंतराल में बारिश का दौर जारी है. उससे भी वातावरण में नमी बनी हुई है. जिससे हमारे बेशकीमती वन इस बार अब तक सुरक्षित हैं.
वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश में जारी लॉकडाउन के चलते लोग अपने घरों में कैद हैं. हर साल मानवीय लापरवाही के चलते अक्सर प्रदेश के पर्वतीय इलाकों से जो वनाग्नि से जुड़े मामले देखने को मिलता है, इस साल अब तक इस तरह का भी कोई मामला सामने नहीं आया है. जो कि एक अच्छी बात है.
साल 2014-2019 तक वनाग्नि से जुड़े मामले
साल | वनाग्नि से जुड़े मामले | प्रभावित वन क्षेत्र (हेक्टेयर) |
2014 | 515 | 930.33 |
2015 | 412 | 701.61 |
2016 | 2074 | 4433.75 |
2017 | 805 | 1244.64 |
2018 | 2150 | 4480.04 |
2019 | 1819 | 2363.01 |