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50 लाख की लागत से तैयार हुआ अस्पताल, पर इलाज के भटक रहे मरीज, जानें क्या है माजरा - उत्तराखंड न्यूज

50 लाख की कीमत के बने पजिटिलानी अस्पताल की बिल्डिंग महज शोपीस बनकर रह गई है. इस अस्पताल की बिल्डिंग तो तैयार हो गई, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते इस अस्पताल में डॉक्टरों और अन्य स्टॉफ की कमी बनी हुई है.

50 लाख की कीमत से बना पजिटिलानी अस्पताल.
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Published : Apr 24, 2019, 9:02 AM IST

विकासनगर: लगभग 50 लाख की कीमत के बने पजिटिलानी अस्पताल की बिल्डिंग महज शोपीस बनकर रह गई है. इस अस्पताल की बिल्डिंग तो तैयार हो गई, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते इस अस्पताल में डॉक्टरों और अन्य स्टॉफ की कमी बनी हुई है.

2005 में हुआ था अस्पताल का निर्माण.
पजिटिलानी अस्पताल में वर्ष 2005 में अस्पताल बनाने की सरकार ने स्वीकृति प्रदान की थी. अस्पताल का निर्माण तो हो गया, लेकिन अभी तक डॉक्टर और स्टॉफ का टोटा पड़ा हुआ है. ग्रामीणों ने बताया कि 3 साल पहले तक बिल्डिंग का कार्य पूरा हो चुका था, लेकिन विभाग और सरकार ने पणजी पिलानी अस्पताल में डॉक्टरों सहित स्टॉफ को नियुक्त नहीं किया.

ये भी पढ़े: स्टिंग मामला: हाईकोर्ट ने सरकार से 3 हफ्ते में मांगा जवाब, खंडपीठ देखेगी स्टिंग

ग्रामीणों ने तंज कसते हुए कहा कि शायद विभाग डॉक्टर और स्टॉफ को भेजना भूल गया होगा. इस अस्पताल के सुचारू होने से लगभग 2 दर्जन गांव की 4000 से 5000 की आबादी को अस्पताल से स्वास्थ्य लाभ की उम्मीद थी.

सरकार के द्वारा 50 लाख की कीमत से बना ये अस्पताल मात्र शोपीस बनकर रह गया है. लोगों में सरकार और स्वास्थ्य विभाग के प्रति काफी रोष देखने को मिल रहा है. अब देखने वाली बात ये है कि आखिर कब तक गांव के लोगों को इस अस्पताल की सुविधाएं मिलनी शुरू हो पाएंगी.

विकासनगर: लगभग 50 लाख की कीमत के बने पजिटिलानी अस्पताल की बिल्डिंग महज शोपीस बनकर रह गई है. इस अस्पताल की बिल्डिंग तो तैयार हो गई, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते इस अस्पताल में डॉक्टरों और अन्य स्टॉफ की कमी बनी हुई है.

2005 में हुआ था अस्पताल का निर्माण.
पजिटिलानी अस्पताल में वर्ष 2005 में अस्पताल बनाने की सरकार ने स्वीकृति प्रदान की थी. अस्पताल का निर्माण तो हो गया, लेकिन अभी तक डॉक्टर और स्टॉफ का टोटा पड़ा हुआ है. ग्रामीणों ने बताया कि 3 साल पहले तक बिल्डिंग का कार्य पूरा हो चुका था, लेकिन विभाग और सरकार ने पणजी पिलानी अस्पताल में डॉक्टरों सहित स्टॉफ को नियुक्त नहीं किया.

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ग्रामीणों ने तंज कसते हुए कहा कि शायद विभाग डॉक्टर और स्टॉफ को भेजना भूल गया होगा. इस अस्पताल के सुचारू होने से लगभग 2 दर्जन गांव की 4000 से 5000 की आबादी को अस्पताल से स्वास्थ्य लाभ की उम्मीद थी.

सरकार के द्वारा 50 लाख की कीमत से बना ये अस्पताल मात्र शोपीस बनकर रह गया है. लोगों में सरकार और स्वास्थ्य विभाग के प्रति काफी रोष देखने को मिल रहा है. अब देखने वाली बात ये है कि आखिर कब तक गांव के लोगों को इस अस्पताल की सुविधाएं मिलनी शुरू हो पाएंगी.

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50 लाख की लागत से तैयार हुआ अस्पताल, पर इलाज के भटक रहे मरीज, जानें क्या है माजरा 



विकासनगर: लगभग 50 लाख की कीमत के बने पजिटिलानी अस्पताल की बिल्डिंग महज शोपीस बनकर रह गई है. इस अस्पताल की बिल्डिंग तो तैयार हो गई, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते इस अस्पताल में डॉक्टरों और अन्य स्टॉफ की कमी बनी हुई है.

पजिटिलानी अस्पताल में वर्ष 2005 में अस्पताल बनाने की सरकार ने स्वीकृति प्रदान की थी. अस्पताल का निर्माण तो हो गया, लेकिन अभी तक डॉक्टर और स्टॉफ का टोटा पड़ा हुआ है. ग्रामीणों ने बताया कि 3 साल पहले तक बिल्डिंग का कार्य पूरा हो चुका था, लेकिन विभाग और सरकार ने पणजी पिलानी अस्पताल में डॉक्टरों सहित स्टॉफ को नियुक्त नहीं किया.

 ग्रामीणों ने तंज कसते हुए कहा कि शायद विभाग डॉक्टर और स्टॉफ को भेजना भूल गया होगा. इस अस्पताल के सुचारू होने से लगभग 2 दर्जन गांव की 4000 से 5000 की आबादी को अस्पताल से स्वास्थ्य लाभ की उम्मीद थी.

सरकार के द्वारा 50 लाख की कीमत से बना ये अस्पताल मात्र शोपीस बनकर रह गया है. लोगों में सरकार और स्वास्थ्य विभाग के प्रति काफी रोष देखने को मिल रहा है. अब देखने वाली बात ये है कि आखिर कब तक गांव के लोगों को इस अस्पताल की सुविधाएं मिलनी शुरू हो पाएंगी.

 


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