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Sarva Pitru Amavasya 2023: पितरों को मनाने का आखिरी मौका, ऐसे करें पिंडदान और तर्पण, घर में आएगी सुख समृद्धि - पूर्वजों को प्रसन्न कैसे करें

Pitru Paksha Tarpan and Shraddha Method अगर आप किसी कारण या भूलवश इन 15 दिनों में अपने पितरों का पिंडदान या तर्पण नहीं कर पाए हैं तो कल यानी 14 अक्टूबर के दिन आप अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण कर सकतें हैं. खास ये है कि आपको अपने पूर्वजों के मृत्यु की तिथि या नाम या फिर उनका ध्यान नहीं है तो इस दिन तर्पण कर सकते हैं. इन दिन यानी पितृ अमावस्या के दिन तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. जानिए पितृ पूजन की विधि और तरीका...Pitru Paksha 2023

Sarva Pitru Amavasya 2023
Sarva Pitru Amavasya 2023
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 13, 2023, 7:10 PM IST

हरिद्वारः पितृ पक्ष यानी श्राद्ध पक्ष 14 अक्टूबर यानी कल सर्व पितृ अमावस्या के दिन समाप्त हो रहा है. सर्व पितृ अमावस्या को आश्विन अमावस्या और पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम भी जाना जाता है. मान्यता है कि यदि किसी कारणवश हम 15 दिन अपने पितरों का श्राद्ध या तर्पण नहीं कर पाते हैं तो सर्व पितृ अमावस्या को कर सकते हैं. क्योंकि, पितृ अमावस्या को ज्ञात, अज्ञात पितरों का श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण एक साथ किया जा सकता है. पितृ अमावस्या पर श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने से परिवार को पितरों का आशीर्वाद बना रहता है और घर में सुख समृद्धि आती है.

बता दें कि इस बार बीती 29 सितंबर को पितृ पक्ष या कहें श्राद्ध पक्ष शुरू हो गए थे. 15 दिनों तक चलने वाले यह पवित्र दिन अपने पूर्वजों को याद करने के लिए होते हैं. कहा जाता है कि यमलोक से पितृ 15 दिनों के लिए पृथ्वी लोक पर आते हैं और यहीं से वे अपने लोगों पर कृपा बरसाते हैं.

पितृ पक्ष में जल तर्पण ब्राह्मणों को भोजन कौवे और कुकुर यानी कुत्ते को भोजन करने का बड़ा महत्व बताया गया है. 14 अक्टूबर को वो आखरी दिन होगा, जब आप अपने पितरों को तर्पण श्रद्धा इत्यादि कर सकते हैं. शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनिचरी अमावस्या भी कहा जा रहा है और यह संयोग बेहद शुभ माना जाता है.
ये भी पढ़ेंः केदारनाथ में पिंडदान का बड़ा महत्व, तर्पण से पित्रों को होती है मोक्ष प्राप्ति

श्राद्ध और तर्पण करने के लिए मुहूर्त, पितृ देते हैं खुशहालीः श्राद्ध और तर्पण करने के लिए अमावस्या के दिन सुबह 11:44 से दोपहर 12:30 तक कुतुप मुहूर्त है. जबकि, दोपहर 12:30 से 1:16 तक रोहिण मुहूर्त बताया गया है. इसके अलावा दोपहर 1:16 से 3:35 तक अपराह्न काल बताया जा रहा है. ऐसे में कल का दिन सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

ऐसे में कल सुबह उठकर स्नान करने के बाद आप तर्पण और श्रद्धा इत्यादि कर सकते हैं. अगर आप किसी की मृत्यु की तिथि समय भूल भी गए हैं या आपको ये लगता है कि आपके पूर्वजों का नाम या उनका ध्यान नहीं है तो उनके नाम से भी अमावस्या के दिन तर्पण किया जा सकता है, ऐसा करने से हमारे पितृ प्रसन्न होते हैं.

पितृ अमावस्या के दिन तर्पण या श्राद्ध करने की विधिः तर्पण करने के लिए आप हाथ के अंगूठे में कुशा लगाकर तिल, पुष्प और सुगंधित कोई वस्तु जल के साथ अपने पितरों को अर्पित कर सकते हैं. आप किसी जरूरतमंद या गरीब व्यक्ति को भोजन या वस्त्र आदि दान कर सकते हैं. ध्यान रहे दान इत्यादि करते समय पितरों का ध्यान आपके मन में जरूर होना चाहिए.

पिंडदान अगर आप कर रहे हैं तो चावल या जौ के पिंडदान बनाकर आप किसी ब्राह्मण के साथ यह कर्मकांड करवा सकते हैं. गया जी, हरिद्वार और बदरीनाथ में श्राद्ध एवं तर्पण इत्यादि का बड़ा महत्व बताया गया है. अगर आप इन स्थानों पर जाकर अपने पूर्वजों को याद करते हैं तो भी काफी शुभ माना जाता है.
ये भी पढ़ेंः भगवान शिव को भी यहीं मिली थी ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति, जानिए श्राद्ध पक्ष में यहां तर्पण-पिंडदान का महत्व

अगर आप उन्हें प्रसन्न करने के लिए भगवत गीता रामायण या अन्य कोई पुराण सुनते हैं तो भी पितृ बेहद प्रसन्न होते हैं. अगर आपके पास कुछ भी करने की समर्थ नहीं है तो दोनों हाथों को फैलाकर सूर्य देवता की तरफ देखते हुए आप अपने पितरों को अपने आंसू से भी याद कर सकते हैं. इस दौरान आपके मन में आपके पितरों के प्रति भाव होना चाहिए.

हरिद्वारः पितृ पक्ष यानी श्राद्ध पक्ष 14 अक्टूबर यानी कल सर्व पितृ अमावस्या के दिन समाप्त हो रहा है. सर्व पितृ अमावस्या को आश्विन अमावस्या और पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम भी जाना जाता है. मान्यता है कि यदि किसी कारणवश हम 15 दिन अपने पितरों का श्राद्ध या तर्पण नहीं कर पाते हैं तो सर्व पितृ अमावस्या को कर सकते हैं. क्योंकि, पितृ अमावस्या को ज्ञात, अज्ञात पितरों का श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण एक साथ किया जा सकता है. पितृ अमावस्या पर श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने से परिवार को पितरों का आशीर्वाद बना रहता है और घर में सुख समृद्धि आती है.

बता दें कि इस बार बीती 29 सितंबर को पितृ पक्ष या कहें श्राद्ध पक्ष शुरू हो गए थे. 15 दिनों तक चलने वाले यह पवित्र दिन अपने पूर्वजों को याद करने के लिए होते हैं. कहा जाता है कि यमलोक से पितृ 15 दिनों के लिए पृथ्वी लोक पर आते हैं और यहीं से वे अपने लोगों पर कृपा बरसाते हैं.

पितृ पक्ष में जल तर्पण ब्राह्मणों को भोजन कौवे और कुकुर यानी कुत्ते को भोजन करने का बड़ा महत्व बताया गया है. 14 अक्टूबर को वो आखरी दिन होगा, जब आप अपने पितरों को तर्पण श्रद्धा इत्यादि कर सकते हैं. शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनिचरी अमावस्या भी कहा जा रहा है और यह संयोग बेहद शुभ माना जाता है.
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श्राद्ध और तर्पण करने के लिए मुहूर्त, पितृ देते हैं खुशहालीः श्राद्ध और तर्पण करने के लिए अमावस्या के दिन सुबह 11:44 से दोपहर 12:30 तक कुतुप मुहूर्त है. जबकि, दोपहर 12:30 से 1:16 तक रोहिण मुहूर्त बताया गया है. इसके अलावा दोपहर 1:16 से 3:35 तक अपराह्न काल बताया जा रहा है. ऐसे में कल का दिन सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

ऐसे में कल सुबह उठकर स्नान करने के बाद आप तर्पण और श्रद्धा इत्यादि कर सकते हैं. अगर आप किसी की मृत्यु की तिथि समय भूल भी गए हैं या आपको ये लगता है कि आपके पूर्वजों का नाम या उनका ध्यान नहीं है तो उनके नाम से भी अमावस्या के दिन तर्पण किया जा सकता है, ऐसा करने से हमारे पितृ प्रसन्न होते हैं.

पितृ अमावस्या के दिन तर्पण या श्राद्ध करने की विधिः तर्पण करने के लिए आप हाथ के अंगूठे में कुशा लगाकर तिल, पुष्प और सुगंधित कोई वस्तु जल के साथ अपने पितरों को अर्पित कर सकते हैं. आप किसी जरूरतमंद या गरीब व्यक्ति को भोजन या वस्त्र आदि दान कर सकते हैं. ध्यान रहे दान इत्यादि करते समय पितरों का ध्यान आपके मन में जरूर होना चाहिए.

पिंडदान अगर आप कर रहे हैं तो चावल या जौ के पिंडदान बनाकर आप किसी ब्राह्मण के साथ यह कर्मकांड करवा सकते हैं. गया जी, हरिद्वार और बदरीनाथ में श्राद्ध एवं तर्पण इत्यादि का बड़ा महत्व बताया गया है. अगर आप इन स्थानों पर जाकर अपने पूर्वजों को याद करते हैं तो भी काफी शुभ माना जाता है.
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अगर आप उन्हें प्रसन्न करने के लिए भगवत गीता रामायण या अन्य कोई पुराण सुनते हैं तो भी पितृ बेहद प्रसन्न होते हैं. अगर आपके पास कुछ भी करने की समर्थ नहीं है तो दोनों हाथों को फैलाकर सूर्य देवता की तरफ देखते हुए आप अपने पितरों को अपने आंसू से भी याद कर सकते हैं. इस दौरान आपके मन में आपके पितरों के प्रति भाव होना चाहिए.

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