देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वनाधिकार आंदोलन के संयोजक किशोर उपाध्याय ने कोरोना काल से त्रस्त जनता को बिजली-पानी के बिलों में राहत देने की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने सरकार से जल, जंगल और जमीन को बचाने के एवज में प्रत्येक उत्तराखंडवासी को एक गैस सिलेंडर प्रतिमाह नि:शुल्क दिए जाने की मांग की है.
उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड सरकार प्रदेशवासियों को वनवासी घोषित करें. इसके साथ ही उन्होंने प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को केंद्र या राज्य सरकार की नौकरियों में आरक्षण देकर योग्यतानुसार नियुक्ति दिए जाने की मांग की है.
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उन्होंने कहा कि प्रदेशवासियों को राज्य स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री से उम्मीद थी कि वे कोरोना काल में जनता को राहत देते हुए बिजली पानी के बिलों में छूट देंगे. क्योंकि यहां के प्रदेशवासी पानी और बिजली के कारखाने के मालिक हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने गैरसैंण संवारने के लिए 25 हजार करोड़ रुपए की घोषणा कर दी, लेकिन उत्तराखंड में जब कोई आदमी जीवित रहेगा तभी उस राजधानी में जा पाएगा. सरकार कर्जा लेकर कर्मचारियों की तनख्वाह दे रही है. प्रदेश की वर्तमान आर्थिक स्थिति क्या है उसको लेकर सरकार को एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि आज अपनी दुर्दशा के लिए प्रदेशवासी खुद जिम्मेदार हैं. क्योंकि अपने जंगलों पर जो पुश्तैनी हक हकूक और अधिकार थे वह खुद हमने छोड़ दिए. इसलिए उन्होंने अपने बाल बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए वनाधिकार आंदोलन को सक्रिय समर्थन देने को कहा है.
वनाधिकार आंदोलन की प्रमुख मांगे-
- जड़ी बूटियों पर स्थानीय समुदाय का अधिकार हो.
- शिक्षा व स्वास्थ्य नि:शुल्क हो.
- एक यूनिट आवास बनाने के लिए लकड़ी, बजरी और पत्थर नि:शुल्क दिया जाए.
- जंगली जानवरों द्वारा जनहानि होने पर 25 लाख रुपये क्षतिपूर्ति व परिवार के एक सदस्य को पक्की नौकरी दी जाए.
- जंगली जानवरों द्वारा फसल के नुकसान पर प्रति नाली 5 हजार रुपए क्षतिपूर्ति अदा की जाए. इसके साथ ही राज्य में अभिलंब चकबंदी की जाए.