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विकासनगर: परशुराम मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब, श्रद्धालुओं ने किये देव दर्शन - कालसी विकासखंड

विकासनगर में ग्यास पर्व पर गुरुवार को परशुराम देवता मंदिर में देर रात जागरण का आयोजन हुआ. वहीं, शुक्रवार सुबह से ही देव दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे.

परशुराम मंदिर बोहरी गांव में उमड़ा आस्था का सैलाब.
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Published : Nov 8, 2019, 8:01 PM IST

Updated : Nov 8, 2019, 8:43 PM IST

विकासनगर: जौनसार बावर क्षेत्र के बोहरी गांव स्थित परशुराम देवता मंदिर में ग्यास पर्व धूमधाम से मनाया गया. देर रात गांव में जागरण कर शुक्रवार सुबह 10 बजे देव डोली मंदिर से स्नान के लिए बाहर निकाली गई. करीब 1 घंटे बाद दोनों देव डोलियों को स्नान कराने के बाद मंदिर में प्रवेश कराया गया. इस बीच हजारों श्रद्धालुओं ने देव दर्शन कर सुख समृद्धि की कामना की.

बता दें कि कालसी विकासखंड के बोहरी गांव में देर रात जागरण के बाद से ही देव दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे. वहीं, मां रेणुका व परशुराम के जयकारों के जयघोष के साथ संपूर्ण वातावरण धार्मिक आस्था से गुंजायमान हो उठा. इस बीच हजारों लोगों ने देव दर्शन कर महिलाओं ने देव डोलियों की धूप-दीप से पूजा अर्चना की. इस दौरान उत्तर प्रदेश लखनऊ से आए परशुराम के भक्तों ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मंदिर में हर साल परशुराम ग्यास पर्व के आयोजन पर आते हैं. उन्होंने बताया कि परशुराम देवता के मंदिर में मन्नत मांगने और पूजा करने से उनके परिवार की सभी समस्याएं दूर हो गईं.

परशुराम मंदिर बोहरी गांव में उमड़ा आस्था का सैलाब.

यह भी पढ़ें: उत्तराखंडः जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर बीजेपी का परचम, नौ सीटों पर जमाया कब्जा

वहीं, भगवान परशुराम में अगाध आस्था रखने वाले संस्कृति के संवाहक चकराता के नंदलाल भारती बताते हैं कि परशुराम जी का ग्यास पर्व माता और पुत्र का पवित्र मिलन का पर्व है. जितने भी परशुराम भक्त हैं, उनके लिए यह सबसे बड़ा पर्व है. माना जाता है कि इस दिन परशुराम व माता रेणुका का कार्तिक मास की एकादशी को मिलन हुआ था. वहीं, यह भी माना जाता है कि भगवान परशुराम आज भी मेंद्रत पर्वत पर रहते हैं. इसके साथ ही मां रेणुका अपने पुत्र से मिलने हर साल इस पर्व में जरूर आती है.

विकासनगर: जौनसार बावर क्षेत्र के बोहरी गांव स्थित परशुराम देवता मंदिर में ग्यास पर्व धूमधाम से मनाया गया. देर रात गांव में जागरण कर शुक्रवार सुबह 10 बजे देव डोली मंदिर से स्नान के लिए बाहर निकाली गई. करीब 1 घंटे बाद दोनों देव डोलियों को स्नान कराने के बाद मंदिर में प्रवेश कराया गया. इस बीच हजारों श्रद्धालुओं ने देव दर्शन कर सुख समृद्धि की कामना की.

बता दें कि कालसी विकासखंड के बोहरी गांव में देर रात जागरण के बाद से ही देव दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे. वहीं, मां रेणुका व परशुराम के जयकारों के जयघोष के साथ संपूर्ण वातावरण धार्मिक आस्था से गुंजायमान हो उठा. इस बीच हजारों लोगों ने देव दर्शन कर महिलाओं ने देव डोलियों की धूप-दीप से पूजा अर्चना की. इस दौरान उत्तर प्रदेश लखनऊ से आए परशुराम के भक्तों ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मंदिर में हर साल परशुराम ग्यास पर्व के आयोजन पर आते हैं. उन्होंने बताया कि परशुराम देवता के मंदिर में मन्नत मांगने और पूजा करने से उनके परिवार की सभी समस्याएं दूर हो गईं.

परशुराम मंदिर बोहरी गांव में उमड़ा आस्था का सैलाब.

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वहीं, भगवान परशुराम में अगाध आस्था रखने वाले संस्कृति के संवाहक चकराता के नंदलाल भारती बताते हैं कि परशुराम जी का ग्यास पर्व माता और पुत्र का पवित्र मिलन का पर्व है. जितने भी परशुराम भक्त हैं, उनके लिए यह सबसे बड़ा पर्व है. माना जाता है कि इस दिन परशुराम व माता रेणुका का कार्तिक मास की एकादशी को मिलन हुआ था. वहीं, यह भी माना जाता है कि भगवान परशुराम आज भी मेंद्रत पर्वत पर रहते हैं. इसके साथ ही मां रेणुका अपने पुत्र से मिलने हर साल इस पर्व में जरूर आती है.

Intro:विकासनगर जौनसार बावर क्षेत्र के बोहरी गांव स्थित परशुराम देवता मंदिर में ग्यास पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया देर रात जागरण कर शुक्रवार सुबह करीब 10:00 बजे देव डोली मंदिर से स्नान के लिए बाहर निकाली गई करीब 1 घंटे बाद दोनों देव डोलियों को स्नान कराने के बाद मंदिर में प्रवेश कराया गया इस बीच हजारों श्रद्धालुओं ने देव दर्शन कर सुख समृद्धि की कामना


Body:कालसी विकासखंड के बोहरी गांव में देर रात जागरण के उपरांत शुक्रवार सुबह से ही लोग देव दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे थे करीब 10:00 बजे मां रेणुका जी भगवान परशुराम देवता की देव डोलिया को स्नान के लिए मंदिर से बाहर निकाली गई जो मंदिर परिसर से 1 किलोमीटर दूर प्राकृतिक स्रोत पर स्नान कराने के बाद दोनों देव डोलियों को मंदिर में प्रवेश कराया गया मां रेणुका व परशुराम के जयकारों के जयघोष के साथ संपूर्ण वातावरण धार्मिक आस्था से गुंजायमान हो उठा इस बीच हजारों लोगों ने देव दर्शन कर पुष्प वर्षा की साथ ही महिलाओं ने देव डोलियों को धूप दीप से पूजा अर्चना की उत्तर प्रदेश लखनऊ से आए परशुराम के भक्तों ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस मंदिर में हर वर्ष परशुराम ग्यास पर्व के आयोजन पर आते हैं पहले हमारे परिवार के काफी समस्याएं थी जब से परशुराम देवता की मंदिर में मन्नतें मांगी तब से हमारा सब पूरा परिवार खुशहाल और सुख समृद्धि बनी हुई है


Conclusion:वही भगवान परशुराम में अगाध आस्था रखने वाले संस्कृति के संवाहक चकराता के नंदलाल भारती बताते हैं कि परशुराम जी का ग्यास पर्व माता और पुत्र का पवित्र मिलन का पर्व है जितने भी परशुराम भक्त है इस पर्व को सबसे बड़े त्यौहार के रूप में मनाते हैं माना जाता है कि मां और बेटे का यह पवित्र मिलन है आज के दिन परशुराम व माता रेणुका कार्तिक मास की एकादशी को मां और पुत्र का मिलन होता है और इस दिन मां रेणुका अपने पुत्र से मिलने जरूर आती है माना जाता है कि भगवान परशुराम जी आज भी मेन्द्रत पर्वत पर रहते हैं ऐसी मान्यता है कि मां रेणुका अपने पुत्र से मिलने हर वर्ष इस पर्व में जरूर आती है सभी भक्तगण इस पल के इंतजार में रहते हैं किस रूप में मां रेणुका जी भगवान परशुराम से मिलने आती है
बाइट _दिनेश _लखनऊ उत्तर प्रदेश _परशुराम भक्त
बाइट _नंदलाल भारती_ संस्कृति संवाहक चकराता _परशुराम भक्त
Last Updated : Nov 8, 2019, 8:43 PM IST
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