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तो क्या इतिहास बन जाएगा उत्तराखंड का जोशीमठ, अस्तित्व बचाने में जुटे वैज्ञानिक - जोशीमठ में भू धंसाव का होगा सर्वेक्षण

जोशीमठ शहर में लगातार हो रहे भू धंसाव को लेकर चमोली जिला प्रशासन ने चिंता जाहिर करते हुए शासन को पत्र लिखा है. जिसके बाद शासन ने एक टीम जोशीमठ शहर की जांच के लिए पहुंची है. इस टेक्निकल टीम में IIT रुड़की, ISRO, GSI, सर्वे ऑफ इंडिया और आपदा प्रबंधन के अधिकारी शामिल हैं.

Joshimath landslide
जोशीमठ शहर.
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Published : Aug 17, 2022, 3:29 PM IST

Updated : Aug 18, 2022, 2:11 PM IST

देहरादून: चमोली जिला प्रशासन ने लगातार जोशीमठ शहर में हो रहे भू धंसाव (landslide in joshimath city) को लेकर उत्तराखंड शासन (Uttarakhand Government) को पत्र लिखा है. प्रशासन के इस पत्र पर उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग (Uttarakhand Disaster Management Department) ने तत्काल प्रभाव से संज्ञान लेते हुए अपर सचिव आपदा प्रबंधन जितेंद्र कुमार सोनकर (Additional Secretary Disaster Management Jitendra Kumar Sonkar) की अध्यक्षता में एक टेक्निकल टीम गठित की थी. यह टीम अब जोशीमठ पहुंच चुकी है.

जिलाधिकारी चमोली की रिपोर्ट के आधार पर जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भू धंसाव के बाद शासन ने एक उच्चस्तरीय टीम से वैज्ञानिक अध्ययन के लिए लिए गठित की थी. आज विभिन्न क्षेत्रों से आये सर्वेक्षण के लिए वैज्ञानिकों की टीम जोशीमठ पहुंची और सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया. टीम ने आज मारवाड़ी, विष्णुप्रयाग जाकर अलकनंदा नदी के कटाव वाले क्षेत्र को देखा. इसके बाद गांधीनगर, एटी नाला सहित आसपास के क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया.

जोशीमठ पहुंची वैज्ञानिकों की टीम.

इस टेक्निकल टीम में IIT रुड़की, ISRO, GSI, सर्वे ऑफ इंडिया (survey of india) और आपदा प्रबंधन के अधिकारी टीम में शामिल हैं. यह टीम 20 अगस्त को जोशीमठ में स्थलीय निरीक्षण करके वापस लौटेगी. जिस पर रिपोर्ट तैयार करके शासन को दी जाएगी. जोशीमठ में लगातार हो रहे भू धंसाव को लेकर शासन द्वारा गठित की गई थी. जांच के अध्यक्ष आपदा अपर सचिव जितेंद्र कुमार सोनकर को बनाया गया है.

ये भी पढ़ें: पहलगाम ITBP बस हादसे में पिथौरागढ़ का जवान शहीद, CM धामी ने जताया शोक

उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति जोशीमठ में भू धंसाव क्षेत्र का भू-वैज्ञानिक और भू-तकनीकी सर्वेक्षण अगले तीन दिन तक करेगी. आपदा प्रबंधन के अपर मुख्य कार्य अधिकारी पीयूष रौतेला ने कहा हमारी टीम ने आज मारवाड़ी विष्णुप्रयाग से अलकनंदा नदी के कटाव और भू धंसाव वाला क्षेत्र देखा है.

जोशीमठ शहर में भू धंसाव

उन्होंने कहा अलकनंदा नदी से काफी कटाव हो रहा है. नदी का जलस्तर भी काफी बढ़ा हुआ है. उन्होंने कहा यहां भी काफी भू धंसाव हो रहा है. जोशीमठ शहर में निर्माण अधिक हो रहा है. पानी की निकासी भी सही तरीके से नहीं रही है. जोशीमठ शहर के आसपास काफी दरारे भी आई है. इसके अलावा टीम के सदस्य एटी नाला सहित आसपास के क्षेत्रों में गए. अब टीम औली और सुनील गांव जाकर वहां की स्थिति का भी स्थलीय निरीक्षण करेंगे. अगले तीन दिन तक टीम रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजेगी.

भूवैज्ञानिक की राय: भूवैज्ञानिक बीडी जोशी इस पूरे मामले को लेकर एक विस्तारपूर्वक रिसर्च की बात कह रहे हैं. हालांकि जोशी यह कहते हैं कि हमारे हिमालय की जो उम्र है, वह बेहद कम है. लिहाजा अभी इसकी सतह कच्ची है. देखना यह होगा कि आसपास अगर बांध है तो बांध में कहीं पानी तो नहीं रूक रहा. इस क्रिया को हम जिओ ट्रैक्टरनिक मोमेंट भी कह सकते हैं.

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निरीक्षण करती टीम.

ऐसी अवस्था में पानी का भरना और उसके बाद कमजोर सतह का नीचे खिसकना यह अधिकतर जगहों पर देखा गया है. जिस क्षेत्र से यह जानकारी आई है, उस पर रिसर्च करके ही कुछ कहा जा सकता है. लेकिन इतना जरूर है कि पहाड़ों में हो रही ब्लास्टिंग और अत्यधिक पहाड़ों पर दबाव भी इसका कारण है.

बता दें कि केवल पर्यटन के दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी जोशीमठ में हो रहा भू धंसाव बेहद खतरनाक है. क्योंकि जोशीमठ में भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (Indo Tibetan Border Police in Joshimath) का एक बड़ा बेस कैंप है. वहीं इसके अलावा जोशीमठ शहर बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब की यात्रा (Hemkund Sahib tour) का भी मुख्य पड़ाव है.

देहरादून: चमोली जिला प्रशासन ने लगातार जोशीमठ शहर में हो रहे भू धंसाव (landslide in joshimath city) को लेकर उत्तराखंड शासन (Uttarakhand Government) को पत्र लिखा है. प्रशासन के इस पत्र पर उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग (Uttarakhand Disaster Management Department) ने तत्काल प्रभाव से संज्ञान लेते हुए अपर सचिव आपदा प्रबंधन जितेंद्र कुमार सोनकर (Additional Secretary Disaster Management Jitendra Kumar Sonkar) की अध्यक्षता में एक टेक्निकल टीम गठित की थी. यह टीम अब जोशीमठ पहुंच चुकी है.

जिलाधिकारी चमोली की रिपोर्ट के आधार पर जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भू धंसाव के बाद शासन ने एक उच्चस्तरीय टीम से वैज्ञानिक अध्ययन के लिए लिए गठित की थी. आज विभिन्न क्षेत्रों से आये सर्वेक्षण के लिए वैज्ञानिकों की टीम जोशीमठ पहुंची और सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया. टीम ने आज मारवाड़ी, विष्णुप्रयाग जाकर अलकनंदा नदी के कटाव वाले क्षेत्र को देखा. इसके बाद गांधीनगर, एटी नाला सहित आसपास के क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया.

जोशीमठ पहुंची वैज्ञानिकों की टीम.

इस टेक्निकल टीम में IIT रुड़की, ISRO, GSI, सर्वे ऑफ इंडिया (survey of india) और आपदा प्रबंधन के अधिकारी टीम में शामिल हैं. यह टीम 20 अगस्त को जोशीमठ में स्थलीय निरीक्षण करके वापस लौटेगी. जिस पर रिपोर्ट तैयार करके शासन को दी जाएगी. जोशीमठ में लगातार हो रहे भू धंसाव को लेकर शासन द्वारा गठित की गई थी. जांच के अध्यक्ष आपदा अपर सचिव जितेंद्र कुमार सोनकर को बनाया गया है.

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उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति जोशीमठ में भू धंसाव क्षेत्र का भू-वैज्ञानिक और भू-तकनीकी सर्वेक्षण अगले तीन दिन तक करेगी. आपदा प्रबंधन के अपर मुख्य कार्य अधिकारी पीयूष रौतेला ने कहा हमारी टीम ने आज मारवाड़ी विष्णुप्रयाग से अलकनंदा नदी के कटाव और भू धंसाव वाला क्षेत्र देखा है.

जोशीमठ शहर में भू धंसाव

उन्होंने कहा अलकनंदा नदी से काफी कटाव हो रहा है. नदी का जलस्तर भी काफी बढ़ा हुआ है. उन्होंने कहा यहां भी काफी भू धंसाव हो रहा है. जोशीमठ शहर में निर्माण अधिक हो रहा है. पानी की निकासी भी सही तरीके से नहीं रही है. जोशीमठ शहर के आसपास काफी दरारे भी आई है. इसके अलावा टीम के सदस्य एटी नाला सहित आसपास के क्षेत्रों में गए. अब टीम औली और सुनील गांव जाकर वहां की स्थिति का भी स्थलीय निरीक्षण करेंगे. अगले तीन दिन तक टीम रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजेगी.

भूवैज्ञानिक की राय: भूवैज्ञानिक बीडी जोशी इस पूरे मामले को लेकर एक विस्तारपूर्वक रिसर्च की बात कह रहे हैं. हालांकि जोशी यह कहते हैं कि हमारे हिमालय की जो उम्र है, वह बेहद कम है. लिहाजा अभी इसकी सतह कच्ची है. देखना यह होगा कि आसपास अगर बांध है तो बांध में कहीं पानी तो नहीं रूक रहा. इस क्रिया को हम जिओ ट्रैक्टरनिक मोमेंट भी कह सकते हैं.

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निरीक्षण करती टीम.

ऐसी अवस्था में पानी का भरना और उसके बाद कमजोर सतह का नीचे खिसकना यह अधिकतर जगहों पर देखा गया है. जिस क्षेत्र से यह जानकारी आई है, उस पर रिसर्च करके ही कुछ कहा जा सकता है. लेकिन इतना जरूर है कि पहाड़ों में हो रही ब्लास्टिंग और अत्यधिक पहाड़ों पर दबाव भी इसका कारण है.

बता दें कि केवल पर्यटन के दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी जोशीमठ में हो रहा भू धंसाव बेहद खतरनाक है. क्योंकि जोशीमठ में भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (Indo Tibetan Border Police in Joshimath) का एक बड़ा बेस कैंप है. वहीं इसके अलावा जोशीमठ शहर बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब की यात्रा (Hemkund Sahib tour) का भी मुख्य पड़ाव है.

Last Updated : Aug 18, 2022, 2:11 PM IST
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