ETV Bharat / state

500 करोड़ का सिडकुल घोटाला: जांच रिपोर्ट की बन चुकी हैं 224 फाइलें, फिर भी अधूरी है इन्वेस्टिगेशन

author img

By

Published : Feb 19, 2022, 1:27 PM IST

Updated : Feb 19, 2022, 1:42 PM IST

उत्तराखंड के चर्चित 500 करोड़ के सिडकुल घोटाले की पुलिस एसआईटी जांच 3 साल से लंबित चल रही है. इस चर्चित घोटाले पर पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी हुई हैं. जिसकी जांच होने पर कई लोगों पर गाज गिरनी तय है. चौंकाने वाली बात ये है कि जांच की 224 फाइलें बनने के बाद भी इन्वेस्टिगेशन अधूरी है. आज हम आपको बताते हैं क्या था ये घोटाला.

uttarakhand scam
चर्चित सिडकुल घोटाला

देहरादून: उत्तराखंड में बहुचर्चित सिडकुल (State Industrial Development Corporation Uttarakhand Ltd) घोटाले की तपिश राजनीतिक गलियारों में भी देखी जाती रही है. इस मामले में जांच लंबित होने से घोटालेबाजों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है. बहुचर्चित सिडकुल घोटाले से संबंधित 224 फाइलें हैं. जिनकी जांच होने में परत दर परत खुलना लाजिमी है. आइए जानते हैं क्या है बहुचर्चित सिडकुल घोटाला?

सिडकुल घोटाला: साल 2012 से 2017 के बीच सिडकुल (राज्य औद्योगिक विकास निगम उत्तराखंड लिमिटेड) की ओर से उत्तराखंड के अलग-अलग जनपदों में निर्माण कार्य कराए गए थे. आरोप है कि इनमें मानकों के विपरीत उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को ठेके दिए गए थे. इन्हीं निर्माण कार्यों के दौरान ऑडिट कराए जाने पर काफी अनियमितताएं सामने आई थीं. सरकारी धन के दुरुपयोग करने से लेकर करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया. इतना ही नहीं सिडकुल में वेतन निर्धारण और अलग-अलग पदों में भर्ती संबंधी मामले में भी कई तरह की अनियमितताएं पाई गईं. इस मामले में 2017 में शासन के आदेश पर गढ़वाल रेंज के डीआईजी के नेतृत्व में एसआइटी गठित की गई थी.

पढ़ें-सिडकुल का करोड़ों का घोटाला: देहरादून और उधम सिंह नगर के SSP को DIG की फटकार

एसआईटी कर रही जांच: ऐसे में जब सिडकुल निर्माण कार्यों का ऑडिट कराये जाने पर अनियमितताएं व सरकारी धन के दुरुपयोग, वेतन निर्धारण व विभिन्न पदों पर भर्ती संबंधित अनियमितता करने के तथ्य सामने आए थे. इस पर शासन स्तर से फरवरी वर्ष 2019 को पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल परिक्षेत्र की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया था. जानकारी के मुताबिक यह घोटाला लगभग 500 करोड़ का है. पुलिस अफसरों के अनुसार जनपद उधमसिंहनगर में 129, हरिद्वार में 32, देहरादून 162, पौड़ी गढ़वाल में 12 निर्माण कार्यों की जांच एसआईटी कर रही है.

500 करोड़ से अधिक का घोटाला: गढ़वाल डीआईजी जो एसआईटी का सुपरविजन कर रहे हैं, उन्होंने निर्देश दिए कि इस प्रकरण को लेकर वित्तीय, विधिक और तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा जांच पिछले 3 सालों से चल रही है. अब तक की कार्रवाई में अनियमितता बरतने वाले सिडकुल व उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिडेट के संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को चिह्नित किया गया है.

पढ़ें-सिडकुल घोटालाः 29 फाइलों की जांच पूरी, सामने आई कई अनियमितताएं

फिलहाल सिडकुल निर्माण के 500 करोड़ से अधिक के घोटाले में कुल जांच की 224 फाइलों में से 36 फाइलों की जांच लंबित चल रही है. इनमें देहरादून की 11 और उधम सिंह नगर 25 फाइलें हैं. ऐसे में एक बार फिर डीआईजी गढ़वाल ने दोनों ही जनपदों को चेतावनी देते हुए 1 माह तक लंबित जांच की फाइलों को निस्तारित कर रेंज ऑफिस में प्रेषित करने के निर्देश दिए हैं. ताकि सभी 224 जांच की फाइलों को शासन में पेश किया जा सके.

SSP को DIG की फटकार: उत्तराखंड के बहुचर्चित सिडकुल घोटाले में देहरादून और उधम सिंह नगर में एसआईटी की जांच में लेटलतीफी हो रही है. जिसको लेकर अब डीआईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल ने दोनों जिलों के एसएसपी को फटकार लगाई है. उन्होंने दोनों जिलों के एसएसपी को अगले 1 माह के अंदर जांच की रिपोर्ट प्रेषित करने को कहा है. करण सिंह नगन्याल ने कहा कि अगले 1 महीने में देहरादून और उधम सिंह नगर जैसे जिलों में लंबित जांच को हर हाल में पूरा कराकर शासन को पूरे प्रदेश से जुड़ी सिडकुल घोटाले की रिपोर्ट प्रेषित की जाएगी.

दो साल पहले आईजी गढ़वाल अभिनय कुमार के नेतृत्व में चल रही सिडकुल घोटाले की जांच की समीक्षा की थी. जिसमें से 29 फाइलों की जांच पूरी होने की आधिकारिक जानकारी सामने आई थी. अभिनव कुमार के मुताबिक साल 2012-13 के घोटाले से जुड़ी 29 फाइलों की जांच में भारी अनियमितताएं और गड़बड़ी पाई गई. जो इस प्रकार हैं.

  • अधिकार ना होने के बावजूद निचले अधिकारी की ओर से सिडकुल के बड़े निर्माण कार्यों के टेंडरों की स्वीकृति दी गई. यानी जितनी धनराशि की स्वीकृति देने का अधिकार था, उससे ज्यादा धनराशि का निर्माण कार्य स्वीकृत किया गया.
  • सिडकुल निर्माण की कुछेक फाइलों में एमओयू को लेकर अनिमिताएं पाई गई हैं. यानी जिस काम में एमओयू में दो पक्षों के हस्ताक्षर होने थे, उसमें एक ही हस्ताक्षर है और जिसके हस्ताक्षर हैं, उसे नियमानुसार वो अधिकार नहीं है.
  • सिडकुल निर्माण घोटाले से जुड़ी कई फाइलों में मेजरमेंट को लेकर SIT जांच में गड़बड़ी पाई गई है. यानी कुछ निर्माण कार्यों का मेजरमेंट या तो है ही नहीं, जिसके हैं तो उसका रखरखाव सही से नहीं रखा गया है.
  • सिडकुल निर्माण कार्य की कुछ जांच फाइलों में गुणवत्ता को लेकर गड़बड़ी सामने आई है. यानी निर्माण कार्य में गुणवत्ता को लेकर स्पष्ट रूप से कुछ भी फाइलों में अंकित नहीं किया गया है.
  • सिडकुल निर्माण की कुछेक जांच फाइलों में अभी तक हैंडओवर और टेकओवर की कोई कार्रवाई पूरी नहीं की गई है. सिडकुल निर्माण घोटाले की कुछ फाइलों में तय सीमा से कई अधिक समय लेकर विलंब से कार्य किया गया है.
  • यानी विलंब कार्य को आगे हस्तांतरण करते समय नियमानुसार किसी तरह की कोई पेनल्टी जो लगनी थी, वो नहीं लगाई गई है.

देहरादून: उत्तराखंड में बहुचर्चित सिडकुल (State Industrial Development Corporation Uttarakhand Ltd) घोटाले की तपिश राजनीतिक गलियारों में भी देखी जाती रही है. इस मामले में जांच लंबित होने से घोटालेबाजों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है. बहुचर्चित सिडकुल घोटाले से संबंधित 224 फाइलें हैं. जिनकी जांच होने में परत दर परत खुलना लाजिमी है. आइए जानते हैं क्या है बहुचर्चित सिडकुल घोटाला?

सिडकुल घोटाला: साल 2012 से 2017 के बीच सिडकुल (राज्य औद्योगिक विकास निगम उत्तराखंड लिमिटेड) की ओर से उत्तराखंड के अलग-अलग जनपदों में निर्माण कार्य कराए गए थे. आरोप है कि इनमें मानकों के विपरीत उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को ठेके दिए गए थे. इन्हीं निर्माण कार्यों के दौरान ऑडिट कराए जाने पर काफी अनियमितताएं सामने आई थीं. सरकारी धन के दुरुपयोग करने से लेकर करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया. इतना ही नहीं सिडकुल में वेतन निर्धारण और अलग-अलग पदों में भर्ती संबंधी मामले में भी कई तरह की अनियमितताएं पाई गईं. इस मामले में 2017 में शासन के आदेश पर गढ़वाल रेंज के डीआईजी के नेतृत्व में एसआइटी गठित की गई थी.

पढ़ें-सिडकुल का करोड़ों का घोटाला: देहरादून और उधम सिंह नगर के SSP को DIG की फटकार

एसआईटी कर रही जांच: ऐसे में जब सिडकुल निर्माण कार्यों का ऑडिट कराये जाने पर अनियमितताएं व सरकारी धन के दुरुपयोग, वेतन निर्धारण व विभिन्न पदों पर भर्ती संबंधित अनियमितता करने के तथ्य सामने आए थे. इस पर शासन स्तर से फरवरी वर्ष 2019 को पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल परिक्षेत्र की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया था. जानकारी के मुताबिक यह घोटाला लगभग 500 करोड़ का है. पुलिस अफसरों के अनुसार जनपद उधमसिंहनगर में 129, हरिद्वार में 32, देहरादून 162, पौड़ी गढ़वाल में 12 निर्माण कार्यों की जांच एसआईटी कर रही है.

500 करोड़ से अधिक का घोटाला: गढ़वाल डीआईजी जो एसआईटी का सुपरविजन कर रहे हैं, उन्होंने निर्देश दिए कि इस प्रकरण को लेकर वित्तीय, विधिक और तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा जांच पिछले 3 सालों से चल रही है. अब तक की कार्रवाई में अनियमितता बरतने वाले सिडकुल व उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिडेट के संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को चिह्नित किया गया है.

पढ़ें-सिडकुल घोटालाः 29 फाइलों की जांच पूरी, सामने आई कई अनियमितताएं

फिलहाल सिडकुल निर्माण के 500 करोड़ से अधिक के घोटाले में कुल जांच की 224 फाइलों में से 36 फाइलों की जांच लंबित चल रही है. इनमें देहरादून की 11 और उधम सिंह नगर 25 फाइलें हैं. ऐसे में एक बार फिर डीआईजी गढ़वाल ने दोनों ही जनपदों को चेतावनी देते हुए 1 माह तक लंबित जांच की फाइलों को निस्तारित कर रेंज ऑफिस में प्रेषित करने के निर्देश दिए हैं. ताकि सभी 224 जांच की फाइलों को शासन में पेश किया जा सके.

SSP को DIG की फटकार: उत्तराखंड के बहुचर्चित सिडकुल घोटाले में देहरादून और उधम सिंह नगर में एसआईटी की जांच में लेटलतीफी हो रही है. जिसको लेकर अब डीआईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल ने दोनों जिलों के एसएसपी को फटकार लगाई है. उन्होंने दोनों जिलों के एसएसपी को अगले 1 माह के अंदर जांच की रिपोर्ट प्रेषित करने को कहा है. करण सिंह नगन्याल ने कहा कि अगले 1 महीने में देहरादून और उधम सिंह नगर जैसे जिलों में लंबित जांच को हर हाल में पूरा कराकर शासन को पूरे प्रदेश से जुड़ी सिडकुल घोटाले की रिपोर्ट प्रेषित की जाएगी.

दो साल पहले आईजी गढ़वाल अभिनय कुमार के नेतृत्व में चल रही सिडकुल घोटाले की जांच की समीक्षा की थी. जिसमें से 29 फाइलों की जांच पूरी होने की आधिकारिक जानकारी सामने आई थी. अभिनव कुमार के मुताबिक साल 2012-13 के घोटाले से जुड़ी 29 फाइलों की जांच में भारी अनियमितताएं और गड़बड़ी पाई गई. जो इस प्रकार हैं.

  • अधिकार ना होने के बावजूद निचले अधिकारी की ओर से सिडकुल के बड़े निर्माण कार्यों के टेंडरों की स्वीकृति दी गई. यानी जितनी धनराशि की स्वीकृति देने का अधिकार था, उससे ज्यादा धनराशि का निर्माण कार्य स्वीकृत किया गया.
  • सिडकुल निर्माण की कुछेक फाइलों में एमओयू को लेकर अनिमिताएं पाई गई हैं. यानी जिस काम में एमओयू में दो पक्षों के हस्ताक्षर होने थे, उसमें एक ही हस्ताक्षर है और जिसके हस्ताक्षर हैं, उसे नियमानुसार वो अधिकार नहीं है.
  • सिडकुल निर्माण घोटाले से जुड़ी कई फाइलों में मेजरमेंट को लेकर SIT जांच में गड़बड़ी पाई गई है. यानी कुछ निर्माण कार्यों का मेजरमेंट या तो है ही नहीं, जिसके हैं तो उसका रखरखाव सही से नहीं रखा गया है.
  • सिडकुल निर्माण कार्य की कुछ जांच फाइलों में गुणवत्ता को लेकर गड़बड़ी सामने आई है. यानी निर्माण कार्य में गुणवत्ता को लेकर स्पष्ट रूप से कुछ भी फाइलों में अंकित नहीं किया गया है.
  • सिडकुल निर्माण की कुछेक जांच फाइलों में अभी तक हैंडओवर और टेकओवर की कोई कार्रवाई पूरी नहीं की गई है. सिडकुल निर्माण घोटाले की कुछ फाइलों में तय सीमा से कई अधिक समय लेकर विलंब से कार्य किया गया है.
  • यानी विलंब कार्य को आगे हस्तांतरण करते समय नियमानुसार किसी तरह की कोई पेनल्टी जो लगनी थी, वो नहीं लगाई गई है.
Last Updated : Feb 19, 2022, 1:42 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.