मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल चल रहा है. जिसमें फिल्म निर्माताओं द्वारा बनाई गई कई लघु फिल्में और वृत्तचित्र प्रदर्शित किये. जिन फिल्म निर्माताओं की फिल्में दिखाई गई उसमें शुभदर्शनी सिंह, संयुक्ता शर्मा, संजय टम्टा, अरविंद शर्मा और रूपिन डांग शामिल थे. स्थानीय फिल्मों के खंड की शुरुआत लघु फिल्म लता की स्क्रीनिंग के साथ की गई. शुभदर्शनी सिंह फिल्म लता गांव में नंदा देवी के मंदिर उत्सव की स्थानीय परंपराओं को दर्शाती है.
शुभदर्शनी, जो रस्किन बॉन्ड की कहानियों पर आधारित दूरदर्शन टीवी श्रृंखला एक था रस्टी के लिए लोकप्रिय हैं, वार्षिक मंदिर उत्सव के दौरान देवी की पूजा करते समय अपनाए जाने वाले अनुष्ठानों को दर्शाती हैं. साल में एक बार त्योहार के समय खिलने वाले ब्रह्मकमल के फूलों को गांव के युवाओं की एक टीम एकत्र करती है जो एक अभियान पर जाते हैं. जब वे पवित्र फूलों से भरी टोकरियों के साथ लौटते हैं तो उनका बड़े धूमधाम और संगीत के साथ स्वागत किया जाता है. गांव की महिलाएं अपने चमकीले पारंपरिक कपड़े पहनती हैं. धीमी गति से सुंदर क्षणों के साथ एक घेरे में नृत्य करती हैं. अगली फिल्म उत्तराखंड की अनोखी मधुमक्खी पालन परंपरा पर एक लघु फिल्म थी. जिसका शीर्षक था बो बो भौंकी.
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फिल्म निर्माता संयुक्ता शर्मा ने बताया गढ़वाल के गांवों में मधुमक्खी पालन की परंपरा बहुत अनोखी है. घर की दीवारों के अंदर मधुमक्खी घर बनाने की प्रथा दुनिया में कहीं और नहीं पाई जाती है. फिल्म की शूटिंग एग्लर घाटी के सैंजी और बनोगी गांवों में की गई थी. जिस ग्रामीण के घर में फिल्म की शूटिंग हुई थी वह दर्शकों के बीच मौजूद था. सिनेमैटोग्राफर अरविंद शर्मा ने बताया ग्रामीणों की मान्यताएं रानी मधुमक्खी से जुड़ी हुई है. जब रानी मधुमक्खी आपके घर में प्रवेश करती है तो यह बहुत शुभ माना जाता है. यदि रानी मधुमक्खी चली जाती है तो यह अशुभ माना जाता है.