देहरादून: पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला चिकित्सालय में पीपीपी बोर्ड पर संचालित मेडिट्रीना हार्ट सेंटर की ओर से दो दिवसीय कार्डियक वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें विदेशों से आए स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने पहले दिन हार्ट से संबंधित 6 मरीजों की जटिल सर्जरी को अंजाम दिया. जबकि 12 से अधिक रोगियों की जांच करके भविष्य में उनकी भी अस्पताल में सर्जरी के लिए समय नियत किया. इसकी प्रशंसा स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने भी की है. कार्डियक कार्यशाला का शुभारंभ ग्रुप के चेयरमैन डॉक्टर एन प्रताप कुमार व इटली से आए वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर इमद सिवान ने संयुक्त रूप से किया.
स्वास्थ्य मंत्री का जताया आभार: ग्रुप के चेयरमैन डॉक्टर एन प्रताप का कहना है कि कार्यशाला का शुभारंभ स्वास्थ्य मंत्री की ओर से किया जाना था लेकिन कर्नाटक विधानसभा चुनाव के प्रचार में होने के कारण वह मौजूद नहीं रहे. लेकिन उन्होंने दूरभाष के माध्यम से अपनी शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने हार्ट सेंटर के शुरू किए जाने पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का भी आभार जताया. उन्होंने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय में पीपीपी मोड पर संचालित हार्ट सेंटर में आयोजित कार्यशाला में दिल के मरीजों की जटिल से जटिल सर्जरी के साथ ही पीसीआई कोरोना वायरस की विभिन्न तकनीकों से इलाज की जानकारी भी हृदय रोग विशेषज्ञ को दी गई है.
अनियमित जीवनशैली से बढ़ रही हार्ट की समस्या: इस मौके पर सर्जरी का लाइव प्रसारण भी किया गया. डाक्टर्स ने बताया कि उचित खानपान और अपनी नियमित लाइफस्टाइल से हार्ट की बीमारी से बचा जा सकता है. उन्होंने बताया कि पहाड़ों की बजाय शहरी क्षेत्रों में हृदय रोग संबंधी बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं. धूम्रपान और अनियमित खानपान भी हृदय की बीमारियों को बढ़ा रहा है. युवाओं में भी हृदय रोग संबंधी समस्याओं के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में रोग संबंधी लक्षण की समय से पहचान किया जाना बहुत जरूरी है. कम वसा युक्त भोजन, नियमित व्यायाम और भरपूर नींद लिए जाने पर हृदय रोग से बचा जा सकता है.
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बता दें कि पीपीपी मोड पर संचालित हार्ट सेंटर की ओर से पिछले 1 साल में 11 हजार 749 मरीजों को ओपीडी सेवाएं दी जा चुकी हैं जबकि 115 मरीजों की जटिल हार्ट सर्जरी और 4 हजार 856 ईसीजी जबकि 3 हजार 63 ईको, 570 टीएमटी, 381 सीएजी व 213 मरीजों की एंजियोप्लास्टी की जा चुकी है. इसके अलावा आरवीएसके परियोजना के तहत विभिन्न सरकारी अस्पतालों से रेफर किए गए 30 मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है.