ETV Bharat / state

IMA में तैयार होते हैं आधुनिक 'अर्जुन-भीम', दुश्मन पर पहला वार कर जीतते हैं 'महाभारत' - Gentleman Cadet Avnish Chaubey

देश के 325 युवा अब सेना में बतौर अफसर शामिल होने के लिए तैयार हैं. कठिन प्रशिक्षण और सर्वोच्च आत्मविश्वास से लबरेज जेंटलमैन कैडेट्स 12 दिसम्बर को पासिंग आउट परेड में प्रथम पग की नई परंपरा के साथ सेना का हिस्सा बनेंगे. हालांकि जेंटलमैन कैडेट्स के यहां तक का सफर इतना आसान नहीं होता.

big-warriors-for-army-in-ima-dehradun
IMA में तैयार होते हैं अजेय योद्धा
author img

By

Published : Dec 8, 2020, 10:01 AM IST

Updated : Dec 12, 2020, 6:12 AM IST

देहरादून: हाथों में अत्याधुनिक हथियार और शेर सी गर्जना. आंखों में आत्मविश्वास और देश प्रेम की झलक. यही हैं भारतीय सेना के नए जांबाज. जी हां दुश्मन की हर हरकत पर पैनी नजर रखकर उसे नेस्तनाबूद कर देने का प्रशिक्षण अब इन जेंटलमैन कैडेट का पूरा हो चुका है. उनके सीने में ऐसा फौलाद भरा गया है जो दुश्मन को जलाकर राख कर दे. भारतीय सैन्य अकादमी में तैयार किए गए यह शूरवीर देश की सरहदों को हर हाल में सुरक्षित करेंगे इसमें कोई शक नहीं.

रणबांकुरे तैयार करना है चुनौती

आईएमए के एडजुटेंट ले. कर्नल रमन गक्कर बताते हैं कि ऐसे रणबांकुरों को तैयार करना काफी चुनौतीपूर्ण है. एक नॉर्मल लाइफ से सेना की लाइफस्टाइल को अपनाने में कई बार मुश्किलें भी आती हैं.

ima-dehradun
गुरु द्रोणाचार्य की नगरी देहरादून में IMA देती है जांबाज आर्मी ऑफिसर.

कॉलेज की मस्तमौला लाइफ से इतर है आईएमए की जिंदगी

स्कूल और कॉलेज लाइफ से बाहर निकल कर एक अनुशासित और कठिन जिंदगी जीना काफी मुश्किल है. लेकिन कहते हैं ना, कुछ पाने के लिए कुछ खोना होता है. बस इन्हीं पंक्तियों पर चलकर देश सेवा का मौका पाने के लिए हज़ारों युवा भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण पाने का सपना पूरा करने निकल पड़ते हैं.

IMA देश के लिए तैयार करता है योद्धा.

हजारों में से चुने जाते हैं कुछ वीर

इस दौरान कठिन परीक्षा और इंटरव्यू के बाद जाकर हजारों की भीड़ में से कुछ चुनिंदा वीरों को तलाश किया जाता है. आईएमए में दाखिल होने से लेकर सेना में कमीशन आने तक का सफर जेंटलमैन कैडेट के लिए एक नई जिंदगी सा होता है.

ima-dehradun
योद्धाओं बनाने की फैक्ट्री है IMA देहरादून.

पढ़ें- IMA देहरादून में रखा है पाकिस्तान का झंडा, क्या आप जानते हैं इसका राज?

आईएमए के ऑफिसर ही निभाते हैं माता-पिता की भूमिका

माता-पिता से दूर भारतीय सैन्य अकादमी के प्रशिक्षक और ऑफिसर ही यहां जेंटलमैन कैडेट्स के अभिभावक का रोल निभाते हैं. प्रशिक्षण कठिन जरूर होता है, लेकिन भविष्य के योद्धाओं को तैयार करने के लिए इसे बेहद तैयारी के साथ पूरा किया जाता है. मेजर निखिल निकम बताते हैं कि यहां जेंटलमैन कैडेट्स को न केवल शारीरिक प्रशिक्षण किया जाता है बल्कि एकेडमिक और हथियारों की उच्च स्तरीय जानकारी के साथ देश सेवा और पराक्रम के लिए प्रेरित भी किया जाता है.

ima-dehradun
अचूक निशाना, अदम्य साहस.
ima-dehradun
जो पहली गोली चलाएगा वही जीतेगा.

जो चलाएगा पहली गोली, उसकी होगी जीत

आईएमए का मकसद जेंटलमैन कैडेट्स को वीर और विवेकशील बनाना है. यानी मौका पड़ने पर अदम्य साहस के साथ फौरन निर्णय लेने की क्षमता दिखाई दे. कहते हैं जंग वही जीतता है जो सबसे पहले और सटीक गोली चलाए. इसी बात को समझते हुए अकादमी के अफसर अपने जीसी के लिए फायरिंग रेंज में खूब पसीना बहाते हैं. इंस्ट्रक्टर हरपत राम कहते हैं कि युद्ध में पहली गोली से लेकर आमने-सामने की लड़ाई तक के गुर यहां बताए जाते हैं. इसलिए दुनिया भारतीय सेना का लोहा मानती है.

पढ़ें- सेना का 'पावर हाउस' है IMA देहरादून, 88 साल में दिए 62 हजार अफसर

कुछ अलग करने का सपना ले जाता है आईएमए

अकादमी में दाखिल होने वाले युवा सिर्फ वही होते हैं जिन्होंने हमेशा कुछ अलग करने का संकल्प लिया हो. आराम पसंद जिंदगी को ठुकराने और एक टफ चुनौती को कुबूल करने की हिम्मत रखने वाले ही अकादमी में सर्वाइव कर पाते हैं. जेंटलमैन कैडेट अवनीश चौबे ने भी बचपन से ऐसा ही सपना देखा और अब उसे हकीकत में साकार होते भी देख रहे हैं. अवनीश एक सैन्य परिवार से हैं. अनुशासन परिवार का हिस्सा रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी अवनीश कहते हैं कि अकादमी में आकर जब उन्होंने प्रशिक्षण लेना शुरू किया तो कई परेशानियां सामने आईं.

ima-dehradun
IMA युद्ध कला में बनाती है पारंगत.

मित्र देशों को भी आईएमए देता है जांबाज आर्मी ऑफिसर

अकादमी का इतिहास रहा है कि यहां न केवल भारतीय सेना में शामिल होने वाले जेंटलमैन कैडेट्स को ट्रेनिंग दी जाती है, बल्कि मित्र देशों के जेंटलमैन कैडेट्स भी यहां अव्वल दर्जे का प्रशिक्षण पाते हैं. इसी प्रशिक्षण की बदौलत ये कैडेट अपने देशों में अपनी सेना का नेतृत्व करते हैं. अफगानिस्तान के जेंटलमैन कैडेट शोहराब सदी कहते हैं कि भारतीय सैन्य अकादमी में सबसे बेहतर ट्रेनिंग दी जाती है. इसीलिए वे यहां पर आए हैं ताकि अपने देश में सेना का नेतृत्व करते हुए दुश्मनों को खदेड़ सकें. शोहराब कहते हैं कि भारत उनका दूसरा घर है और अकादमी में बहुत ज्यादा सुविधाओं के साथ युवा को सैन्य अफसर बनाया जाता है.

देहरादून: हाथों में अत्याधुनिक हथियार और शेर सी गर्जना. आंखों में आत्मविश्वास और देश प्रेम की झलक. यही हैं भारतीय सेना के नए जांबाज. जी हां दुश्मन की हर हरकत पर पैनी नजर रखकर उसे नेस्तनाबूद कर देने का प्रशिक्षण अब इन जेंटलमैन कैडेट का पूरा हो चुका है. उनके सीने में ऐसा फौलाद भरा गया है जो दुश्मन को जलाकर राख कर दे. भारतीय सैन्य अकादमी में तैयार किए गए यह शूरवीर देश की सरहदों को हर हाल में सुरक्षित करेंगे इसमें कोई शक नहीं.

रणबांकुरे तैयार करना है चुनौती

आईएमए के एडजुटेंट ले. कर्नल रमन गक्कर बताते हैं कि ऐसे रणबांकुरों को तैयार करना काफी चुनौतीपूर्ण है. एक नॉर्मल लाइफ से सेना की लाइफस्टाइल को अपनाने में कई बार मुश्किलें भी आती हैं.

ima-dehradun
गुरु द्रोणाचार्य की नगरी देहरादून में IMA देती है जांबाज आर्मी ऑफिसर.

कॉलेज की मस्तमौला लाइफ से इतर है आईएमए की जिंदगी

स्कूल और कॉलेज लाइफ से बाहर निकल कर एक अनुशासित और कठिन जिंदगी जीना काफी मुश्किल है. लेकिन कहते हैं ना, कुछ पाने के लिए कुछ खोना होता है. बस इन्हीं पंक्तियों पर चलकर देश सेवा का मौका पाने के लिए हज़ारों युवा भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण पाने का सपना पूरा करने निकल पड़ते हैं.

IMA देश के लिए तैयार करता है योद्धा.

हजारों में से चुने जाते हैं कुछ वीर

इस दौरान कठिन परीक्षा और इंटरव्यू के बाद जाकर हजारों की भीड़ में से कुछ चुनिंदा वीरों को तलाश किया जाता है. आईएमए में दाखिल होने से लेकर सेना में कमीशन आने तक का सफर जेंटलमैन कैडेट के लिए एक नई जिंदगी सा होता है.

ima-dehradun
योद्धाओं बनाने की फैक्ट्री है IMA देहरादून.

पढ़ें- IMA देहरादून में रखा है पाकिस्तान का झंडा, क्या आप जानते हैं इसका राज?

आईएमए के ऑफिसर ही निभाते हैं माता-पिता की भूमिका

माता-पिता से दूर भारतीय सैन्य अकादमी के प्रशिक्षक और ऑफिसर ही यहां जेंटलमैन कैडेट्स के अभिभावक का रोल निभाते हैं. प्रशिक्षण कठिन जरूर होता है, लेकिन भविष्य के योद्धाओं को तैयार करने के लिए इसे बेहद तैयारी के साथ पूरा किया जाता है. मेजर निखिल निकम बताते हैं कि यहां जेंटलमैन कैडेट्स को न केवल शारीरिक प्रशिक्षण किया जाता है बल्कि एकेडमिक और हथियारों की उच्च स्तरीय जानकारी के साथ देश सेवा और पराक्रम के लिए प्रेरित भी किया जाता है.

ima-dehradun
अचूक निशाना, अदम्य साहस.
ima-dehradun
जो पहली गोली चलाएगा वही जीतेगा.

जो चलाएगा पहली गोली, उसकी होगी जीत

आईएमए का मकसद जेंटलमैन कैडेट्स को वीर और विवेकशील बनाना है. यानी मौका पड़ने पर अदम्य साहस के साथ फौरन निर्णय लेने की क्षमता दिखाई दे. कहते हैं जंग वही जीतता है जो सबसे पहले और सटीक गोली चलाए. इसी बात को समझते हुए अकादमी के अफसर अपने जीसी के लिए फायरिंग रेंज में खूब पसीना बहाते हैं. इंस्ट्रक्टर हरपत राम कहते हैं कि युद्ध में पहली गोली से लेकर आमने-सामने की लड़ाई तक के गुर यहां बताए जाते हैं. इसलिए दुनिया भारतीय सेना का लोहा मानती है.

पढ़ें- सेना का 'पावर हाउस' है IMA देहरादून, 88 साल में दिए 62 हजार अफसर

कुछ अलग करने का सपना ले जाता है आईएमए

अकादमी में दाखिल होने वाले युवा सिर्फ वही होते हैं जिन्होंने हमेशा कुछ अलग करने का संकल्प लिया हो. आराम पसंद जिंदगी को ठुकराने और एक टफ चुनौती को कुबूल करने की हिम्मत रखने वाले ही अकादमी में सर्वाइव कर पाते हैं. जेंटलमैन कैडेट अवनीश चौबे ने भी बचपन से ऐसा ही सपना देखा और अब उसे हकीकत में साकार होते भी देख रहे हैं. अवनीश एक सैन्य परिवार से हैं. अनुशासन परिवार का हिस्सा रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी अवनीश कहते हैं कि अकादमी में आकर जब उन्होंने प्रशिक्षण लेना शुरू किया तो कई परेशानियां सामने आईं.

ima-dehradun
IMA युद्ध कला में बनाती है पारंगत.

मित्र देशों को भी आईएमए देता है जांबाज आर्मी ऑफिसर

अकादमी का इतिहास रहा है कि यहां न केवल भारतीय सेना में शामिल होने वाले जेंटलमैन कैडेट्स को ट्रेनिंग दी जाती है, बल्कि मित्र देशों के जेंटलमैन कैडेट्स भी यहां अव्वल दर्जे का प्रशिक्षण पाते हैं. इसी प्रशिक्षण की बदौलत ये कैडेट अपने देशों में अपनी सेना का नेतृत्व करते हैं. अफगानिस्तान के जेंटलमैन कैडेट शोहराब सदी कहते हैं कि भारतीय सैन्य अकादमी में सबसे बेहतर ट्रेनिंग दी जाती है. इसीलिए वे यहां पर आए हैं ताकि अपने देश में सेना का नेतृत्व करते हुए दुश्मनों को खदेड़ सकें. शोहराब कहते हैं कि भारत उनका दूसरा घर है और अकादमी में बहुत ज्यादा सुविधाओं के साथ युवा को सैन्य अफसर बनाया जाता है.

Last Updated : Dec 12, 2020, 6:12 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.