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इस महाकाली मंदिर में चावल के एक दाने से पूरी होती है हर मनोकामना - tourist place chakrata

जौनसार-बावर के चकराता के इंद्रोली गांव में स्थित महाकाली मंदिर में माता रानी जेष्ठ महीने में साक्षात मंदिर में विराजमान रहती है. जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से उनके दरबार में हाजिरी लगाता है. मां काली उनकी सभी मुरादें पूरी करती है. प्रसाद के रूप में मंदिर से मिले एक चावल के दाने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. जिन दंपति कोसंतान नहीं होती है, उन्हें यहां आकर संतान सुख की भी प्राप्ति होती है.

इंद्रोली गांव में स्थित महाकाली मंदिर
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Published : May 19, 2019, 11:39 PM IST

Updated : May 20, 2019, 12:06 AM IST

विकासनगरः चकराता क्षेत्र के इंद्रोली गांव के प्राचीन महाकाली मंदिर में इनदिनों श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. मां काली के दर्शन के लिए हजारों की संख्या श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. जेष्ठ महीने के पहले रविवार को श्रद्धालु नंगे पांव मीलों चलकर मंदिर पहुंचते हैं. जहां पर वो महाकाली के दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं. माना जाता है कि यहां चावल के एक दाने को प्रसाद के रूप में लेने पर सारी मनोकामनाएं पूरी होती है.

इंद्रोली गांव में स्थित महाकाली मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब.


बता दें कि जौनसार-बावर के चकराता से करीब 25 किलोमीटर की दूर इंद्रोली गांव स्थित है. इस गांव में महाकाली का एक प्राचीन मंदिर भी है. इस मंदिर में मां काली के दर्शन के लिए सालभर श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन ज्येष्ठ महीने के पहले रविवार का इस मंदिर में विशेष महत्व होता है. इस दिन मां का आशीर्वाद लेने के लिए यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इस दिन महिलाएं, पुरूष और बच्चे सभी नंगे पांव मीलों चलकर माता के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते हैं.
ये भी पढ़ेंः मोदी की केदारनाथ गुफा में मिलेगा बटलर, बिजली, दो समय भोजन, देना होगा इतना रकम


वैसे तो जौनसार-बावर में महासू देवता को आराध्य देव माना जाता हैं, इसके अलावा स्थानीय देवी-देवताओं का भी यहां अपना विशेष महत्व है. जिसमें नौ देवियों में से एक महाकाली की मुख्य रूप से यहां पूजी जाती है. ज्यादातर श्रद्धालु इंद्रोली महाकाली मंदिर में छत्र-छड़ी के साथ दर्शन करने पहुंचते हैं. जौनसार-बावर के लोग मां काली के छत्र और छड़ी को परिवार की सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए इस मंदिर से विधि विधान के साथ एक दिन के प्रवास पर ले जाते हैं. इंद्रोली गांव में मां काली का विशाल भंडारा भी होता है. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां प्रसाद के रूप में मिले एक चावल के दाने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.


वहीं, इस बारे में मंदिर समिति के बजीर टीकम सिंह ने बताया कि इस महाकाली मंदिर में लोगों की अटूट आस्था है. लोग माता रानी के दर्शन के लिए जौनसार-बावर ही नहीं बल्कि, देश के अन्य राज्यों से भी पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि माता रानी जेष्ठ महीने में साक्षात मंदिर में विराजमान रहती है. जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से उनके दरबार में हाजिरी लगाता है. मां काली उनकी सभी मुरादें पूरी करती है. प्रसाद के रूप में मंदिर से मिले एक चावल के दाने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. जिन दंपति कोसंतान नहीं होती है, उन्हें यहां आकर संतान सुख की भी प्राप्ति होती है.

विकासनगरः चकराता क्षेत्र के इंद्रोली गांव के प्राचीन महाकाली मंदिर में इनदिनों श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. मां काली के दर्शन के लिए हजारों की संख्या श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. जेष्ठ महीने के पहले रविवार को श्रद्धालु नंगे पांव मीलों चलकर मंदिर पहुंचते हैं. जहां पर वो महाकाली के दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं. माना जाता है कि यहां चावल के एक दाने को प्रसाद के रूप में लेने पर सारी मनोकामनाएं पूरी होती है.

इंद्रोली गांव में स्थित महाकाली मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब.


बता दें कि जौनसार-बावर के चकराता से करीब 25 किलोमीटर की दूर इंद्रोली गांव स्थित है. इस गांव में महाकाली का एक प्राचीन मंदिर भी है. इस मंदिर में मां काली के दर्शन के लिए सालभर श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन ज्येष्ठ महीने के पहले रविवार का इस मंदिर में विशेष महत्व होता है. इस दिन मां का आशीर्वाद लेने के लिए यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इस दिन महिलाएं, पुरूष और बच्चे सभी नंगे पांव मीलों चलकर माता के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते हैं.
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वैसे तो जौनसार-बावर में महासू देवता को आराध्य देव माना जाता हैं, इसके अलावा स्थानीय देवी-देवताओं का भी यहां अपना विशेष महत्व है. जिसमें नौ देवियों में से एक महाकाली की मुख्य रूप से यहां पूजी जाती है. ज्यादातर श्रद्धालु इंद्रोली महाकाली मंदिर में छत्र-छड़ी के साथ दर्शन करने पहुंचते हैं. जौनसार-बावर के लोग मां काली के छत्र और छड़ी को परिवार की सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए इस मंदिर से विधि विधान के साथ एक दिन के प्रवास पर ले जाते हैं. इंद्रोली गांव में मां काली का विशाल भंडारा भी होता है. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां प्रसाद के रूप में मिले एक चावल के दाने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.


वहीं, इस बारे में मंदिर समिति के बजीर टीकम सिंह ने बताया कि इस महाकाली मंदिर में लोगों की अटूट आस्था है. लोग माता रानी के दर्शन के लिए जौनसार-बावर ही नहीं बल्कि, देश के अन्य राज्यों से भी पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि माता रानी जेष्ठ महीने में साक्षात मंदिर में विराजमान रहती है. जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से उनके दरबार में हाजिरी लगाता है. मां काली उनकी सभी मुरादें पूरी करती है. प्रसाद के रूप में मंदिर से मिले एक चावल के दाने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. जिन दंपति कोसंतान नहीं होती है, उन्हें यहां आकर संतान सुख की भी प्राप्ति होती है.

Intro:जौनसार बावर चकराता के इन्द्रौली गांव में प्राचीन महाकाली के मंदिर में बैशाख जेष्ठ माह में विद्यमान रहती है मां काली के दर्शन को हजारों की संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु. 1 दाने चावल से होती है मनोकामनाएं पूरी.


Body:चकराता से लगभग 25 किलोमीटर दूर इंद्रौली गांव में महाकाली के प्राचीन मंदिर में लोग वैसे तो वर्षभर मां काली के दर्शन को श्रद्धालु मां का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं लेकिन बेशक वह जेष्ठ माह के प्रथम रविवार को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है माना जाता है कि जेष्ठ माह के प्रथम रविवार को लोग महिलाएं व पुरूष कई कई किलोमीटर नंगे पांव पैदल चलकर माता के दरबार महाकाली मंदिर इंद्रोली गांव पहुंच कर माता के दर्शन करते हैं मंदिर समिति के बजे टीकम सिंह बताते हैं कि इंद्रौली गांव स्थित महाकाली मंदिर में लोगों की अटूट आस्था है लोग माता रानी के दर्शनों को संपूर्ण जौनसार बावर गढ़वाल कोलकाता दिल्ली आदि क्षेत्रों से आते हैं बताया कि माता रानी दाखवा जेष्ठ माह में मंदिर में विधमान रहती है जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से अपनी मुराद रखेगा वही अवश्य ही पूरी होती है कहा कि मंदिर से एक चावल के दाने को ले जाकर ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं इस दंपत्ति को संतान की प्राप्ति नहीं होती तो अपनी पुकार माता रानी के मंदिर में करें तो उनकी मनोकामना अवश्य ही पूर्ण होती है वही जौनसार बावर में मासू देवता को तो लोग मानते ही हैं साथ ही यहां नौ देवियों में महाकाली की ही मुख्य रूप से पूजा की जाती है जौनसार बावर में जहां मां काली के मंदिर हैं वहां से अधिकतर माता रानी के इन्द्रौली महाकाली मंदिर में छत्र छड़ी के साथ नमन करने जाते हैं साथ ही उन्हें विधि पूर्वक वापस ले जाते हैं


Conclusion:जौनसार बावर के लोग माता रानी की छत्र छडी सुख समृद्धि एवं परिवार की खुशहाली के लिए इंद्रौली महाकाली मंदिर से विधि पूर्वक 1 दिन के प्रवास पर ले जाते हैं माना जाता है कि महाकाली इंद्रोली का बड़ा ही चमत्कार है लोग यहां माथा टेकने हजारों की संख्या में बेशाख के जेष्ठ माह में प्रथम रविवार को मुख्य रूप से महाकाली के दर्शन कर सुख-समृद्धि की कामना करके खुशी खुशी अपने घरों को लौटते हैं इंदौली गांव में मां काली का विशाल भंडारा भी होता है जिसे लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं
Last Updated : May 20, 2019, 12:06 AM IST
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