देहरादून: कांग्रेस उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में टिकट वितरण को लेकर सख्त रवैया अपनाए हुए है. पार्टी अनेक बार कह चुकी है कि एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट मिलेगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी अपनी देहरादून रैली के बाद हुई कांग्रेस की बैठक में भी इस बात को कह चुके हैं. लगता है पार्टी और उसके नेता के कहे का असर उत्तराखंड कांग्रेस के कुछ सीनियर लीडरों के परिवारों पर नहीं हो रहा है.
हरीश रावत के बेटे और बेटी मांग रहे टिकट: कांग्रेस हाईकमान और पार्टी के आदेश की हरीश रावत के परिजन ही धज्जियां उड़ा रहे हैं. हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र और आनंद दोनों अपने लिए टिकट की मांग कर रहे हैं. दोनों ने ही उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 को लड़ने की इच्छा जताई है. वहीं हरीश रावत की बेटी भी टिकट चाहती हैं.
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हरीश रावत की बेटी को भी चाहिए टिकट: हरीश रावत के दो बेटों को टिकट चाहिए ही उनकी बेटी अनुपमा रावत भी उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 लड़ने के लिए टिकट चाहती हैं. अनुपमा रावत हरिद्वार की किन्हीं तीन सीटों में एक पर चुनाव का टिकट मांग रही हैं.
अनुपमा रावत हैं महिला कांग्रेस की महासचिव: हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव हैं. अनुपमा ने हरिद्वार की तीन सीटों में से किसी एक से टिकट की मांग की है. हरिद्वार जिले में विधानसभा की कुल 11 सीटें हैं. अनुपमा रावत ने कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी को अपनी इच्छा जता दी है.
अविनाश पांडे हैं कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी के हेड: अविनाश पांडे उत्तराखंड कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी के हेड हैं. पांडे इन दिनों टिकट के इच्छुक कांग्रेस उम्मीदवारों के इंटरव्यू ले रहे हैं. अविनाश पांडे के साथ स्क्रीनिंग कमेटी में कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव, उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश गोदियाल, उत्तराखंड कांग्रेस कैंपेन कमेटी हेड हरीश रावत, राजेश धर्मानी और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह शामिल हैं.
कतार में कांग्रेस के अनेक दिग्गज: हरीश रावत के परिवार के अलावा भी अनेक दिग्गज टिकट की बेसब्री से इच्छा जता रहे हैं. इसने उत्तराखंड कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के साथ-साथ हाईकमान की मुसीबत बढ़ा दी है.
कांग्रेस की प्रतिक्रिया: पूरे मामले में उत्तराखंड कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी का कहना है कि टिकट बंटवारे को लेकर फिलहाल कोई फैसला सीईसी की बैठक में नहीं लिया गया है. पर्यवेक्षकों और डीसीसी द्वारा किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर टिकटों की समीक्षा की जा रही है. ऐसे में 'एक परिवार, एक टिकट' के फॉर्मूले का स्क्रीनिंग कमेटी पालन कर रही है. साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेता जो अपने बच्चों के लिए टिकट मांग रहे हैं, उनकी चिंता सीईसी की बैठक में उठाई जाएगी.
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उत्तराखंड कांग्रेस में हैं अनेक बवाल: उत्तराखंड कांग्रेस में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं बवाल बढ़ते जा रहे हैं. दिल्ली की मीटिंग के बाद हरीश रावत ने खुद ही घोषित कर दिया था कि वो उत्तराखंड चुनाव को लीड करेंगे. हालांकि बाद में उन्होंने हाईकमान के कहने पर इसके लिए खेद जताया था. अब टिकटों की मांग ने फिर से कांग्रेस की मुश्किल बढ़ा दी है.
सुमित हृदयेश का दावा: इंदिरा हृदयेश के देहांत के बाद हल्द्वानी की सीट पर कौन चुनाव लड़ेगा ये तय नहीं हो पाया है. मां की सीट होने के कारण सुमित हृदयेश इस सीट पर अपना दावा समझ रहे हैं. लेकिन इस सीट पर भी कई लोगों ने टिकट के लिए आंखें गड़ा रखी हैं.
प्रीतम सिंह भी बेटे के लिए चाहते हैं टिकट: टिकटों की चाहत की बात यहीं खत्म नहीं होती. नेता प्रतिपक्ष और हरीश रावत से छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले प्रीतम सिंह भी अपने बेटे के लिए टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं. प्रीतम सिंह अपने बेटे अभिषेक को इस बार विधानसभा में देखना चाहते हैं.
यशपाल आर्य पहले से कतार में हैं: यशपाल आर्य ने जब बीजेपी और कैबिनेट पद छोड़ा तो ऐसा कहा गया कि उनके बेटे संजीव आर्य को इस बार टिकट मिलना मुश्किल था. इसलिए आर्य संजीव का टिकट पक्का कराने के लिए सरकार छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए. लेकिन लगता है उनका दांव भी कहीं उल्टा न पड़ जाए. अगर कांग्रेस हाईकमान एक परिवार एक टिकट फॉर्मूले पर कड़ाई से टिका रहा तो या तो यशपाल आर्य चुनाव लड़ पाएंगे या फिर उनके बेटे संजीव आर्य चुनाव लड़ सकेंगे.
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आने वाले दिन होंगे उथल-पुथल वाले: उत्तराखंड कांग्रेस में जिस तरह टिकटों के लिए मारा-मारी मची है, उससे लगता है कि आने दिन उथल-पुथल भरे हो सकते हैं. क्योंकि जो दिग्गज अपने और अपने बेटे-बेटियों के लिए टिकट मांग रहे हैं उनका जीवन राजनीति में ही खपा है. टिकट से कम पर कोई मानने वाला नहीं है.