देहरादून: वन मंत्री हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में वन विभाग के अधिकारियों से तमाम मामलों पर चर्चा की गई. बैठक में प्रदेशभर से कंजरवेटर और उससे ऊपर के सभी अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस बैठक में शामिल हुए. बैठक में मुख्य रूप से चमोली जिले के रैणी गांव को लेकर अलग कार्ययोजना बनाई गई जहां जल प्रलय ने कई लोगों की जिंदगी लील ली. इसके अलावा वृक्षारोपण, मानव वन्यजीव संघर्ष के मामले, वनाग्नि, पिरूल नीति, वन पंचायतों को सक्रिय करने के साथ ही उत्तराखंड राज्य में असम की तर्ज पर विभिन्न प्रजातियों के बांस लगाए जाने पर चर्चा की गई.
बैठक के दौरान अधिकारियों ने जानकारी दी कि इस वित्तीय वर्ष में जो लक्ष्य रखा गया था उस लक्ष्य में से करीब 90 प्रतिशत तक के लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है. इसे साथ ही जो वित्तीय स्थिति है उसके अनुसार केंद्र पोषित योजना, कैम्पा, राज्य सेक्टर की योजना और पंचायत वनों में कुल बजट की करीब 78 फीसदी धनराशि खर्च की जा चुकी है. हालांकि पिछले वित्तीय वर्षों के मुकाबले इस वित्तीय वर्ष अधिक बजट खर्च किया गया है.
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रैणी गांव के लिए वन विभाग की अलग कार्ययोजना
वन मंत्री ने बताया कि जोशीमठ के जिस गांव में आपदा आई है उसके समीप रहने वाले लोगों के विकास और आजीविका के लिए वन विभाग, एक अलग से कार्ययोजना बनाने जा रहा है, जो वहां के वन पंचायत के माध्यम से संचालित किया जाएगा.
वन्यजीव संघर्ष में मुआवजा
वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि साल 2019 में कैबिनेट की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया था कि वन्य जीव संघर्ष में दी जाने वाली मुआवजा राशि आपदा के नियमों के तहत दी जाएगी. जिसके आदेश भी जारी हो गए थे लेकिन अभी तक इसकी जानकारी अधिकारियों को नहीं हो पाई थी जिसके बाद फिर इस बैठक में इस बिंदु को लेकर चर्चा की गई.
हर महीने होगी मॉनिटरिंग
यही नहीं, वन्य जीव संघर्ष के मामले में मुआवजा आपदा के नियमों के तहत ही दिया जाएगा. साथ ही वन्यजीव संघर्ष में मुआवजा देने को लेकर जो वन विभाग के नियम हैं और आपदा के नियम में इन दोनों नियमों में से जिस नियम में अधिक धनराशि अंकित होगी, उतनी धनराशि दी जाएगी. बैठक में यह निर्धारित किया गया है कि हर महीने एचओडी के स्तर पर वन्यजीव संघर्ष के मामलों की मॉनिटरिंग की जाएगी. मानव वन्यजीव संघर्ष मामले में क्षतिपूर्ति का भुगतान किया गया या नहीं किया गया जिसकी रिपोर्ट सरकार को भी सौंपी जाएगी.
वनाग्नि को बुझाने के लिए खरीदे जाएंगे इक्विपमेंट
वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि जंगलों में आग लगने की घटना को लेकर भी बैठक में विस्तृत चर्चा की गई. जिसमें यह निर्णय लिया गया कि अब कुछ महीने ही नहीं बल्कि पूरे साल जंगलों में आग लगने के मामले की मॉनिटरिंग की जाएगी.
पिरूल नीति के लिए पर्याप्त बजट
बैठक में चर्चा की गई कि पिरूल इकट्ठा करने पर 2 रुपये प्रति किलोग्राम देने का राज्य सरकार ने निर्णय लिया है. लेकिन अभी तक पर्याप्त बजट की व्यवस्था नहीं हो पाई है. यही नहीं आगामी बजट के दौरान भी पिरूल नीति के तहत एक करोड़ रुपए मांगे गए हैं. ऐसे में पिरूल को एकत्र करने के लिए पर्याप्त मात्रा में बजट होना चाहिए, तभी लोगों को पिरूल नीति के तहत प्रोत्साहित कर सकेंगे.
एक्टिव वन पंचायतों को अतिरिक्त बजट
वन पंचायतों को मजबूत बनाने को लेकर वन विभाग ने बड़ा कदम उठाया है. इसके लिए अच्छा कार्य करने वाली वन पंचायतों को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल अतिरिक्त पैसा दिया जाएगा जो उस पैसे का इस्तेमाल उन पंचायत के विकास कार्यों में कर सकेंगे.
असम की तर्ज पर उत्तराखंड में लगाए जाएंगे बांस
वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि असम की तरह ही उत्तराखंड राज्य में भी हर तरह के बांस लगाए जाएंगे. इसे उत्तराखंड में प्रोत्साहित भी किया जाएगा, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बांस को प्रोत्साहित कर रहे हैं. यह निर्णय भी लिया गया है कि जल्द ही असम या फिर बेंगलुरू में उत्तराखंड के लोग जाकर वहां से ट्रेनिंग लेंगे और उत्तराखंड राज्य में भी उसी तरह का काम करेंगे.