देहरादून: देश में राज्यों के लिए मुसीबत के तौर पर देखी जा रही नई कार प्रणाली अब सुधार की तरफ बढ़ रही है. आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि GST यानी वस्तु एवं सेवा कर के तहत राज्यों की कर वसूली में सुधार हो रहा है. उधर केंद्र ने रुकी हुई प्रतिपूर्ति की रकम जारी कर राज्यों को कुछ और राहत दे दी है. खास तौर पर उत्तराखंड में वित्तीय परेशानियों के बीच प्रतिपूर्ति मिलना और राजस्व का बढ़ना एक बड़ी खुशखबरी है.
साल 2017 में जीएसटी देश भर में लागू होने के बाद राज्यों के स्तर पर इसका विरोध देखने को मिला. इसकी बड़ी वजह जीएसटी का बेहद जटिल होना और इसी जटिलता के कारण राज्यों को इससे राजस्व में भारी नुकसान की संभावना होना था. हालांकि, केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर में नुकसान की आशंकाओं को देखते हुए 5 साल तक राज्यों को प्रतिपूर्ति देने का फैसला लिया. इसके बावजूद जीएसटी को एक ट्रायल मोड में शुरू करने के लिए केंद्र को भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. अब जीएसटी लागू हुए 5 साल पूरे हो चुके हैं. राज्यों के स्तर पर जारी आंकड़ों से यह साफ है कि राजस्व वसूली में अब सुधार होता हुआ दिखाई देने लगा है.
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देश में एक समान कर व्यवस्था को रखने के लिए केंद्र ने जीएसटी को लागू करने का फैसला लिया था. जीएसटी को लेकर होते सुधार पर वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ राजेंद्र बिष्ट कहते हैं कि इन सुधारों के लिए राज्य और केंद्र सरकार के प्रयास जिम्मेदार हैं. विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों के साथ दूसरी गतिविधियां करने के चलते जीएसटी के तहत राजस्व वसूली में सुधार में मदद मिली है.
राजस्व वसूली में हो रहे सुधार की खुद आंकड़े गवाही दे रहे हैं. केंद्रीय वित्त मंत्रालय की तरफ से इसको लेकर बकायदा तुलनात्मक आंकड़े दिए गए हैं जो यह जाहिर करते हैं कि राजस्व में सुधार हुआ है. उत्तराखंड जैसे राज्य इसको लेकर बेहतर स्थिति में आ रहे हैं. देखिये आंकड़े.
- साल 2021 में अक्टूबर में देश में कुल 96430 करोड़ जीएसटी वसूली हुई.
- अक्टूबर 2022 में यह आंकड़ा 18% बढ़ोतरी के साथ 113596 पहुंचा.
- उत्तराखंड ने जीएसटी वसूली को लेकर सबसे बेहतर राज्यों में जगह बनाई.
- अक्टूबर 2021 में राज्य में 1259 करोड़ की वसूली हुई.
- 2022 अक्टूबर में 1613 करोड़ की वसूली हुई.
- इस तरह उत्तराखंड 28% बढ़ोतरी करने में कामयाब रहा.
- हिमालयी राज्य हिमाचल और जम्मू कश्मीर से कई कदम आगे रहा उत्तराखंड.
- हिमाचल प्रदेश 14% राजस्व की बढ़ोतरी हुई.
- जम्मू कश्मीर में अक्टूबर 2021 और 22 में तुलनात्मक 34% तक की कमी.
- अक्टूबर में त्योहारों के कारण राजस्व वसूली ज्यादा बेहतर.
- देश के 6 राज्यों ने अक्टूबर में तुलनात्मक रूप से कम राजस्व वसूली की.
केंद्र सरकार ने राज्यों को हो रहे नुकसान के लिए 5 साल तक प्रतिपूर्ति देने का वादा किया. यह समय सीमा 2022 में खत्म हो चुकी है. राज्य इस बात को लेकर भी बेहद परेशान हैं कि अब बिना प्रतिपूर्ति कैसे आर्थिक जरूरतों और राजस्व में कमी को पूरा किया जा सकेगा. हालांकि, केंद्र सरकार पहले ही यह कह चुकी है कि राज्य केंद्र से लोन के रूप में योजनाओं हेतु पैसा ले सकते हैं. उधर, उत्तराखंड जैसे राज्य के लिए यह बेहद संकट का समय है. भले ही राजस्व वसूली में उत्तराखंड बेहतर स्थिति में आता हुआ दिखाई दे रहा हो लेकिन उत्तराखंड अभी आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया जैसी स्थिति में है. राज्य अपने खर्चे के लिहाज से राजस्व वसूली में बेहद पीछे है. एक बड़े अंतर के साथ उत्तराखंड घाटे के बजट को पेश करता रहा है.
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वित्तीय मामलों के जानकार राजेंद्र बिष्ट भी इसी चिंता को जाहिर करते हैं. उन्होंने कहा राज्य को नए राजस्व क्षेत्रों को विकसित करना होगा. सेवा क्षेत्र के साथ पर्यटन क्षेत्र में स्थितियां सुधार नहीं होगा तब तक घाटे के बड़े अंतर को खत्म नहीं किया जा सकेगा. यह साफ है कि उत्तराखंड अक्टूबर महीने में तुलनात्मक रूप से राष्ट्रीय औसत से भी बेहतर राजस्व वसूली में दिखाई दिया है. उधर राज्य के लिए एक खुशखबरी यह भी है कि केंद्र ने पिछले प्रतिपूर्ति के बजट को भी जारी कर दिया है. आंकड़ों में देखिए केंद्र ने कितना बजट किस राज्य के लिए जारी किया है.
- उत्तराखंड को जीएसटी प्रतिपूर्ति के रूप में 342 करोड़ रुपए किए गए जारी.
- केंद्र की तरफ से 17000 करोड़ प्रतिपूर्ति के रूप में किए गए रिलीज.
- साल 2022-23 में केंद्र सरकार की तरफ से अब तक 115662 करोड़ हो चुके हैं रिलीज.
- हिमालय राज्य हिमाचल और जम्मू कश्मीर से प्रतिपूर्ति में उत्तराखंड को मिली अधिक रकम.
वस्तु एवं सेवा कर ने देश में सभी उत्पादों और सेवाओं के लिए समान टैक्स की व्यवस्था की है. इसके चलते राज्यों के मनमाफिक कर लगाने पर रोक लगी है. हालांकि, इसमें पेट्रोलियम जैसे कुछ पदार्थों को अलग रखा गया है. दूसरी तरफ उत्तराखंड के लिए अभी आर्थिक रूप से परेशानियां बेहद ज्यादा हैं. प्रतिपूर्ति बंद होने के बाद यह परेशानी और भी ज्यादा बढ़नी तय हैं. अब राज्य सरकार इन परेशानियों से भविष्य में कैसे निपटेगी ये एक बड़ा सवाल है.