डोइवालाः लच्छीवाला रेंज के शिमलास ग्रांट क्षेत्र में अवैध शिकार के मामले में आरोपी अभी भी गिरफ्त से बाहर हैं. वन विभाग की टीम शिकारियों को नहीं पकड़ पाई है. ना ही शिकारियों ने आत्मसमर्पण किया है. ऐसे में वन विभाग अब आत्मसमर्पण ना करने पर शिकारियों पर शिकंजा कसने जा रहा है. वहीं, रेंज अधिकारी का कहना है कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत मामला पंजीकृत किया गया है.
गौर हो कि बीते 6 जून को लच्छीवाला रेंज के शिमलास ग्रांट के झदोंद गांव में वन विभाग की टीम को जंगली जानवर का अवैध शिकार कर मीट बेचने की सूचना मिली थी. जिस पर कार्रवाई करते हुए टीम ने छापेमारी की थी, लेकिन आरोपी अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गए थे. इस दौरान टीम को मौके पर जंगली जानवर का मीट बरामद हुआ था. जिसे उन्होंने कब्जे में लेकर जांच के लिए भेजा. उधर, वन विभाग के कर्मचारियों का दावा है कि टोर्च की रोशनी से उन्होंने आरोपी की पहचान की है.
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वहीं, लच्छीवाला रेंज अधिकारी घनानंद उनियाल ने बताया कि आरोपी की पहचान मनीष पुत्र बलवंत झदोंद निवासी के रूप में हुई है. साथ ही कहा कि मामले पर कई लोगों के नाम भी इस अवैध शिकार में सामने आ रहे हैं. मौके पर दो किलो जंगली जानवर का मांस बरामद किया गया है. मांस किस जीव का है, इसकी जांच की जा रही है. साथ ही मांस को वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट में फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है.
रेंज अधिकारी उनियाल ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत कई धाराओं में मामला पंजीकृत किया गया है. उनके खिलाफ भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 संशोधित 2006 की धारा 9, 39(3) और 51 के तहत वाद दायर किया गया है. अवैध शिकार में संलिप्त शिकारियों की केस हिस्ट्री तैयार की जा रही है. आरोपियों को पकड़ने की कोशिश की जा रही है. आरोप सिद्ध होने पर आरोपियों के खिलाफ असीमित जुर्माना और 5 साल की सजा होगी.