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विकासनगर: अदरक को मिला इफको की नैनो कॉपर का साथ, जल्द किसानों तक पहुंचेगी दवा

कोठा तारली गांव में एक हफ्ते पहले अदरक की फसल पर इफको की नैनो कॉपर तकनीकी का छिड़काव कराया गया था. इसके बेहतर परिणाम सामने आने के बाद कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने किसानों को जल्द ये दवा उपलब्ध कराने की बात कही है.

vikasnagar
नैनो कॉपर तकनीक रही सफल
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Published : Aug 1, 2020, 11:28 AM IST

Updated : Aug 1, 2020, 1:04 PM IST

विकासनगर: अदरक की फसल में जिंजर सॉफ्ट रोग लग जाने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के वैज्ञानिक अशोक कुमार शर्मा ने कोठा तारली के गांव में एक सप्ताह पहले अदरक की फसल पर इफको की नैनो कॉपर तकनीकी का छिड़काव करवाया था. इस मौके पर इफको के विपणन प्रबंधक डॉ. डीएचएस बिष्ट ने किसानों को इफको नैनो कॉपर जैविक का छिड़काव करने की सलाह दी.

नैनो कॉपर तकनीक रही सफल

दरअसल जौनसार बावर क्षेत्र में अदरक की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. कालसी और चकराता ब्लॉक में तो करीब 528 हेक्टेयर क्षेत्रफल में अदरक की ही खेती की जाती है. अदरक की फसल में जिंजर सॉफ्ट रोग लग जाता है, जिसे स्थानीय भाषा में गति सड़क रोग भी कहते हैं. वैज्ञानिक डॉ. एके शर्मा ने बताया कि एक हफ्ते पहले कोठा तारली गांव के खेतों में इफको की ओर से नैनो कॉपर तकनीकी का स्प्रे किया गया था. इफको के विपणन प्रबंधक अदरक की फसल का जायजा लेने कोठा तारली गांव पहुंचे.

ये भी पढ़ें: पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के भाई व उनकी पत्नी पर जमीन धोखाधड़ी का एक और मुकदमा दर्ज

इस दौरान इफको के विपणन प्रबंधक डॉ. डीएचएस बिष्ट ने बताया कि नैनो कॉपर जैविक की तकनीकी का पहले चरण में बेहतर परिणाम देखने को मिला है. अदरक की फसल में फिलहाल संक्रमण का औसत 7 से 8 प्रतिशत ही है. अदरक की फसल में लगने वाले जिंजर सॉफ्ट रोग पर कुछ हद तक अंकुश लगा है और संक्रमण भी रुका है. नैनो तकनीकी को अदरक की फसल पर इसीलिए इस्तेमाल किया गया है. वहीं, किसान नीटू तोमर ने बताया कि अदरक की फसल में रोग देखने को मिला था. इफको नैनो कॉपर का छिड़काव करने के बाद अदरक की फसल को लगभग 80 प्रतिशत तक का लाभ मिला है.

ये भी पढ़ें: BJP महिला मोर्चा की पूर्व जिलाध्यक्ष संतोष असनोड़ा की जहरीला पदार्थ खाने से मौत

वहीं, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि एक हफ्ते पहले अदरक की फसलों पर इफको नैनो कॉपर तकनीकी का छिड़काव कराया गया था. जिसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं. उन्होंने बताया कि ये दवा जल्द ही विभिन्न समितियों के किसानों को उपलब्ध करवा दी जाएगी. जिससे अदरक की फसल को जिंजर सॉफ्ट रोग लगने से बचाया जा सके.

विकासनगर: अदरक की फसल में जिंजर सॉफ्ट रोग लग जाने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के वैज्ञानिक अशोक कुमार शर्मा ने कोठा तारली के गांव में एक सप्ताह पहले अदरक की फसल पर इफको की नैनो कॉपर तकनीकी का छिड़काव करवाया था. इस मौके पर इफको के विपणन प्रबंधक डॉ. डीएचएस बिष्ट ने किसानों को इफको नैनो कॉपर जैविक का छिड़काव करने की सलाह दी.

नैनो कॉपर तकनीक रही सफल

दरअसल जौनसार बावर क्षेत्र में अदरक की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. कालसी और चकराता ब्लॉक में तो करीब 528 हेक्टेयर क्षेत्रफल में अदरक की ही खेती की जाती है. अदरक की फसल में जिंजर सॉफ्ट रोग लग जाता है, जिसे स्थानीय भाषा में गति सड़क रोग भी कहते हैं. वैज्ञानिक डॉ. एके शर्मा ने बताया कि एक हफ्ते पहले कोठा तारली गांव के खेतों में इफको की ओर से नैनो कॉपर तकनीकी का स्प्रे किया गया था. इफको के विपणन प्रबंधक अदरक की फसल का जायजा लेने कोठा तारली गांव पहुंचे.

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इस दौरान इफको के विपणन प्रबंधक डॉ. डीएचएस बिष्ट ने बताया कि नैनो कॉपर जैविक की तकनीकी का पहले चरण में बेहतर परिणाम देखने को मिला है. अदरक की फसल में फिलहाल संक्रमण का औसत 7 से 8 प्रतिशत ही है. अदरक की फसल में लगने वाले जिंजर सॉफ्ट रोग पर कुछ हद तक अंकुश लगा है और संक्रमण भी रुका है. नैनो तकनीकी को अदरक की फसल पर इसीलिए इस्तेमाल किया गया है. वहीं, किसान नीटू तोमर ने बताया कि अदरक की फसल में रोग देखने को मिला था. इफको नैनो कॉपर का छिड़काव करने के बाद अदरक की फसल को लगभग 80 प्रतिशत तक का लाभ मिला है.

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वहीं, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि एक हफ्ते पहले अदरक की फसलों पर इफको नैनो कॉपर तकनीकी का छिड़काव कराया गया था. जिसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं. उन्होंने बताया कि ये दवा जल्द ही विभिन्न समितियों के किसानों को उपलब्ध करवा दी जाएगी. जिससे अदरक की फसल को जिंजर सॉफ्ट रोग लगने से बचाया जा सके.

Last Updated : Aug 1, 2020, 1:04 PM IST
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