ऋषिकेश: प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसे और उनसे होने वाली मौतों को लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में वर्ल्ड ट्रामा सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सोमवार 16 अक्टूबर को उत्तराखंड के राज्यापल गुरमीत सिंह ने प्रतिभाग किया और ऋषिकेश एम्स के इस कार्यक्रम की सराहना की.
इस दौरान राज्यापल गुरमीत सिंह ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए इस तरह के जनजागरुक कार्यक्रमों का आयोजन करना बहुत जरूरी है. किसी भी दुर्घटना में घायल हुए व्यक्ति को बचाने के लिए शुरुआती एक घंटे का गोल्डन ऑवर का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस एक घंटे के दौरान घायल व्यक्ति को यदि समय रहते उचित उपचार मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है.
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राज्य में सड़क दुर्घटनाओं को कम करना बड़ी चुनौती: राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड आध्यात्मिक यात्राओं, तीर्थाटन और पर्यटन के लिए विशेष पहचान रखता है. प्रतिवर्ष करोड़ों लोग यहां सड़क मार्ग से यात्रा करने आते हैं, ऐसे में राज्य में सड़क दुर्घटनाओं को कम करना एक बड़ी चुनौती है. लिहाजा इस दृष्टि से ऋषिकेश एम्स की यह पहल आम लोगों को आघात चिकित्सा के प्रति जागरुक करने और दुर्घटनाओं का कम करने में सफल साबित होगी.
मृत्यु दर को कम किया जा सकता है: राज्यपाल ने कहा कि इस प्रकार के जागरुकता कार्यक्रमों से सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मृत्यु दर को कम किया जा सकता है. एम्स की ड्रोन टैक्नॉलाजी, टेलिमेडिसिन सुविधा और हेली एम्बुलेंस स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक मिसाल है.
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ऋषिकेश एम्स की हेली एम्बुलेंस सेवा: इससे पूर्व कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अमेरिका की रटगर यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा विभागाध्यक्ष प्रो. मयूर नारायण ने एम्स ऋषिकेश के ट्रॉमा सेंटर को चिकित्सा सुविधा की दृष्टि से समूचे राज्य के लिए वरदान बताया. उन्होंने कहा कि ऋषिकेश देश के पहला एम्स है, जहां दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को हेली एम्बुलेंस के माध्यम से बहुत ही कम समय में अस्पताल पहुंचाया जा सकता है.
एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने बताया कि उत्तराखंड में अधिकतर मौतें सड़क दुर्घटनाओं के कारण होती हैं. ऐसे में एम्स का प्रयास है कि इस प्रकार के आयोजनों से अधिक से अधिक लोगों को ट्रामा के प्रति सजग और जागरुक किया जाए. ताकि राज्य में ट्रामा के दौरान होने वाली मृत्यु दर को कम किया जा सकेगा.