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ई-रिक्शाओं चालकों का सचिवालय कूच, पुलिस में बैरिकेडिंग लगाकर रोका प्रदर्शन - e-rickshaw union member Ajay Thakur

ई-रिक्शाओं पर लगे प्रतिबंध से नाराज ई-रिक्शा चालक सोमवार को सचिवालय कूच करने पहुंचे. जहां पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सचिवालय पहुंचने से पहले ही बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. वहीं, ई-रिक्शा चालकों का कहना है कि यदि प्रशासन ने पूर्व की भांति ई-रिक्शाओं को यथावत बहाल नहीं किया तो उनका यह प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा.

ई-रिक्शाओं पर लगे प्रतिबंध से नाराज ई-रिक्शा चालकों ने किया सचिवालय कूच.
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Published : Sep 2, 2019, 8:46 PM IST

देहरादून: नगर के मुख्य मार्गों से ई-रिक्शाओं पर प्रतिबंध लगाए जाने से आक्रोशित सैकड़ों ई-रिक्शा संचालकों ने सोमवार को सचिवालय कूच किया. लेकिन पुलिस बल ने प्रदर्शनकारियों को सचिवालय पहुंचने से पहले ही बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. जिसके बाद अपनी मांग को लेकर ई-रिक्शा संचालकों ने सिटी मजिस्ट्रेट को एक ज्ञापन सौंपा.

ई-रिक्शा चालकों ने किया सचिवालय कूच.

मामले को लेकर ई-रिक्शा यूनियन के सदस्य अजय ठाकुर ने बताया कि गरीब तबके के लोगों ने रोजगार करने के लिए बैंक से लोन लेकर ई-रिक्शा खरीदे थे. साथ ही विकलांगजन और महिलाएं भी ई रिक्शा चला कर अपने परिवार का भरण पोषण करती हैं. लेकिन प्रशासन ने ई-रिक्शाओं को मुख्य मार्गों पर प्रतिबंधित कर दिया है. जिसके चलते लोगों के रोजगार पर असर पड़ रहा है.

ये भी पढ़े: बारिश के कारण धंसा गुप्तकाशी-जाखधार मोटरमार्ग, जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंच रहे छात्र

साथ ही कहा कि प्रशासन ने पूर्व की भांति ई-रिक्शाओं को यथावत बहाल करना चाहिए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो उनका यह प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा. गौरतलब है कि शहर भर में करीबन तीन हजार ई-रिक्शा हैं. जिनमें से करीब 2600 ई-रिक्शाओं के रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं.

देहरादून: नगर के मुख्य मार्गों से ई-रिक्शाओं पर प्रतिबंध लगाए जाने से आक्रोशित सैकड़ों ई-रिक्शा संचालकों ने सोमवार को सचिवालय कूच किया. लेकिन पुलिस बल ने प्रदर्शनकारियों को सचिवालय पहुंचने से पहले ही बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. जिसके बाद अपनी मांग को लेकर ई-रिक्शा संचालकों ने सिटी मजिस्ट्रेट को एक ज्ञापन सौंपा.

ई-रिक्शा चालकों ने किया सचिवालय कूच.

मामले को लेकर ई-रिक्शा यूनियन के सदस्य अजय ठाकुर ने बताया कि गरीब तबके के लोगों ने रोजगार करने के लिए बैंक से लोन लेकर ई-रिक्शा खरीदे थे. साथ ही विकलांगजन और महिलाएं भी ई रिक्शा चला कर अपने परिवार का भरण पोषण करती हैं. लेकिन प्रशासन ने ई-रिक्शाओं को मुख्य मार्गों पर प्रतिबंधित कर दिया है. जिसके चलते लोगों के रोजगार पर असर पड़ रहा है.

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साथ ही कहा कि प्रशासन ने पूर्व की भांति ई-रिक्शाओं को यथावत बहाल करना चाहिए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो उनका यह प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा. गौरतलब है कि शहर भर में करीबन तीन हजार ई-रिक्शा हैं. जिनमें से करीब 2600 ई-रिक्शाओं के रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं.

Intro: राजधानी देहरादून के मुख्य मार्गो से ई-रिक्शाओं पर प्रतिबंध लगाए जाने से आक्रोशित सैकड़ों ई रिक्शा संचालकों ने सचिवालय कूच किया जहां पहले से ही मौजूद भारी पुलिस बल ने प्रदर्शनकारियों को सचिवालय से पहले ही बेरिकेडिंग लगाकर रोक दिया अपनी मांग को लेकर ई-रिक्शा संचालकों ने सिटी मजिस्ट्रेट को एक ज्ञापन भी सौंपा।


Body:इस संबंध में देवभूमि ई-रिक्शा यूनियन के सदस्य अजय ठाकुर ने कहा कि जो जो गरीब तबका रोजगार से वंचित था , उन्होंने बैंकों से लोन लेकर ई-रिक्शा खरीदे थे, अधिकता लोगों का रोजगार ई रिक्शा के माध्यम से जुड़ा हुआ है। विकलांगजन और महिलाएं भी ईरिक्शा चला कर अपने परिवार का भरण पोषण करती हैं। मगर प्रशासन ने ई-रिक्शाओं को मुख्य मार्गों पर प्रतिबंधित कर दिया है। उन्होंने मांग करी की पूर्व की भांति ई-रिक्शा ओं को यथावत बहाल किया जाए यदि उनकी इस मांग को अनसुना किया जाता है तो उनका यह प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा।
बाईट- अजय ठाकुर ई-रिक्शा संचालक

वहीं आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर सरकार ने इस प्रकार से प्रतिबंध लगाना था तो इन ई-रिक्शाओं को सड़कों पर क्यों चलवाया गया। जो ई रिक्शा सड़कों पर चल भी रहे हैं उनके पुलिस भारी भरकम चालान काट कर उनका उत्पीड़न करने में लगी हुई है। प्रशासन द्वारा ई-रिक्शाओं को मुख्य मार्गो से प्रतिबंधित किए जाने के बाद उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।


Conclusion:गौरतलब है कि शहर भर में करीबन तीन हजार ई-रिक्शा हैं, जिनमें से करीब 26 सौ ईरिक्शाओं के रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। प्रशासन द्वारा मुख्य मार्गो से प्रतिबंधित किए जाने के बाद आज सैकड़ों की संख्या में ई रिक्शा संचालकों ने सचिवालय कूच किया और इस फैसले के विरोध मे अपना आक्रोश व्यक्त किया ई रिक्शा संचालकों का कहना है कि प्रशासन अविलंब अपने इस फैसले को वापस लेने का काम करे, ताकि उनकी आजीविका पर संकट ना खड़ा हो पाए।
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