देहरादून: विभागों में बेहतर आईएएस अधिकारियों की तैनाती कैबिनेट मंत्रियों के लिए हमेशा ही खासी अहम रहती है. खासतौर पर चुनाव से पहले मंत्री आउटपुट देने वाले अधिकारियों की तलाश कर रहे थे लेकिन पिछले दिनों हुए आईएएस अधिकारियों के तबादले कुछ मंत्रियों के लिए परेशानी बनते दिख रहे हैं. हालांकि, ऐसे कुछ ऐसे आईएएस अधिकारी भी हैं. जिनकी अपने विभाग में तैनाती करवाने की कोशिश एक से ज्यादा मंत्री कर रहे थे.
उत्तराखंड शासन की तरफ से बड़ी संख्या में आईएएस अधिकारियों के तबादले हुए तो कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के नाराज होने की खबरें भी चर्चाओं में आ गई. दरअसल, चुनाव से पहले सभी मंत्री ऐसे अधिकारियों को अपने विभागों में तैनात करवाना चाहते थे, जो ज्यादा से ज्यादा आउटपुट दे सकें.
ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत के विभाग में दीपक रावत के एमडी और सचिव के तौर पर सौजन्य की नियुक्ति होने से वे नाराज दिखे. हालांकि, उन्होंने खुले तौर पर इसपर कोई बयान नहीं दिया. लेकिन उन्होंने जाहिर किया कि ज्यादा समय तक एक जगह पर रहने वाले आईएएस अधिकारियों को हटाया जाना जरूरी है और बेहतर आउटपुट के लिए अधिकारियों को बदलना जरूरी होता है.
बता दें कि, खबर ये भी है कि शासन में मंत्रियों की तरफ से सबसे ज्यादा डिमांड आईएएस अधिकारी मीनाक्षी सुंदरम (Meenakshi Sundaram IAS) की रही है. उधर, कई अधिकारी ऐसे भी रहे हैं, जिन्हें मंत्री अपने विभागों में तैनाती नहीं देना चाहते थे. लेकिन, बावजूद इसके तबादलों के बाद मंत्रियों को ऐसे अधिकारियों से भी काम लेना होगा.
विभागीय मंत्री की कहना हैं कि शासन में आईएएस अधिकारियों की दो कैटेगरी है. जिसमें एक तरह के आईएएस अधिकारी विभिन्न योजनाओं में आने वाली दिक्कतों को समझाने की कोशिश करते हैं और कुछ अधिकारी समस्या आने पर केवल योजनाओं को अटकाने का काम करते हैं.
हाल ही में रेखा आर्य आईएएस अधिकारी षणमुगम और सौजन्य से नाराजगी जाहिर करती हुई दिखाई दी थी. मंत्री रेखा आर्य का आरोप भी अधिकारियों की नाफरमानी और विभाग के काम को लेकर अनदेखी को लेकर था.
सतपाल महाराज ने भी आईएएस ज्योति यादव को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी और स्थिति यह रही कि सतपाल महाराज ने सार्वजनिक रूप से इस बात को न केवल कहा बल्कि तत्कालीन मुख्यमंत्री से भी इसकी शिकायत की थी. उस दौरान सतपाल महाराज ने आईएएस अधिकारी द्वारा काम ठीक से नहीं करने और योजनाओं में अड़ंगा अटकाने का आरोप लगाया था.
ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत भी समय-समय पर अधिकारियों के खिलाफ अपनी बात रखते रहे हैं. खबर है कि अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन से भी वन विभाग के कुछ मामलों में नाराजगी रही है. यह नाराजगी कुछ फाइलों पर आईएएस अधिकारी द्वारा रोड़ा अटकाने से जुड़े मामले को लेकर बताई गई है.
कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य से लेकर धन सिंह रावत और मदन कौशिक तक भी सार्वजनिक बैठकों में अधिकारियों को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं.
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प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 नजदीक है लिहाजा विभागों में काम को तेजी से करने के लिए मंत्री के साथ विभाग के सचिव का समन्वय बेहद जरूरी है. ऐसे में यदि इस समन्वय में कमी आती है तो योजनाओं पर बट्टा लगना तय है. बहरहाल, सुबोध उनियाल भी मानते हैं कि आउटपुट देने के लिए बेहतर अधिकारी का होना जरूरी है और अधिकारी आउटपुट देने वाला हो तभी योजनाएं तेजी से आगे बढ़ पाती है.
उत्तराखंड शासन में आईएएस अधिकारियों की सीमित संख्या के लिहाज से सभी अधिकारियों से काम लेना जरूरी है. लेकिन कई बार अधिकारियों का मंत्रियों से तालमेल न बैठाना परेशानी को बढ़ाता है.
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वरिष्ठ पत्रकार नीरज कोहली का कहना है कि कई बार अधिकारियों और मंत्रियों के बीच स्थितियां खराब दिखाई देती हैं. आउटपुट न देने वाले अधिकारियों की वजह से योजनाएं अटकती हैं लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि मंत्री ऐसे कामों पर दबाव बनाते हैं जो नियमता नहीं हो सकता.