देहरादून: यूं तो मुख्यमंत्री प्रदेश भर में गौशालाओं की व्यवस्थाएं सुधारने और इनकी संख्या में इजाफा करने के लिए प्रयासरत है. राजधानी देहरादून में इसके लिए सबसे पहला प्रयास किया जा रहा है. देहरादून में हाईटेक गौशाला बनाने के लिए नगर निगम के अधिकारियों को मथुरा भी भेजा गया था, जिन्होंने मथुरा में गोसदन का बारिकियों को देखा. उसी के आधार पर अब देहरादून में बनने वाली हाईटेक गौशाल की डीपीआर तैयार की जाएगी.
मथुरा से लौटे मुख्य नगर आयुक्त विनय शकर पांडे ने बताया कि मथुरा में उन्होंने अधिकारियों के साथ वहां की गौशाला का निरक्षण किया, लेकिन देहरादून की गौशाला को मथुरा की तर्ज पर विकसित करने में कुछ समस्याएं आ रही हैं. सबसे बड़ी समस्या तो ये है कि देहरादून और मथुरा की परिस्थितियों में काफी अंतर है.
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इसके अलावा मथुरा में बनी गौशाला के सबसे अच्छी बात ये है कि उनके यहां बिना दूध देने वाले पशुओं के साथ दूध देने वाले पशु भी हैं. मथुरा नगर निगम दूध बेचकर उनसे अच्छा पैसा कमाता है, लेकिन देहरादून में ऐसा नहीं है. यहां डेयरी वाले उन ही पशुओं को सड़क पर छोड़ते है, जो दूध देने लायक नहीं होते हैं.
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देहरादून नगर निगम की टीम ने मथुरा में चार गोसदन को बारीकी से देखा. शहर की परिस्थितियों के हिसाब के देहरादून की गौशाल में कुछ परिवर्तन करने पड़ेंगे. मथुरा में गौशाला कमर्सियल है, जहां सभी तरह के पशु रखे गए हैं. हालांकि देहरादून में स्थिति इससे बिल्कुल अलग है. यहां सड़कों पर आवारा घूमने वाले पशुओं को ही रखा जा रहा है. मथुरा में गौशालाओं को महौला काफी अच्छा है. इसलिए देहरादून नगर निगम में भी उसी हिसाब से अपनी गौशाल डेवलप करेगा. जल्द ही इसकी डीपीआर तैयार कर काम शुरू किया जाएगा.